शिमला:
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत प्रदेश के 5.38 लाख परिवारों को
निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। इस सम्बन्ध में
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत आयुष्मान भारत योजना
के अन्तर्गत सोमवार को शिमला में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत
की मौजूदगी में नेशनल हेल्थ ऐजेन्सी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी
इंदु भूषण एवं प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव नितेश झा के मध्य एमओयू
हस्ताक्षरित किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति
सूदन भी उपस्थित थी।
इस अवसर पर शिमला में प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन विषय पर आयोजित कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्याशाला में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत
प्रकाश नड्डा, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर, पंजाब के
स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्र, हिमांचल प्रदेश के स्वास्थ्य
मंत्री विपिन सिंह परमार, जम्मू कश्मीर के स्वास्थ्य मंत्री
देवेन्द्र मनयाल एवं हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज उपस्थित थे।
कार्यशाला
को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने आयुष्मान भारत
योजना के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा
कि इस योजना के तहत उत्तराखण्ड के 05 लाख 38 हजार परिवार लाभान्वित होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दिखाये गये मार्ग का अनुश्रवण करते
हुए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा इस योजना को सार्वभौमिक किया गया है इससे
राज्य के सभी 20 लाख परिवारों को यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। यह प्रयास
करने वाला उत्तराखण्ड देश का सम्भवतः पहला राज्य होगा। इस योजना की सबसे
खास बात है कि पात्र व्यक्ति देश के किसी भी इन्पैनल्ड अस्पताल में अपना
कैशलेस इलाज करा सकेंगे। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में राज्य
से बाहर विशेषज्ञ अस्पतालों में निःशुल्क उपचार प्राप्त होने से अस्वस्थ
व्यक्तियों के उपचार पर होने वाले व्यय में कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि
भारत सरकार द्वारा चलाये गये मीजल्स एवं रूबेला टीकाकरण अभियान में
उत्तराखण्ड ने शत प्रतिशत सफलता प्राप्त की है। शहरी क्षेत्रों में शहरी
स्वास्थ्य केन्द्र जो बंद पड़े थे, उन्हें पुनः संचालित करने की अनुमति देने
के लिये केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री
श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति
संवेदनशील एवं सजग है। स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इसमें
निरन्तर नये आयाम जोड़े जा रहे हैंै। इसी दिशा में आयुष्मान भारत योजना भी
अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में हमने सरकार बनते ही
स्वास्थ्य सेवाओं को शीर्ष प्राथमिकता दी है, सरकार द्वारा चिकित्सकों की
कमी को दूर करने के लिए 478 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की है। दूरस्थ
क्षेत्रों में चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध कराई गई है। राज्य के मेडिकल
काॅलेजों में सस्ती चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। डाॅक्टरों से
पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा के लिये बाॅड भरवाये जा रहे हैं, जो चिकित्सक
करार के बावजूद दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए नही गये, उन्हें
नोटिस जारी किये गये। इसके बाद उनमें से 90 चिकित्सकों ने सेवायें देनी
शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मार्च 2017 में 2725
चिकित्सों के सापेक्ष मात्र 1364 चिकित्सक राज्य में थे। वर्तमान में
राज्य में चिकित्सकों की संख्या बढ़कर 2150 हो गई है। प्रदेश में लम्बित
पराचिकित्सीय कर्मियों के भर्ती के प्रयास चल रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य
मिशन के तहत कार्य कर रही आशा कार्यकत्रियों को, जिन्हें विगत पांच वर्षों
से किसी तरह का मानदेय नहीं दिया जा रहा था, उनको 25-25 हजार रूपये
एकमुस्त मानदेय दिया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि
प्रदेश के पर्वतीय एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पर स्वास्थ्य सेवाओं की
उलब्धता सुनिश्चित कराने के लिये राज्य सरकार प्रयासरत है। राज्य के प्रमुख
35 चिकित्सालयों को टेलीरेडियोलाॅजी से जोड़ते हुए मरीजों को जांच सुविधाएं
प्रदान की जा रही है। विशेषज्ञ चिकित्सा उपचार के लिए देश की प्रमुख आईटी
कम्पनी हैवेलेट पेकार्ड(एचपी) के साथ अनुबंध किया है। राज्य के चार दूरस्थ
क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों अगस्तमुनी, भिक्यासैंण, नौगांव
एवं ओखलकाण्डा में ई-हैल्थ सेंटर स्थापित किये हैं, जिन्हें राजकीय मेडिकल
काॅलेज श्रीनगर से जोड़ते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों से उन्हें परामर्श
प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियेाजना को
विस्तारित करते हुए उत्तराखण्ड के चारों धामों के सभी चिकित्सालयों को भी
जल्द ही दून चिकित्सालय से जोड़ा जा रहा है। राज्य के 42 चिकित्सालयों में
आॅन लाईन रजिस्ट्रेशन की सुविधा लागू की गई है। आॅन लाॅईन रजिस्ट्रेशन से
चिकित्सकों के कक्ष के बाहर जो लम्बी लाईन लगानी पड़ती है उससे लोगों को
निजात मिली है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश
में रक्त एवं औषधी की उपलब्धता हेतु ई-रक्त कोष एवं ई- औषधी की व्यवस्था
लागू की गई है। राज्य के बड़े अस्पतालों को ई-अस्पतालों के रूप में विकसित
करने की दिशा में सरकार अग्रसर है। सभी जनपद स्तरीय चिकित्सालयों में
आईसीयू की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही हैं। पिथौरागढ़ में आईसीयू की ईकाई
स्थापित की जा चुकी है। दूरस्थ क्षेत्रों से इसकी शुरूवात की जा रही है।
प्रदेश में 108 आपातकालीन सेवा का सुदृढ़करण किया जा रहा है। सभी 95
विकासखण्डों में 111 नई एम्बुलेंस उपलब्ध कराई जा रही हैं, इससे मरीजों के
ईलाज के लिए रिस्पाॅस टाइम कम होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में घटता
लिंगानुपात सरकार के लिये चिन्ता का विषय है। इसके निदान के लिये एक विशेष
सर्वे अभियान चलाया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप उत्तराखण्ड में
लिंगानुपात में बालिकाओं की संख्या प्रति हजार बालकों पर 888 से बढ़कर 934
हो गई है।
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