HNN 24X7 न्यूज़ चैनल को पहचान देने वाले एंकर के इस्तीफे के बाद HNN में हचलचल मची है। HNN न्यूज़ चैनल की सबसे ज्यादा टीआरपी प्राइम टाइम डिबेट के कारण मिलती थी। उत्तराखण्ड के पहाड़ का मुद्दा अभिषेक शांडिल्य ने जिस तरीके से उठाया वो सराहनीय रहा है। अभिषेक शांडिल्य का HNN छोड़ना HNN के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
जबकि उत्तराखण्ड के लिहाज से एक ईमानदार पत्रकार का जाना नुकसान दायक कहा जा रहा है। प्रदेश के भ्रष्ट नेताओं, कमजोर ब्यूरोक्रेसी, लालफीताशाही के खिलाफ अभिषेक शांडिल्य का हर एक सवाल पहाड़ के दिल को छू जाता था। 15 अगस्त को जब किसी चैनल ने सीएम का मुद्दा नहीं उठाया तब अभिषेक शांडिल्य ने वो मुद्दा उठाया और सीएम से पूछा कि कैसे कोई सीएम तिरंगे का अपमान कर सकता है ? दरअसल सीएम ध्वजा रोहन के बाद सलामी करने से चूक गए थे।
अभिषेक शांडिल्य के लिए ऐसे में काम करना इतना आसान नहीं रहा होगा। जब एक एंकर सीधे सीएम को चुनौती दे रहा हो। राजनीतिक पार्टियों और पत्रकारों के बीच में तरह-तरह की चर्चा है। अभिषेक शांडिल्य के इस्तीफा देने के बाद से कुछ नेताओं ने राहत की सांस ली है तो कुछ नेताओं को दुख है कि उन्होंने एक अच्छा डिबेटर खो दिया। हालांकि पत्रकारों की माने तो किसी भी चैनल के लिए इससे बुरी ख़बर नहीं हो सकती है कि उसका सबसे चर्चित एंकर नौकरी छोड़ दे। उनकी ख़बर का ही असर था कि डिबेट की ख़बर अख़बारों में भी छपी थी। ‘आई सरकार शुरू आत्यचार’ वाली डिबेट के बाद कई नेताओं के होश उड़ गए थे। उत्तराखण्ड पर होने वाली हर बहस में उत्तराखण्ड का सवाल शायद अब HNN 24X7 पर ना दिखाई दे क्योंकि सच सबके बस की बात नहीं होती है। सच दिखाने वाले पत्रकारों की या तो जान जाती है या तो नौकरी जाती है। 26 साल की उम्र में बड़े-बड़े नेताओं को अपने सवालों में फंसाने वाले अभिषेक शांडिल्य की डिबेट में कई नेता आने से बचते थे। जो आता था उसे जवाब देना पड़ता था। HNN 24X7 में अभिषेक की जगह भरने की कोशिश की जा रही है लेकिन सच्चा पत्रकार उन्हें मिल पाएगा ये बड़ा सवाल है । सत्ता की ताकत, ‘संपादक के सत्ता प्रेम’ के सामने ईमानदारी से काम करना चुनौती का काम होता है। HNN 24X7 को इस बात की राहत है कि अभिषेक ने चैनल छोड़ दिया है जबकि टेंशन इस बात की है कि उनकी जगह लेगा कौन ? और टीआरपी कैसे बढ़ेगी ?
