रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
जिला अस्पताल , रुद्रप्रयाग में प्रसव के दौरान एक महिला की मौत हो गयी है। जिसको लेकर स्थानीय लोगों के साथ, परिजनों ने महिला के शव को अस्पताल के मुख्य गेट पर रखकर जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप था कि अगर महिला की स्थिति ठीक नहीं थी तो क्यों चिकित्सकों ने 13 घंटे, तक महिला को तडपता छोड दिया और उसके बाद रैफर कर अपना पल्लू झाडा।
मामले को लेकर बडे हंगामें के चलते मौके पर भारी पुलिस बल को तैनात कर दिया गया और डीएम के निर्देशों पर पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिये गये हैं। साथ ही महिला व नवजात बच्चे का पोस्टर्माटम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया है।
- बीते दिवस सुबह करीब नौ बजे प्रसव पीड़ा होने के कारण महिला को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, चिकित्सकों के अनुसार महिला की सभी रिपोर्टें सामान्य थी मगर डाक्टारों की लापरवाही के चलते महिला को रात करीब 11 बजे स्थिति नाजुक बताते हुए, श्रीनगर के लिए रैफर किया गया। जहां पहुचने से पहले ही महिला की मौत हो गयी। जबकि महिला का नवजात बच्चा आधा बाहर आ चुका था और जिला असपताल में सभी सुविधाएं होने के बावजूद भी महिला को रैफर किया गया।
गुस्साये लोगों का आरोप था कि चिकित्सकों द्वारा मामले में भारी लापरवाही बरती गयी है जिसका सबूत श्रीनगर बेस असपताल ने दिया है कि उपचार के दौरान ही लापरवाही के चलते गर्भाशय फट गया गया था। जिसके चलते बच्चे व महिला की जान गयी। महिला चिकित्सक भी मान रही हैं कि उपचार के दौरान बच्चे की सांसे चल रही थी और यूट्स का मुह खुल गया था मगर। सर्जरी के जरिये मां व बच्चे को बचाने के वजाय पीडिता को 32 किमी दूर रैफर कर दिया गया।
जनता के आक्रोश को देखते हुए एडीएम, सीओ पुलिस, सीएमओ, सीएमएस, एसडीएम समेत तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे और जनता को समझाने का प्रयास किया। एडीएम ने मामले को संभालते हुए मामले की मजिस्ट्ेटी जांच के आदेश देते हुए दोषियों पर तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिये। साथ ही महिला को उचित मुआवजा दिलाने की बात कह कर मामले को किसी तरह थामा
मात्र रैफर सेन्टर बने जिला अस्पताल के गाइनी विभाग का यह पहला मामला नहीं है आये दिन इस तरह की घटनाएं यहां होती रहती हैं मगर प्रकाश में ना आने के कारण यहां डाक्टरों के होसले बुलंद हैं और जब चाहे जिसे चाहे रैफर कर देना ही यहां के डाक्टरों की दिनचर्या में शुमार हो गया है। अधिकारी गलती को तो मान रहे हैं मगर कैमरे के सामने कोई भी बोलने को तैयार नहीं हैं महज जांच की बात कह कर अपनी सेवाओं को पूरी समझ रहे हैं ऐसे में बडा सवाल यह है कि ऐसे डाक्टरों के जिम्मे कब तक गर्भवती महिलाएं अकारण ही मरती रहेंगी।
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