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नई दिल्ली;

के जी बोपय्या को प्रोटेम स्पीकर बनाये जाने के मामले में    कांग्रेस को उच्चतम न्यायालय से  निराशा हाथ लगी है। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि केजी बोपैया ही प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे और वही विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराएंगे। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालत राज्यपाल को सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्ति करने का निर्देश नहीं दे सकता। 
 राज्यपाल का पक्ष रख रहे अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि बहुमत का लाइव ब्रॉडकास्ट कराया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी चैनलों को लाइव ब्रॉडकास्ट का एक्सेस मिलना चाहिए। इस पर कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सहमति जताई है।  सिंघवी ने कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था। लाइव टेलिकास्ट की बात से हम उम्मीद करते हैं कि निष्पक्षता बनी रहेगी। मुझे कोई शक नहीं है इस बात पर कि जीत कांग्रेस-जेडीएस की ही होगी।”

बता दें कि सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल कांग्रेस और जेडीएस का पक्ष सामने रख रहे थे। वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी भी सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि प्रोटेम स्पीकर सबसे वरिष्ठ सदस्य को होना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कई बार हुआ है कि प्रोटेम स्पीकर सबसे वरिष्ठ सदस्य नहीं बने।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस-जद (एस) ने केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि याचिका में प्रोटेम स्पीकर के अधिकार सीमित करने की मांग भी की गई थी।

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