Halloween party ideas 2015

 उत्तरकाशी:
:वीरेंद्र सिंह


भारत चीन युद्ध के दौरान 1962 में जादूंग, नेलांग व कारछा गांव से रह रहे भोटिया व जाड़ समुदाय के ग्रामीणों को हटाया गया था। तब ये ग्रामीण बगोरी, डुंडा व हर्षिल आ गए थे। लेकिन इनके स्थानीय देवता आज भी वहीं हैं। हर वर्ष ये ग्रामीण आपने देवताओं की पूजा के लिए जाते हैं। उनका मानना है कि पूर्वजों के लिए और  भविष्य में ganv की सुख शांति के लिए पूजा का आयोजन किया जाता है. 
इस बार भी सोमेश्वर, रिंगाली देवी की डोली लेकर जादूंग पहुंचे। जहां इन ग्रामीणों ने पहले नेलांग में रिंगली देवी की पूजा, अर्चना की। करीब एक घंटे तक रिंगाली देवी चौक में रांसो तांदी नृत्य का आयोजन हुआ। जिसके बाद जादूंग में लाल देवता व चैन देवता की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। पूजा अर्चना के बाद महिला व पुरूषों ने देवता की डोली के साथ रांसो-तांदी नृत्य किया। इस मौके पर स्थानीय महिलाओं ने पौराणिक गीत भी गए। पूजा अर्चना समापन होने के बाद ग्रामीणों ने हलवा व पूरी को प्रसाद वितरितकिया गया। शाम होते ही नेलांग घाटी से वापस बगोरी गांव लौटे। ग्रामीणों के साथ कई पर्यटक भी जादूंग पहुंचे थे। गौरतलब है कि जादूंग बेहद ही खूबसूरत स्थान है। यहां नदी, झरने, ट्रांस हिमालय की खूबसूरत पहाड़ियां हैं। पर्यटक भी यहाँ  बड़ी संख्या में आना चाहते हैं।

भारत-चीन सीमा पर स्थित जादूंग व नेलांग गांव में भोटिया व जाड़ समुदाय के लोग अपनी देवी व देवताओं की डोली लेकर पहुंचे। जहां महिलाओं व पुरुषों ने पांडव चौक व रिंगाली देवी चौक में रांसो-तांदी नृत्य प्रस्तुत किया तथा  रिंगली देवी की डोली को कंधे पर उठाकर नचाया। इस मौके पर ग्रामीणों ने लाल देवता, चैन देवता तथा रिंगाली देवी की विधि विधान से पूजा अर्चना की। सीमा पर तैनात आइटीबीपी के जवान भी पूजा अर्चना में शामिल हुए।



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