ऋषिकेश :
उत्तम सिंह
सौग नदी की की बाढ से घिरे गौहरीमाफी मे तेरहवे दिन हालात जस के तस है । गांव के खेत खलिहान बाह चुके है । फिर रविवार रात को हुई तेज बारिश ने ग्रामीणो की ओर मुश्किल बढा दी है । गौहरी माफी ग्रामीण अभी भी घरो मे कैद है । वहीं गौहरी माफी गांव में हर वर्ष आने वाला बरसात का मौसम ग्रामीणों के लिए किसी आफत से कम नहीं होता, यहां बरसात के पानी हर वर्ष ग्रामीणों पर अपना कहर ढाया है लेकिन हर बार नेताओं के वादे और प्रशासन के दावे सब बाढ़ में फेल हो जाते है।वहीं गौहरीमाफी गांव, जहां हर वर्ष सौंग व गंगा नदी बाढ़ से कोहराम मचाती है, इस वर्ष भी पूरा गांव पानी पानी हो चुका है, गांव के कही परिवार पिछले 13 दिनों से बाढ़ के कारण गांव में ही कैद है, बच्चे स्कूल नही जा पा रहे है, घरों में पानी भरने से घरों का पूरा सामान खराब हो चुका है, गांव की कई हेक्ट् भूमि. सौग व गंगा नदी ने काटकर खत्म कर दी है,।
बरसात में बाढ़ के समय नेता और प्रशासनिक अमला गौहरीमाफी गांव में आते है और जल्द ही बाढ़ सुरक्षा के काम शुरू करने के आश्वासन ग्रामीणों को देते हैं लेकिन बरसात के बाद गौहरीमाफी गांव को भुला दिया जाता है, यही कारण है कि बरसात शुरू होते ही गौहरी माफी के ग्रामीण खौफ में आ जाते हैं क्योंकि बरसात उनके लिए कहर लेकर आती है और इनके दिलों में खौफ पैदा करती है गौहरी माफी गांव नदियों से घिरा है एक तरफ सौंग नदी बह रही है तो दूसरी ओर गंगा और सुसवा नदी, बरसात में जब इनका जलस्तर बढ़ता है तो इन नदियों का पानी गांव में घुसता है जिससे इनकी जमीन पूरी पानी पानी हो जाती है रविवार को देर रात्रि को हुई तेज बारिश से नदी का जलस्तर और बढ गया है ।
हर वर्ष बरसात के मौसम में बाढ़ की मार झेलने वाले गौहरीमाफी गांव में इस बार भी बाढ़ से ग्रामीण त्राही-त्राही कर रहे है, गौहरीमाफी में गंगा व सौंग नदी के किनारे बने तटबन्ध बीते 3 वर्षो से टूटे होने के कारण बरसात के मौसम में हर वर्ष बाढ के कारण खेतो का कटाव होता है, लोगों के घरों में पानी घुस जाता है, जिससे ग्रामीणों का जीवन प्रभावित होने के साथ ही भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है, बरसात में यहां सौंग नदी और दूसरे छोर में बहने वाली गंगा नदी गांव के लिए अभिशाप बन जाती है गौहरीमाफी गांव के साथ ही आपसपास के गांवो में बाढ़ हमेशा कोहमराम मचाती है, इस बार भी गौहरी माफी में बाढ़ सुरक्षा के लिए प्रशासन द्वारा किए गये अस्थाई कार्य ऊठ के मुंह में जीरा जैसा साबित हुए, हर वर्ष नेता अधिकारी बाढ़ के समय गौहरीमाफी का दौरा करते है और ग्रामीणों को बाढ़ सुरक्षा को लेकर आश्वासन देते हैं, लेकिन योजना धरातल पर होती है ।
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