मुख्यमंत्री
त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना
के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित
की है।
कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर कल अपने संदेश में
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में सैनिकों की वीरता व
बलिदान की लम्बी परम्परा रही है। कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में
उत्तराखण्ड के सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों, पूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के
कल्याण के लिए वचनबद्ध है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा
कि भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में जिस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों
में वीरता का परिचय देते हुए घुसपैठियों को सीमा पार खदेड़ा, उससे पूरे
विश्व ने भारतीय सेना का लोहा माना। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की
रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।
कारगिल जम्मू एवं कश्मीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। वैसे यह स्थान मुख्य से बौद्ध पर्यटन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां बौद्धों के कई प्रसिद्ध मठ स्थित है। मठों के अतिरिक्त यहां कई अन्य चीजें भी घूमने लायक है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ट्रैकिंग का शौक रखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। कारगिल जिला कश्मीर घाटी के उत्तर-पूर्व पर स्थित है। यह स्थान श्रीनगर से 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कारगिल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध से चर्चा में आया था।
कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय भी) भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है।
पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5,000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊँचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था।
पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज़ शरीफ़ की सरकार को हटाकर परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफ़ी मजबूती मिली। भारतीय सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फ़िल्में बनीं जिनमें एल ओ सी कारगिल, लक्ष्य और धूप मुख्य हैं।
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