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देहरादून:


एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना में 220.72 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना अनुमोदन प्रदान किया गया। इससे 85766 लोगों लोगों को लाभ मिलेगा। मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित परियोजना संचालन समिति की बैठक में मंजूरी दी गई। मुख्य सचिव ने महिला स्वयं सहायता समूहों और प्रोड्यूसर ग्रुप द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। प्रमुख स्थानों पर हिलान्स के आउटलेट सभी जगह खोले जाएं। दिल्ली, देहरादून और अन्य बड़े शहरों के माल और बड़े बाजारों में उत्तराखंड के उत्पाद उपलब्ध कराए जाएं। बैठक में बताया गया खाद्य सुरक्षा, आजीविका वृद्धि, जलागम के माध्यम से लोगों की आमदनी के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उपासक के माध्यम से व्याज अनुदान पर ऋण दिया जा रहा है। भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास निधि (आइफेड) के माध्यम से योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत व्यावसायिक प्रशिक्षण और बाजार व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जा रही है। चारधामों में प्रसाद बनाने का कार्य भी महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। 7043 युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया। 5428 युवाओं का प्रशिक्षण चल रहा है। 2213 लोगों को रोजगार, 385 लोगों को स्वरोजगार मिला है। 347 सिंचाई टैंक, 4530 रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, 34 किलोमीटर सिंचाई चैनल, 30 ग्रामीण तालाब, 390 बायो मास पिट, 310 पॉलीहाउस आदि कार्य कराए गए हैं। गत वर्ष वनस्पतीय बायोमास में 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 27390 क्यूबिक मीटर जल क्षमता बढ़ी है। 571.72 हैक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई क्षमता बढ़ी है। बैठक में बताया गया कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के लिए बनाए गए एमआईएस (मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम) की सराहना भारत सरकार ने की है। विदेशों में एमआईएस का प्रशिक्षण देने के लिए उत्तराखंड के लोगों को बुलाया गया। इसके साथ ही जिओ टैगिंग भी किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्रीमती मनीषा पंवार, सचिव कृषि श्री डी.सेंथिल पांडियन, परियोजना निदेशक श्री कपिल लाल, अपर सचिव श्री राम विलास यादव सहित अन्य अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

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