हिंद महासागर में चीन से निपटने की भारत की कोशिशों को अफ्रीकी देश सेशेल्स ने तगड़ा झटका दिया है. मालदीव के साथ नाजुक रिश्तों के बाद ,अब सेशेल्स ने भारत के साथ असम्पशन आइसलैंड में नौसैनिक अड्डा बनाने के करार को रद्द कर दिया है. साल 2015 में भारत और सेशेल्स के बीच असम्पशन आइसलैंड में नौसैनिक अड्डा बनाने के लिए समझौता हुआ था.
भारत दौरे से पहले सेशेल्स के राष्ट्रपति डेनी फॉरे ने अपने यहां नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते को रद्द करने की जानकारी दी. सेशेल्स के असम्पशन आइसलैंड में भारत इसलिए नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है, ताकि वो हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को रोक सके. हाल ही में हिंद महासागर में चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं. वह इस इलाके में लगातार अपनी पैठ मजबूत कर रहा है, जो भारत के लिए चिंताजनक है.
बताया जा रहा है कि सेशेल्स के राष्ट्रपति फॉरे 25-26 जून को भारत आ रहे हैं. यहां वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, लेकिन इस दौरान असम्पशन आइसलैंड पर नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते पर कोई बातचीत नहीं होगी. इससे पहले साल 2015 में पीएम मोदी सेशेल्स गए थे और इस नौसैनिक अड्डा को बनाने का करार किया था.
भारत और सेशेल्स के बीच इस नौसैनिक अड्डा को बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से विरोध हो रहा है. वहां के विपक्षी दल इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. इसी के चलते सेशेल्स की सरकार इस समझौते पर संसद की मंजूरी हासिल करने में विफल रही, जिसका नतीजा यह हुआ कि सेशेल्स को भारत के साथ नौसैनिक अड्डा बनाने के करार को रद्द करना पड़ा.
हालांकि इस समझौते को बचाने के लिए पूर्व भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने काफी कोशिश की थी. इसको लेकर विजय गोखले ने भी सेशेल्स का दौरा किया था.
इसके अलावा दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल सोलर अलायंस समिट और लंदन में कॉमनवेल्थ समिट से इतर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति फॉरे से मुलाकात की थी. इसके अलावा मोदी सरकार इस मसले को लेकर सेशेल्स के विपक्ष से भी संपर्क में रही, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ और सेशेल्स ने समझौते को रद्द कर दिया.
भारत दौरे से पहले सेशेल्स के राष्ट्रपति डेनी फॉरे ने अपने यहां नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते को रद्द करने की जानकारी दी. सेशेल्स के असम्पशन आइसलैंड में भारत इसलिए नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है, ताकि वो हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को रोक सके. हाल ही में हिंद महासागर में चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं. वह इस इलाके में लगातार अपनी पैठ मजबूत कर रहा है, जो भारत के लिए चिंताजनक है.
बताया जा रहा है कि सेशेल्स के राष्ट्रपति फॉरे 25-26 जून को भारत आ रहे हैं. यहां वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, लेकिन इस दौरान असम्पशन आइसलैंड पर नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते पर कोई बातचीत नहीं होगी. इससे पहले साल 2015 में पीएम मोदी सेशेल्स गए थे और इस नौसैनिक अड्डा को बनाने का करार किया था.
भारत और सेशेल्स के बीच इस नौसैनिक अड्डा को बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से विरोध हो रहा है. वहां के विपक्षी दल इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. इसी के चलते सेशेल्स की सरकार इस समझौते पर संसद की मंजूरी हासिल करने में विफल रही, जिसका नतीजा यह हुआ कि सेशेल्स को भारत के साथ नौसैनिक अड्डा बनाने के करार को रद्द करना पड़ा.
हालांकि इस समझौते को बचाने के लिए पूर्व भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने काफी कोशिश की थी. इसको लेकर विजय गोखले ने भी सेशेल्स का दौरा किया था.
इसके अलावा दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल सोलर अलायंस समिट और लंदन में कॉमनवेल्थ समिट से इतर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति फॉरे से मुलाकात की थी. इसके अलावा मोदी सरकार इस मसले को लेकर सेशेल्स के विपक्ष से भी संपर्क में रही, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ और सेशेल्स ने समझौते को रद्द कर दिया.
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