रुद्रप्रयाग;
भूपेंद्र भंडारी
कास्तकारों को जडी बूटी उत्पादन के लिए प्रेरित करने व जडी बूटियों को रोजगार से जोडने की सरकारी पहल जिले में जंक खा रही है।
वर्ष 2004-05 में जिले के मिनी औद्योगिक संस्थान भटवाडी सैण में स्थापित जडी-बूटी तेल पिराई यूनिट बंद पडी है और लाखों रुपये का संयन्त्र खराब होने की कगार पर है। यूनिट के सफल संचालन न होने के चलते इस औद्यौगिक इकाई से चन्द लीटर तेल भी नहीं निकल पाया।
भूपेंद्र भंडारी
कास्तकारों को जडी बूटी उत्पादन के लिए प्रेरित करने व जडी बूटियों को रोजगार से जोडने की सरकारी पहल जिले में जंक खा रही है।
वर्ष 2004-05 में जिले के मिनी औद्योगिक संस्थान भटवाडी सैण में स्थापित जडी-बूटी तेल पिराई यूनिट बंद पडी है और लाखों रुपये का संयन्त्र खराब होने की कगार पर है। यूनिट के सफल संचालन न होने के चलते इस औद्यौगिक इकाई से चन्द लीटर तेल भी नहीं निकल पाया।
लक्ष्मण रावत सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि वर्ष 2004-05 में जडी-बूटी शोध संस्थान के द्वारा औद्यौगिक क्षेत्र भटवाडीसैण में करीब पांच लाख रुपये की लागत से एक आस्वन यूनिट की स्थापना की गयी थी। जिसका उद्देश्य था कि किसानों को जडी बूटी के क्षेत्र में प्रेरित करते हुए उनको रोजगार से जोडना था। यूनिट के जरिये लेमन ग्रास व सेक्ट्ोनेला जैसी कई जडी-बूटियों का शुद्वीकरण करना व तेल निकालना था। मगर विभागों द्वारा सही समन्वय स्थापित न किये जाने से इकाई शुरु होते ही बन्द हो गयी। जिसके चलते इकाई अब सढकर महज एक ढांचा रह गया है।
वहीं जिला भेषज संघ के सचिव बाचस्पिति सेमवाल का कहना है कि इस दिशा में काश्तकारों को प्रेरित किया गया था मगर काश्तकारों द्वारा रुचि न दिखाये जाने के कारण यूनिट को बन्द करना पडा। कहा कि राॅ मेटिरियल की भारी कमी होने के कारण यूनिट तब से लेकर अभी तक बन्द पडी है।
जिला भेषज संघ कास्तकारों को उत्पादन को लेकर प्रेरित करने का दावा तो कर रहा है मगर इस तरह की औद्यौगिक इकाइयों के बन्द होने से साफ कहा जा सकता है कि संघ रोजगार परख कार्ययोजना सही तरीके से तैयार नहीं कर पा रहा है जिसके चलते कास्तकार रोजगार से नहीं जुड पा रहा है और सरकारी योजनाएं महज शोपीस बनकर व्यवस्थाओं को चिढ़ा रही है।
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