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रुद्रप्रयाग;

भूपेंद्र भण्डारी

डिलीवरी के दौरान हुई लापरवाही के बाद महिला व बच्चे की मौत का मामला तूल पकडता जा रहा है। मेडिकल बोर्ड द्वारा महिला चिकित्साधिकारी को क्लीन चिट्ट दिये जाने से स्थानीय जनप्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। जनप्रतिनिधियों ने मामले की न्यायिक व उच्च स्तरीय एक्सपर्टों की टीम से जांच की मांग की है। साथ ही आरोप लगाया कि मेडिकल बोर्ड ने चिकित्सक की लापरवाहियों को छुपाने का कार्य किया है जबकि मजिस्ट्रेट जाच में घोर लापरवाहीी सामने आई है।
बीती तीन व चार जुलाई को डिलीवरी के दौरान महिला की मौत हो गयी थी। जिसको लेकर परिजनों समेत जनप्रतिनिधियों ने जिला अस्पताल में जमकर हंगामा किया था और विवश होकर प्रशासन को मामले की मजिस्ट्ेटी व विभागीय जांच के आदेश देने पडे थे। 
मजिस्ट्ेटी जांच में महिला डाॅक्टर को दोषी पाया गया था और डीएम के निर्देशों पर पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज कर दी थी। मगर बिना मेडिकल बोर्ड की जांच के कोई भी कार्यवाही न होने के आदेश के बाद पुलिस ने एफआईआर को वापस ले लिया था। 
स्थानीय जनसंगठनों  जन अधिकार मंच ने आरोप लगाया कि अस्पताल में ही तैनात चिकित्साधिकारी को बोर्ड का सदस्य बनाकर मामले को ठण्डे बस्ते में डालने का काम किया गया। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए जिससे मृतका को न्याय मिल सके।

- रुद्रप्रयाग के विधायक भरत सिंह चैधरी का कहना है कि मामले में बोर्ड द्वारा एक तरफा रिपोर्ट दी गयी है जब्कि मजिस्ट्ेटी जांच में अनेक पहलुओं को उजागर किया गया है। कहा कि पूरे प्रकरण में किस स्तर पर लापरवाही हुई है इसके लिए हाई पाॅवर कमेठी का गठन किया जाना चाहिए और इण्डियन मेडिकल काॅउन्सलिंग को मामले का संज्ञान लेना चाहिए
वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि उनके स्तर से दोनों रिर्पोटों का परीक्षण किया जा रहा है और मामले को शासन स्तर पर भेजा जायेगा। 

 उधर सीएमओ एसके झा का कहना है कि मेडिकल बोर्ड में सीनियर व एक्सपर्ट डाक्टरों को रखा जाता है और उसी गाइड लाइन के अनुसार दो सदस्यीय बोर्ड का गठन किया गया था अब क्यूं कि दोनों रिपोर्ट अलग-अलग हैं तो उच्चाधिकारियों को भी सूचित कर दिया गया है उच्चाधिकारियों के अग्रिम आदेशों के बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा।
 मेडिकल बोर्ड व मजिस्टे्टी जांच रिपोर्टों में अलग-अलग तथ्य उजागर होने से महिला की मौत की गुत्थी अभी अनसुलझी बनी हुई है भले ही पोस्टर्माटम रिपोर्ट में बच्चेदानी के फटने से महिला की मौत होने की पुष्टि हुई है पर सवाल अभी बरकरार है कि आखिर किन लापरवाहियों की वजह से एक गर्भवती महिला को मौत के मुंह में जाना पडा।

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