रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
मिनी इंडस्ट्यिल एरिया,रुद्रप्रयाग में जमीन का बडा फर्जीवाडा सामने आया है अधिकारियों की मिली भगत से औद्योगिक इकाई स्थापित करने के नाम पर आवंटित भू खण्डों पर आवासीय भवन बना दिये गये हैं और अब अधिकारी अपनी खामियों को छुपाने के लिए नोटिस जारी करने की बात कर रहे हैं। वहीं भूखण्डों की चारदीवारी न होने यहां अवैध अतिक्रमण भी होने लग गये हैं।
बाचस्पिति सेमवाल सचिव भेषज संघ का मानना है कि भटवाडीसैण में जो इकाइयां लगी भी हुई हैं उनके संचालन में भी विभागीय
समन्वय नहीं दिख रहा है यही कारण है कि यहां बडे स्तर पर औद्यौगिक इकाइयां
संचालित नहीं हो पा रही हैं और जो इकाइयां लग भी रही हैं वह भी समन्वय न
होने से बंदी की और बढ रही हैं।
भूपेंद्र भंडारी
मिनी इंडस्ट्यिल एरिया,रुद्रप्रयाग में जमीन का बडा फर्जीवाडा सामने आया है अधिकारियों की मिली भगत से औद्योगिक इकाई स्थापित करने के नाम पर आवंटित भू खण्डों पर आवासीय भवन बना दिये गये हैं और अब अधिकारी अपनी खामियों को छुपाने के लिए नोटिस जारी करने की बात कर रहे हैं। वहीं भूखण्डों की चारदीवारी न होने यहां अवैध अतिक्रमण भी होने लग गये हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भटवाडीसैण में मिनी
इंडस्ट्यिल एंरिया स्थापित किया गया। यहां पर कुल 5 हजार 1 सौ 87 हैक्टेयर
भूमि को अधिगृहित कर 50 प्लाटों में बदला गया। विभाग ने औद्योगिक इकाइयों
को स्थापित करने के लिए 40 भू-खण्ड 11 इकाइयों को आवंटित भी किये मगर
वर्तमान में यहां महज 6 इकाइयां ही संचालित हैं। वहीं कई भू-खण्ड स्वामियों
द्वारा यहां इकाई स्थापित न करते हुए अपने लिए आवासीय भवन बना डाले और
व्यवशायिक गतिविधियों के वजाय आवासीय गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। इधर
विभाग की अनदेखी के चलते सरकारी जमीनों पर अब अवैध अतिक्रमण भी होने लग गया
है जिससे इंडस्ट्यिल ऐरिया रिहायशी ऐरिया में तब्दील होता दिख रहा है। चार
प्लाटों पर एक आवासीय कोटी बनी हुई तो दो अन्य इकाइयों ने भी अपनी छतों पर
आवस बना दिये हैं। स्थानीय लोगों का कहना है उनके द्वारा जमीनें उद्योगों
केा बडावा देने के लिए दी गयी थी मगर यहां उद्योग लगना तो दूर अब
अधिकारियों की मिली भगत से जमीनों पर आवासीय भवन बनने लग गये हैं।
वहीं इस मसले को लेकर जब उद्योग विभाग के महाप्रबन्धक से पूछा गया तो वह
अपना पल्लू झाडते नजर आये उनका कहना था कि पूर्व में सम्बन्धित फर्मों
द्वारा इकाई स्थापित करने का नक्शा दिखाया गया था और अब 3 फर्मों को नोटिस
जारी किया जा रहा है।
अधिकारियों की नाक के नीचे औद्यौगिक भूमि पर आवास बनते रहे और अब विभाग
द्वारा नोटिस थमाये जाने के बयान से साफ है कि विभागीय मिलीभगत का ही नतीजा
है कि इतने लम्बे समय से यहां उद्योग लगने के वजाय आवासीय भवन बनते रहे और
विभाग भी इन्हें अपनी मूक सहमति देते रहे।
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