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रूद्रप्रयाग:

        राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अन्तर्गत गंगा दशहरा के अवसर पर जिला गंगा समिति द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। ब्लाॅक सभागार अगस्त्यमुनि में कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने गंगा को स्वच्छ रखने में सभी को अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया। कहा कि हमें जिम्मेदारियों को एक दूसरे पर थोपने की प्रवृति का त्याग करना होगा। समाज में आज भी जागरूकता का अभाव है। नई पीढ़ी को गंगा की स्वच्छता की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना होगा।
        पर्यावरणविद् जगतसिंह जंगली ने गाड़, गधेरों, धारे, पंधेरों के संरक्षण पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि अब समय आ गया है कि हमें पानी के उत्पादन पर भी जोर देना होगा। हमें अपनी वन नीति को संशोधित करने की आवश्यकता है। वनों को बचाकर ही हम गंगा को बचाने की बात कर सकते हैं। इसके लिए मिश्रित वन लगाने होंगे। गंगा समिति के सदस्य राजेन्द्र गोस्वामी ने कहा कि हमें अपने पारम्परिक रीति रिवाजों से गंगा की स्वच्छता एवं पवित्रता को पुनः स्थापित करना होगा। जिसके लिए हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोना होगा। जैसा कि हमारे वेद पुराणों में भी उल्लिखित है। हमें अपने जल स्रोतों को संरक्षित करना होगा। अगस्त्यमुनि के प्रमुख जगमोहन रौथाण ने कहा कि जनसहभागिता से ही गंगा को स्वच्छ किया जा सकता है। स्वयं जागरूक होकर अन्य को भी जागरूक करना होगा। कई वक्ताओं ने प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध के साथ ही कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था करने का उल्लेख किया तो कई ने श्रमिकों के लिए आवश्यक रूप से शौचालयों के निर्माण पर जोर दिया। जनपद के परियोजना निदेशक एनएस रावत ने गंगा प्रदूषण को लेकर बने कानूनों की जानकारी दी।
        कार्यशाला को ऊखीमठ के प्रमुख संतलाल, बीडीओ धनेश्वरी नेगी, पीजी कालेज के प्राचार्य आदि ने भी सम्बोधित किया। संचालन स्वजल के विशेषज्ञ पीएस मटूड़ा ने किया। इस अवसर पर क्षेपंस माधुरी नेगी, प्रधान संगठन के अध्यक्ष राजेश्वरी थपलियाल, बीईओ सुरेन्द्र रावत, डीपी सेमवाल सहित जनपद के कई अधिकारी कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
                                        

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