त्यूणी / चकराता:
घटनाए थम नहीं रही है ,पुरानी घटनाओं से हमने सबक नहीं लिया है............ जौनसार बाबर क्षेत्र में जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते एक महिला को प्रसव के लिए स्वाथ्य केंद्र का साथ नहीं मिला, बल्कि उसने सड़क पर बच्चे को जन्म दिया.
ये कैसा स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदान करने का तरीका है की प्रसव दर्द से पीड़ित एक महिला बनिता पत्नी दनेश दास ,उम्र 24 साल ,थुनारा गांव आराकोट तहसील मोरी, जब त्यूणी अस्पताल में प्रसव करने पंहुची तो कोई चिकित्सक नही मिला और मौजूद नर्स ने बिना उसका चेकअप किये, बिना कोई एंट्री किये , कोई बात किये बगैर वहां से जाने के लिए कह दिया.
महिला ने चलने में असमर्थता जताई और रोते हुए कहा कि उसे बहुत पीड़ा हो रही है तब भी नर्स ने कहा यहाँ कोई इंतजाम नहीं है, आप कहीं और जाएँ।
अस्पताल से बीस कदम की दूरी पर बमुश्किल चल पाई की महिला वहीँ बैठ गयी और जो हुआ वह अत्यंत शर्मनाक है. ये बता देना काफी है की उस महिला ने वहीँ बच्चे को जन्म दिया.
उस महिला की पीड़ा की कोई कीमत नहीं हो सकती,परन्तु क्या उस बच्चे का कोई हक़ नहीं कि उसे जन्म के समय साफ सुथरा स्थान मिले। स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले समस्त स्टाफ चिकित्सक से लेकर सफाई कर्मचारी तक सभी सरकार से तनख्वाह पाते है क्या इस बात कि ताकि समय पर काम न आ सकें? बीमार और जरूरतमंद की तीमारदारी न कर सकें।
ये पहला मामला नहीं है कुछ माह पूर्व भगवानपुर , रूड़की के स्वास्थ्य केंद्र में बरसात में पानी भर जाने के कारण ताले लटके थे और महिला को अस्पताल के बाहर ई- रिक्शा में जन्म देना पड़ा था. वहां भी उसके परिजन ही काम आये और काम आयी आशा।
क्यों, स्वास्थ्य विभाग सोया पड़ा है ? प्रत्येक छोटे से छोटे केंद्र पर महिला चिकित्सक और ए एन एम् या जी एन एम् या प्रशिक्षित मिडवाइफरी कोर्स से सम्बंधित स्टाफ को तैनात क्यों नहीं करते? जब लोग भरोसा करके सरकारी अस्पताल पंहुचतें है तो ऐसे घटनाओ को होने न दिया जाये , किसी भी सहयोग के द्वारा या एम्बुलेंस के द्वारा उसे सही स्थान पंहुचना चाहिए था. समस्त उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेज और उनमे पढ़ने वाले छात्रों की सेवाएं उत्तराखंड में कुछ समय के लिए अनिवार्य कर देनी चाहिए.
सरकार शिक्षा विभाग को लेकर गंभीर है तो स्वास्थ्य विभाग पर भी विचार होना अब जरूरी है. उत्तराखंड तो पहाड़ का प्रदेश है, वहां की स्वास्थ्य सुविधाएँ भौगोलिक संरचना के आधार पर व्यवस्थित होनी चाहिए।
बरहाल डी जी स्वास्थ्य विभाग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए नर्स के खिलाफ एक्शन लेने को कहा है परन्तु क्या इतना करने पर पूरे प्रदेश में घटनाओ की इति श्री हो जाएगी, यह समझने योग्य है।
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