बहुत पुरानी कहावत है,अर्द्धज्ञानी हमेशा अज्ञानी से अधिक खतरनाक और नुकसान करने वाला होता है... और आप लोग अभिषेक तिवारी जिसे लोग अब अभिषेक शांडिल्य के नाम से जानते है का साथ देकर दे रहे हैं। जो इंसान अमुक चैनल (जिसकी तनख्वाह से ये पला क्योंकि इस शख्स के पास कहीं काम नहीं था) पर अनर्गल आरोप लगा रहा है, उसी चैनल ने इसे भरपूर मौका दे इसे यहां तक पहुँचाया है। चाटुकारिता, चमचागिरी और रंग बदलना इस इंसान की फितरत रही है। ये शख्स आज अगर कुछ हासिल कर पाया है तो वो सिर्फ अपनी चाटुकारिता और उल्लू सीधा करने के टैलेंट के बूते। वरना जिस इंसान को स्क्रिप्ट लिखनी ही ना आती हो, ख़बरों का सेंस ही ना पता हो, ट्रीटमेंट ही ना जानता हो वो पत्रकार नहीं है। इसे बनाया है इसके 'धृतराष्ट्र' मालिकों ने। पहले कोई मैडम हुआ करती थी और फिर बाद में अमित शर्मा(जिनके गुणगान ये आजकल कर रहा है) । इसे तैयार किया है परदे के पीछे काम करने वाले प्रोड्यूसर्स ने। वो तो वैसे भी थैंक्सलेस जॉब करते हैं। प्राइमटाइम डिबेट मिलने के बाद घमंड इनके सिर चढ़ कर बोलता था। मैडम के जाने के बाद ये थोड़े धरती पर आये लेकिन 'शर्माकृपा' इन पर बनी रही। पिछले दिनों इन्होंने ज़रूरत से ज़्यादा सैलरी इंक्रीमेंट माँगा तो मालिकों ने अपनी असमर्थता जताकर इनकी औरो से ज़्यादा सैलरी बढ़ा दी। पर इन्हें लगा जिस तरह ये अपनी बाकी की मांगें मनवाते थे वैसे ही इनकी ये मांग भी मान ली जायेगी। अपने परिवार के 5 लोगों को (जिन्हें मीडिया का कुछ नहीं आता था) अच्छी सैलरी में लगवाना हो, ऑफिस के कपड़े अपने पास रख लेना हो, कैश बोनस लेना हो या मालिकों के कान भरके किसी को जॉब से निकलवाना हो। ये इनका प्रिय शगल रहा है। इतना बढ़ा चढ़ा कर लिखने से पहले आप इस इंसान का इतिहास भी खंगाल ले और अभिषेक तिवारी उर्फ़ अभिषेक शांडिल्य के मुखपत्र ना बनें। धन्यवाद।
बहुत पुरानी कहावत है,अर्द्धज्ञानी हमेशा अज्ञानी से अधिक खतरनाक और नुकसान करने वाला होता है... और आप लोग अभिषेक तिवारी जिसे लोग अब अभिषेक शांडिल्य के नाम से जानते है का साथ देकर दे रहे हैं। जो इंसान अमुक चैनल (जिसकी तनख्वाह से ये पला क्योंकि इस शख्स के पास कहीं काम नहीं था) पर अनर्गल आरोप लगा रहा है, उसी चैनल ने इसे भरपूर मौका दे इसे यहां तक पहुँचाया है। चाटुकारिता, चमचागिरी और रंग बदलना इस इंसान की फितरत रही है। ये शख्स आज अगर कुछ हासिल कर पाया है तो वो सिर्फ अपनी चाटुकारिता और उल्लू सीधा करने के टैलेंट के बूते। वरना जिस इंसान को स्क्रिप्ट लिखनी ही ना आती हो, ख़बरों का सेंस ही ना पता हो, ट्रीटमेंट ही ना जानता हो वो पत्रकार नहीं है। इसे बनाया है इसके 'धृतराष्ट्र' मालिकों ने। पहले कोई मैडम हुआ करती थी और फिर बाद में अमित शर्मा(जिनके गुणगान ये आजकल कर रहा है) । इसे तैयार किया है परदे के पीछे काम करने वाले प्रोड्यूसर्स ने। वो तो वैसे भी थैंक्सलेस जॉब करते हैं। प्राइमटाइम डिबेट मिलने के बाद घमंड इनके सिर चढ़ कर बोलता था। मैडम के जाने के बाद ये थोड़े धरती पर आये लेकिन 'शर्माकृपा' इन पर बनी रही। पिछले दिनों इन्होंने ज़रूरत से ज़्यादा सैलरी इंक्रीमेंट माँगा तो मालिकों ने अपनी असमर्थता जताकर इनकी औरो से ज़्यादा सैलरी बढ़ा दी। पर इन्हें लगा जिस तरह ये अपनी बाकी की मांगें मनवाते थे वैसे ही इनकी ये मांग भी मान ली जायेगी। अपने परिवार के 5 लोगों को (जिन्हें मीडिया का कुछ नहीं आता था) अच्छी सैलरी में लगवाना हो, ऑफिस के कपड़े अपने पास रख लेना हो, कैश बोनस लेना हो या मालिकों के कान भरके किसी को जॉब से निकलवाना हो। ये इनका प्रिय शगल रहा है। इतना बढ़ा चढ़ा कर लिखने से पहले आप इस इंसान का इतिहास भी खंगाल ले और अभिषेक तिवारी उर्फ़ अभिषेक शांडिल्य के मुखपत्र ना बनें। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं