रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
भारत के चार पीठों में से एक ज्योर्तिमठ पीठ के आराध्य देव भगवान बद्री नारायण की आरती से जुडी पौराणिक पाण्डुलिपि रुद्रप्रयाग जिले के स्युपुरी गांव बिरजोणा तोक में मिली हैं। तत्कालीन मांलगुजार ठाकुर धन सिंह बत्र्वाल की चैथी व पांचवीं पीडी के सदस्यों ने पाण्डुलिपियों को सार्वजनिक कर कहा है कि
श्री बद्री नारायण की आरती-
भूपेंद्र भंडारी
भारत के चार पीठों में से एक ज्योर्तिमठ पीठ के आराध्य देव भगवान बद्री नारायण की आरती से जुडी पौराणिक पाण्डुलिपि रुद्रप्रयाग जिले के स्युपुरी गांव बिरजोणा तोक में मिली हैं। तत्कालीन मांलगुजार ठाकुर धन सिंह बत्र्वाल की चैथी व पांचवीं पीडी के सदस्यों ने पाण्डुलिपियों को सार्वजनिक कर कहा है कि
श्री बद्री नारायण की आरती-
पवन मंद सुगन्ध शीतल हेम मन्दिर शोभितम नित निकट गंगा बहति निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्वंभरम।
उनके पूर्वजों द्वारा लिखित है और उसके पुख्ता प्रमाण आज भी उनके पास मौजूद हैं।
करीब 137 वर्ष पुरानी भगवान बद्री नारायण की
आरती को विक्रम सम्वत 1938 में स्यूपुरी गांव निवासी धन सिंह बत्र्वाल
द्वारा 11 पदों में लिखा गया था, जिसके प्रमाण इन दुर्लब पाण्डुलिपियों में
मिलते है। वहीं वर्तमान आरती में सात पद हैं और आरती का पहला पद जो कि पवन
मंद सुगन्ध शीतल है वह पाण्डुलिपि का पांचवा पद है। अभी तक के दावों की
बात करें तो चमोली जनपद के नन्दप्रयाग गांव निवासी जिनका नाम फकरुदीन था जो
कि बाद में बदरुदीन हुआ। ने लिखा माना जाता है और बद्रीनाथ महात्म्य में
भी बदरुद्वीन द्वारा आरती लिखे जाने के प्रमाण हैं। बताया जाता है कि
बदरुद्वीन तत्कालीन समय में पोस्ट आफिस में कार्य करते थे और वे बद्री
केदारनाथ मंदिर समिति के भी सदस्य रहे थे। और मुस्लिम कम्युनिटी के
राष्ट्ीय सदस्य रहते हुए 1951 में उनकी मृत्यु हुई थी।
वहीं स्युपुरी गांव
के मालगुजार स्व0 धनसिंह बत्र्वाल के चैथी व पांचवी पीडी के सदस्यों महेन्द्र सिंह (परपौत्र) व
भूपेन्द्र बत्र्वाल (परपौत्र) का
दावा है कि पौराणिक तथ्यों के आधार पर पाण्डुलिपियों के अनुसार आरती उनके
पूर्वजों द्वारा लिखित है जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। उनका दावा है कि
बदरुदीन की शैक्षिक योग्याता के प्रमाण कहीं नहीं हैं और उनके द्वारा लिखित
आरती की पाण्डुलिपि संग्रह भी अभी तक मौजूद नहीं है। जिससे कहा जा सकता है
कि यह सिर्फ भ्रम फैलाया जा रहा है।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता गम्भीर बिष्ट द्वारा इन पौराणिक
पाण्डुलिपियों को सोशल मीडिया पर सबसे पहले डाला गया जिसके बाद से ही
आरती के रचानाकार को लेकर चर्चाओं का दौर भी शुरु हुआ है। वहीं चैथी पीडी
के 87 वर्षीय अवतार सिंह बत्र्वाल व उनकी बहू सरला देवी भी मानती हैं कि
उन्होने भी अपने पुराने लोगों से सुना है और उसी आधार पर जानते हैं कि
बद्रीनाथ से जुडी आरती उनके पुराने परिजनों द्वारा गायी जाती थी।
करोडों हिन्दुओं की आस्था से जुडी बद्रीनाथ जी की आरती को लेकर भले ही
चर्चाओं के दौर शुरु हो गये हैं मगर अभी तक भी आरती को लेकर कोई भी पुख्ता
प्रमाण सामने नहीं आये थे। अब आरती को लेकर स्यूपुरी गांव के बत्र्वाल
परिवार द्वारा पौराणिक पाण्डुलिपयों के आधार पर जो तथ्य सामने रखे गये हैं
उसकी क्या प्रमाणिक्ता है यह तो इतिहासवेता व पुरातत्ववेता ही बता पायेंगे
मगर जिस तरह से ये पौराणिक पाण्डुलिपियां सामने आयी हैं वह इतिहास के किसी
रहस्य को जरुर उजागर करेंगी।
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