Halloween party ideas 2015

एक पुरोहित के शब्द, अटल जी को समर्पित--

हरिद्वार से श्रद्धेय अटल जी के जुड़ाव के कारण सुबह से ही इलेक्ट्रोनिक/प्रिंट मीडिया का जमावड़ा उस रामघाट पर रहा जहाँ मेरा भी प्रतिष्ठान है। मेरे पिता व मोहल्ले के अन्य लोगों ने बताया की अटल जी जब भी अशांत होते थे तो वें हरिद्वार चले आते थे यहाँ घंटों गंगा घाट पर बैठते,गंगा की लहरों से बात करते व ध्यान लगा तप मुद्रा में आ जाते थे।
शाम को स्थानीय कायकर्ताओं से भेंटवार्ता गंगा तट पर ही करना चूँकि आगरा के बटेशवर पुरोहित परिवार में ही वें जन्मे थे ।इसिलिये हरिद्वार के पुरोहितों से उनका लगाव भी रहता था पूर्व MLA स्व० राजकुमार शर्मा जी,मेरे दादा पूज्य स्व० पं०चक्खनलाल जी,पूर्व गंगा सभा अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी जी,अरुण दलाल जी,स्व० सोमदत्त श्रोत्रिय जी,विश्वेश्वर मिश्रा जी, मेरे पूज्य पिता श्री यतिन्द्र सिखौला जी सहित अन्य भाजपा नेता स्व० राममूर्ति वीर जी,वैद्य रघुबीर बेदी जी,विमल कुमार जी,चड्ढा जी,सहगल जी,पद्मचंद गुप्ता जी आदी नेताओं से भी वार्ता करते थे । उस समय गिनती के नेता ही संगठन में थे। उन्ही का तप है की आज भाजपा विश्व की सबसे बड़ी ग्यारह करोड़ सदस्यों वाला संगठन हो गया । श्रेय भले  कोई ले तप उन्ही  का है।
अटल जी मस्तमोला इंसान थे , वही वें खान-पान के भी शौक़ीन थे , जयपुरिया धर्मशाला के बाहर ही खड़े ओमि ( ॐ प्रकाश ) चाट वाले की ठेली पर ही लगी स्टूल पर बैठ कर सुखी टिक्की (दही-चटनी रहित)  व चाट के चटकारे लेते थे , घाट से आती गंगा की ठंडी लहरें चाट की चटपटाहट से निकले पसीनों को राहत देतीं थी इसलिए कमरे की जगह ठेली पर ही मज़ा चखते थे फिर हाफ़ पेंट में ही बाज़ार जा कर पीपल वाली दुकान से कढ़ाई वाला दूध पीना तो  छोटेलाल जी  या रामशरण जी की जलेबी खानी । इन सब क्रियाओं के कई गवाह आज भी हमारे क्षेत्र में है जो आज बस उनके उन लमहों को याद कर रहें है । पूज्य पिता जी सहित कई से आज मीडिया वालों से वार्ता भी कराई । जयपुरिया भवन के उस  24 नम्बर कमरे के चित्र लिए, उनके समय का एक मात्र कर्मचारी  ‘विष्णु’ ही अब धर्मशाला में कार्यरत है जो बता रहा  था , कि उन्होंने कभी महसूस ही नही होने दिया  कि वो एक बड़ी हस्ती हैं।
  सामान्य व्यवहार के धनी अटल जी कोई कार्य कहते तो  बहुत व्यवहारिक तरीक़े से जबकि सामान्यतः कर्मचारियों को अलग व्यवहार का सामना करना पड़ता है ।
वो भी अटल जी की मिल रही ख़बरों से बहुत दुःखी था और  इसीलिए अटल जी  के लिए , जब हमने गंगा में दुग्धाभिषेक किया , तो वो तथा धर्मशाला वर्तमान प्रबंधक राकेश वशिष्ठ जी भी साथ आ गए।
जानकारों का मानना  है कि अटल जी  की माँ गंगा के प्रति बहुत श्रद्धा थी,गंगा जी ने ही उनको शिखर तक पहुँचाया ।

माँ गंगा उन्हें अपनी गोद में स्थान दें । उन्हें शत शत नमन 
इस लेख के माध्यम से हमारी भी भावभीनी श्रद्धांजली
अटल बिहारी बाजपेयी अमर रहे-अमर रहे।।

   ( तीर्थपुरोहित उज्ज्वल पंडित )

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.