मुम्बई;
उम्मीदों की जमीन पर पांव रखने की हिम्मत हो तो, उम्मीदों को पंख लग जाते है। ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला है, एक ब्यूरोक्रेट्स दंपति का। एक साल पहले एक अप्रत्याशित घटना में दोनों ने अपने 20 वर्षीय एकलौते बेटे को खो दिया था।
मनीष और मिलिंद महासकर को जुड़वा बेटी का उपहार अब मिला जब उन्होंने आई वी एफ तकनीक का सहारा लिया।
50 वर्षीय मिलिंद और 49 वर्षीय मनीषा ने surrogacy और IVF के द्वारा एक सरोगट सहयोग से दो जुड़वाँ बच्चियों को पाया है।अब मनीषा ,अगस्त के प्रथम सप्ताह में जन्मी दोनों बच्चियों की देख रेख में जुटी है
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