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सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी की सफाई के लिए अपशिष्‍ट जल प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन और घाटों तथा शवदाह गृहों के विकास से जुड़ी कई परियोजना को क्रियान्वित किया है। 



अब तक  अपशिष्‍ट जल प्रबंधन की 105 परियोजनाओं, घाटों की सफाई की तीन परियोजनाओं और घाट तथा शवदाह गृहों के विकास की 37 परियोजनाओं का काम हाथ में लिया गया है। 

गंगा नदी के छोटे और बड़े घाटों पर शवदाह की वजह से हुए प्रदूषण के स्‍तर के संबंध में कोई सूचना उपलब्‍ध नहीं है। हालांकि केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के जल गुणवत्‍ता आंकड़ों के अनुसार नदी के स्‍वास्‍थ्‍य संकेतक विघटित ऑक्‍सीजन नहाने के जल की गुणवत्‍ता के लिए स्‍वीकार्य सीमा के अंदर और सभी मौसम में नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संतोषजनक पाई गई।
2017 में किया गया नदी जल गुणवत्‍ता आकलन 2016 की तुलना में जल की गुणवत्‍ता में सुधार के संकेत देता है। गंगा नदी के जल में 33 जगहों पर विघटित ऑक्‍सीजन के स्‍तर में सुधार हुआ है और यह जल में नहाने की गुणवत्‍ता के लिए आवश्‍यक 5 एमजी प्रति लीटर से अधिक है। जैविक ऑक्‍सीजन मांग (बीओडी) मांग और मल कॉलिफोर्म क्रमश: 26 और 30 जगहों पर सही पाया गया।

गंगा नदी के हिस्‍से जहां पर सुधार देखने को मिला है : - 

· ऋषिकेश सहित 11 स्थानों  PR  गंगा जल गुणवत्ता में सुधार  गंगा यू/एस
· हरिद्वार में गंगा डी/एस
· इलाहाबाद में गंगा डी/एस (संगम),
· कानपुर में गंगा डी/एस (जजामो पंपिंग स्टेशन)
· वाराणसी में गंगा यू/एस (अस्‍सी घाट)
· बक्सर में गंगा, रामरेखा घाट
· पुनपुन, पटना में गंगा
· डायमंड हार्बर पर गंगा
· गार्डन रीच पर गंगा
· बहरामपुर में गंगा
· हावड़ा शिवपुर में गंगा
यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्‍य मंत्री डॉ. सत्‍यपाल सिंह ने दी।

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