देहरादून:
शुक्रवार को स्वामी दयानंद आश्रम, ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ.कृष्ण कांत पाल व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी दयानंद सरस्वती जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने स्वामी जी की पुण्य स्मृति में नमन करते हुए कहा कि पूज्य स्वामी दयानंद सरस्वती जी ज्ञान, दर्शन व आध्यात्मिकता की अद्भुत मिसाल थे। अध्यात्म के साथ ही मानव जाति की सेवा में भी उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है।
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने पूज्य स्वामी जी द्वारा समय-समय पर विभिन्न अवसरों पर दिए गए व्याख्यानों व व्यक्त किए गए विचारों के संकलन पर आधारित ग्रन्थ का विमोचन भी किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। अन्य समकालीन सभ्यताओं में से बहुत सी सभ्यताएं पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं। यह भारतीय सभ्यता ही है जो कि 5 हजार वर्षों से अपना मौलिक स्वरूप बनाए हुए है। धर्म, अध्यात्म व मूल्य आधारित व्यवस्था ही वे ताकतें हैं जिनके कारण भारतीय सभ्यता सदियों से कभी न रूकने वाली धारा की तरह लगातार प्रवाहित हो रही है।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सभ्यता को बहुत सी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। सबसे पहले 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने समाज को ऐसी कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला। 15वीं व 16वीं शताब्दी में गुरू नानक, तुलसीदास, कबीर, मीरा बाई, सूरदास, चैतन्य महाप्रभु व अन्य संत कवियों ने हमारा मार्ग प्रशस्त किया।
बाद में 19वीं शताब्दी में श्री रामकृष्ण, स्वामी विवेकानंद, ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज ने समाज को राह दिखाई।
राज्यपाल ने कहा कि 19वीं शताब्दी के चुनौतिपूर्ण समय में श्री रामकृष्ण ने वेदांत के ‘‘प्राणिमात्र की सेवा ही ईश्वर की सेवा है’’ के संदेश के साथ हिंदु धर्म को फिर से नई ऊर्जा दी।
वेदांत, हिंदु धर्म की आधारशिला है। वेदांत ज्ञान की पराकाष्ठा है, हिंदु संतों की पवित्र बुद्धिमत्ता है, सत्य के मनीषियों का श्रेष्ठ अनुभव है। यह वेदों का निष्कर्ष है। बौद्ध काल के पश्चात शंकरा परम्परा में 10 उपनिषदों व भगवद्गीता की व्याख्या की गई। इन सारगर्भित व्याख्याओं को ज्ञान के साधकों तक पहुंचाने में दयानंद आश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों व विद्वानों के हजारों वर्षों के गहन चिंतन से रचित वेद, उपनिषद, महाकाव्य, पुराण आदि महान मार्गदर्शी रचनाएं, मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
हमारा दायित्व है कि हम अपने अध्यात्म, ज्ञान व दर्शन की विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजो कर रखें। विश्व शांति, विश्व कल्याण और विश्वबंधुत्व की भारतीय दर्शन की अवधारणा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पूरी दुनिया के लिए और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है। वेदांतों में वर्णित ज्ञान से सम्पूर्ण मानवता का कल्याण सम्भव है।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत, भारतीयता एवं हिन्दुत्व की रक्षा में स्वामी जी का योगदान भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में स्वीकार्य है।
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, श्री कृष्ण गोपाल, केबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, स्वामी विदित्मानंद, श्री वेंकटरामाराजा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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