Halloween party ideas 2015

ऋषिकेश:




 परमार्थ निकेतन में गंगा की संस्कृति को आत्मसात करने हेतु लोक क्षेम सेवा समिति चेन्नई, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध विद्वान पूज्य शर्मा सास्त्रीगल जी अपने 300 से अधिक अनुयायियों एवं वेदों के 25 प्रकाण्ठ विद्वानों के साथ पधारे।
 इस दल के सदस्यों ने राष्ट्र शान्ति, समृद्धि एवं खुशहाली हेतु श्री शर्मा सास्त्रीगल जी के मार्गदर्शन में परमार्थ गंगा तट पर तीन दिनों तक चलने वाले महारूद्र पारायण, वेद वैभवम्, विष्णु सहस्रनाम एवं रूद्राभिषेक का आयोजन किया।
 लोक क्षेम सेवा समिति के सदस्यों ने परमार्थ योग परिसर से होते हुई परमार्थ गंगा तट तक कलश यात्रा का आयोजन किया जिसमें सैकड़ों की संख्या में चेन्नई से पधारे साधकों एवं परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
 श्री शर्मा सास्त्रीगल जी एवं लोक क्षेम सेवा समिति के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता की। चर्चा के दौरान स्वामी जी महाराज ने वेद पठन-पाठन केन्द्रों के विस्तार पर विशेष जोर दिया साथ ही गौ संवर्द्धन, वृक्षारोपण एवं संस्कृत भाषा के विस्तार हेतु विशद चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’’हमारे ऋषियों ने वेद पारायण और वेदों के तत्वज्ञान हेतु आरण्यक संस्कृति को जन्म दिया था। वर्तमान समय में भौतिकवादी संस्कृति ने आरण्यक संस्कृति को नष्ट कर कांक्रीट सभ्यता को जन्म दिया जिसका परिणाम हम चारों ओर बढ़ते ग्लेाबल वार्मिग एवं प्रदूषण के रूप में देख रहे है जो भावी पीढी़ को सुखद और समृद्ध भविष्य नहीं दे सकती अतः वेद और आरण्यक संस्कृति को अंगीकार करना ही श्रेष्ठ मार्ग है।
स्वामी जी महाराज ने देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया, ’वेब’ को अपनाये परन्तु ’वेद’ रूपी जड़ों से भी जुड़े रहे। ’’वेब’’ सूचना और संचार का माध्यम है जबकि ’’वेद’’ संस्कृति और संस्कारों की जननी है। संस्कार और संस्कृति के बिना मनुष्य का जीवन बिना पतवार की नाव के समान है अतः जीवन को सही दिशा देने हेतु वेदों को अंगीकार करना ही उत्तम है।’’
श्री शर्मा सास्त्रीगल जी ने कहा कि ’वेद मंत्रों का उच्चारण तो कही भी किया जा सकता है परन्तु वेदों को आत्मासात करने हेतु माँ गंगा के तट से उपयुक्त दूसरा स्थान पृथ्वी पर नहीं है। उन्होेने कहा कि परमार्थ गंगा तट की आरती पृथ्वी पर साक्षात् स्वर्ग होने का एहसास कराती है।’
आज की परमार्थ गंगा आरती में दक्षिण और उत्तर की संस्कृतियों के मिलन का मनोरम दृश्य दिखायी दे रहा है। इस पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने श्री शर्मा सास्त्रीगल जी को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया तथा गंगा आरती में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण का संकल्प कराया।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.