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पौडी गढवाल  : 


प्रियंका को नही मालूम था कि अपने पैरों पर खड़े होने के प्रयासों और मिट्टी से लगाव होने पर उसे कोई  भी सहारा नही देगा। और अंततः उसे ऐसा आग्रह करने पड़ेगा जो अचंभित करनेवाला होगा।

पौडी जिले की कांडा खाल कौडिया गाँव निवासी एक महिला मांग कर रही है जो सिस्टम्स से त्रस्त होकर अब वैध रूप से गाँव में शराब बेचकर अपने लिये रोजगार खड़ा करना चाहती है। बात सुनकर आप लोगों को  अजीब लग रहा है बात एकदम सच ।      प्रियंका असवाल नाम की इस महिला का परिवार पिछले दस सालों से रोजगार की तलाश में पलायन कर गया था जो अब देहरादून  में रह रहा था । लेकिन अब पौडी गढ़वाल स्थित अपने विरान हो रहे गाँव , बंजर होते खेतों और खंडहर होते पुश्तैनी मकानों को बचाना चाहता है । जिसके लिये उन्होंने एक सपना देखा की क्यों ना सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर गाँव में ओर्गेनिक मसालों का व्यापार शुरू किया जाये और अपने और गाँव के अन्य बेरोजगार लोगों लिए कुछ रोजगार जुटाया जाये बंजर होते अपने और आसपास के गाँवों के खेतों में हल्दी, मिर्च, धनिया, तेज पत्ता उगाया जाये । साथ ही गाँव के घर में एक बूढ़ी अकेली सास भी है जिसकी चिंता बनी रहती है उसको भी हमारा सहारा मिल जायेगा ।
इस महिला‌ और उसके पति की सोच स्वागत योग्य थी लेकिन हाये रे उत्तराखण्ड सरकार और इसका सिस्टम्स जो सालों से पहाड़ में पलायन रोकने उद्योग लगाने और खेती को बढ़ावा देने के लिये बड़ी बड़ी योजनाओं के दावे कर रहा है लेकिन हकीकत में धरातल पर इस परिवार का मामला सरकार नाकामयाबी की सारी पोल पट्टी खोल रहा है जो पिछले एक साल से प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर मंत्रियों से लेकर तमाम प्रशासनिक अमले की चोखट पर अपनी ऐडीयां रगड़ रहा है । लेकिन उन्हें किसी भी योजना से इस प्रोजेक्ट के लिये लोन नहीं मिल रहा है। 
महिला और उसके पति ने कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की इस विधान सभा सीट चौबटाखाल में जिला सहकारी बैंक , उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक , खादी ग्रामोद्योग , SBI सहित कोई बैंक नहीं छोड़ा जहाँ लोन के लिये गुहार ना लगाई हो लेकिन धक्के खाने के अलावा कुछ हाथ ना लगा । 

ऋण  के चक्कर में अपनी जेब से हद से ज्यादा पैसा खर्च करने के बाद जब काम‌ नहीं बना तो इस महिला ने हताशा में मुख्य मंत्री से‌ एक पत्र के माध्यम से अपने गाँव में कच्ची शराब की भट्ठी लगाने का आग्रह कर डाला । जिसकी चर्चा अब सभी की जबान पर है, परंतु निकम्मा सिस्टम इस बात को नही समझ पाया कि एक महिला के प्रयासों को  सहारा देकर  वो अपने ही मदद करेगा।
रिपोर्ट उत्तम सिंह

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