लखनऊ:
राजधानी में 21 व 22 फरवरी को इन्वेस्टर समिट के दौरान लखनऊ नगर निगम द्वारा शहर को जगमग करने हेतु लगायी गयी एलईडी लाईट में हुए घोटाले पर लगायी गयी आरटीआई का जवाब न देने पर राज्य सूचना आयोग ने 25 हजार का जुर्माना लगाया है
साथ ही अगली तारीख 12 सितम्बर तक तक जवाब न देने पर दो
लाख जुर्माना व विभागीय कार्यवाही हेतु पत्र जारी करने की चेतावनी दी है।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 21 व 22 फरवरी को आयोजित इन्वेस्टर
समिट में लखनऊ नगर निगम द्वारा शहर को जगमग करने हेतु एलईडी लाइट लगाई गयी
थी ।
जिसमे एलईडी की असल खरीद की कीमत से ज्यादा फर्म मेसर्स खन्ना
इलेक्ट्रिक कंपनी को एलईडी लगाने हेतु किराए के भुगतान का मामला प्रकाश में
आया था। इस सुनवाई में लखनऊ नगर निगम के मार्ग प्रकाश मुख्य अभियंता राम
नगीना त्रिपाठी खुद उपस्थित नहीं हुए और सहायक जन सूचना अधिकारी को सुनवाई
हेतु भेजा।
सहायक जनसूचना प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति के लखनऊ आगमन की वजह
से काम ज्यादा होने के चलते जानकारी उपलब्ध न करा पाने का कारण बताया। जिस
पर गौरव माहेश्वरी ने आयोग के सामने दलील रखी कि असल में इन्वेस्टर समिट के
दौरान एलईडी लाईट को किराए पर लिया गया । जिसके किराए का भुगतान असल कीमत से
ज्यादा है। जिसके कारण अधिकारी जानकारी उपलब्ध कराने से डर रहे है । ताकि
शासकीय धन की लूटपाट के चलते वह जेल न चले जाए। पहली आरटीआई के जवाब से
गौरव माहेश्वरी ने संतुष्टि जताते हुए बाकी बची आठ आरटीआर्ठ का जवाब न देने
के लिए लखनऊ नगर निगम पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उपरोक्त दोनों पक्षों की
दलीलों को सुनने के बाद राज्य सूचना आयुक्त ने लखनऊ नगर निगम पर आठ आरटीआई
का जवाब न देने पर पहली आरटीआई पर 25 हजार जुर्माना लगाया और उसी के साथ
अगली सुनवाई 12 सितम्बर तय करते हुए चेतावनी देते हुए कहा कि इस बाद दो लाख
का जुर्माना लगाने के साथ शान का विभागीय कार्यवाही हेतु पत्र लिखेंगे।
गौरव माहेश्वरी ने कहा कि जैसे ही समस्त जानकारी मिलेगी दोषी अधिकारियों की
जेल जाने की नौबत आ जायेगी।
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