खलील पहलवान हत्याकांड के आरोपी शहजाद को जब पुलिस ने पकड़ लिया तो उसने खुलासे के दौरान एएसपी डॉ.जगदीश चंद्र की मौजूदगी में पत्रकारों के सामने गोली मारने की बात कबूली।उसने
कहा कि करीब चार साल पहले भवन निर्माण के दौरान जेसीबी से नाला साफ करवा रहा था। आरोप है कि तभी खलील के बेटे गुड्डू द्वारा जेसीबी चालक आदि से मारपीट की गई जिसको लेकर उसका गुड्डू से विवाद हुआ था। इसी बात को लेकर उसकी रंजिश चली आ रही थी। उसने कहा कि करीब एक सप्ताह पहले भी पहलवान द्वारा उसे धमकाया गया था, यदि खलील को नहीं मारता तो वह मुझे मार देता।
घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जब मैं अपने साथी मेहंदी उर्फ टिक्लू के साथ पहुंचा तो खलील ताश खेल रहा था और मुझे देखते ही वहां से उठ कर जाने लगा, लेकिन उसने खलील को उठने का मौका नहीं दिया और तमंचा निकालकर फायर झोंक दिया।
अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. जगदीश चंद्र ने बताया कि खलील हत्याकांड के दोनों आरोपित इससे पहले भी जेल जा चुके हैं। शहजाद आलम वर्ष 2002 में 307 के एक मामले में जेल जा चुका है, जिसमें वह बाद में न्यायालय से बरीहो गया था। वहीं दूसरा आरोपित मेहंदी उर्फ टिक्लू वर्ष 2009 में 302 के एक मामले में जेल गया था जिसमें उसे सात साल की सजा हुई थी। एएसपी डॉ.जगदीश चंद ने बताया कि पूछताछ के दौरान शहजाद ने खलील की हत्या करने के लिए उत्तराखंड को चुनने की बात भी कबूल की है।
खलील का घर उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के बिलकुल बॉर्डर पर है, शहजाद ने काफी समय पहले खलील को मारने का प्लान बना लिया था और उसके लिए सही मौके की तलाश कर रहा था। एएसपी के अनुसार घटना के लिए उत्तराखंड को चुनने के पीछे शहजाद का यह मानना था कि यहां उच्च न्यायालय अधिक दूर नहीं है, जबकि उ०प्र० में इलाहाबाद है, जोकि यहां से काफी दूर पडता है, दूसरी वजह खलील का उ०प्र क्षेत्र में अधिक वर्चस्व होने की बात शहजाद द्वारा कही जा रही है, जिसके चलते उसे डर था कि यदि उसने खलील को उ०प्र० क्षेत्र में शूट किया तो उसकी दिक्कतें अधिक बढ जाएंगी। एएसपी ने कहा उ०प्र हो या उत्तराखंड कानून हर जगह पूरी ईमानदारी के साथ न्यायपूर्ण कार्य करता है।
एक टिप्पणी भेजें