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अगले मन की बात में प्रधानमंत्री लौह पुरुष को याद करेंगे--


मन की बात में प्रधानमंत्री ने हृदय से देशवासियों का धन्यवाद दिया और 3 साल पूरे होने पर, अपने मन से यह कबूल किया कि, देशवासियों से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है .


उनकी बात के कुछ अंश इस प्रकार है.------


1.मन की बात’ में मैंने हमेशा आचार्य विनोबा भावे की उस बात को याद रखा है । आचार्य विनोबा भावे हमेशा कहते थे ‘अ-सरकारी, असरकारी ’ । मैंने भी ‘मन की बात’ को, इस देश के जन को केंद्र में रखने का प्रयास किया है । राजनीति के रंग से उसको दूर रखा है । तत्कालीन, जो गर्मी होती है, आक्रोश होता है, उसमें भी बह जाने के बजाय, एक स्थिर मन से, आपके साथ जुड़े रहने का प्रयास किया है ।


2.श्रीनगर के 18 साल के नौजवान बिलाल डार के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको जान करके ख़ुशी होगी कि श्रीनगर नगर निगम ने बिलाल डार को स्वच्छता के लिए अपना Brand Ambassador बनाया है और जब Brand Ambassador की बात आती है तो आपको लगता होगा कि शायद वो सिने-कलाकार होगा, शायद वो खेल-जगत का हीरो होगा, जी नहीं ।


बिलाल डार स्वयं 12-13 साल की अपनी उम्र से, पिछले 5-6 साल से स्वच्छता में लग गया है । एशिया की सबसे बड़ी झील श्रीनगर के पास वहाँ प्लास्टिक हो, पॉलिथीन हो, used bottle हो, कूड़ा-कचरा हो, बस वो साफ़ करता रहता है । उसमें से कुछ कमाई भी कर लेता है । क्योंकि उसके पिता जी की बहुत छोटी आयु में कैंसर में मृत्यु हो गई लेकिन उसने अपना जीवन आजीविका के साथ-साथ स्वच्छता के साथ जोड़ दिया । एक अनुमान है कि बिलाल ने सालाना 12 हज़ार किलो से ज़्यादा कूड़ा-कचरा साफ़ किया ।



बिलाल डार, आयु छोटी है लेकिन स्वच्छता में रुचि रखने वाले हर किसी के लिए प्रेरणा का कारण है । मैं बिलाल डार को बहुत बधाई देता हूँ । 


3. ‘मन की बात’ की तीन साल की ये यात्रा देशवासियों की, भावनाओं की, अनुभूति की एक यात्रा है । और शायद इतने कम समय में देश के सामान्य मानव के भावों को जानने-समझने का जो मुझे अवसर मिला है और इसके लिए मैं देशवासियों का बहुत आभारी हूँ ।


4. भोजन की थाली में अन्न छोड़ देने के बारें में प्रधानमंत्री ने कहा कि अनेक नवयुवक पहले से ही इस काम को कर रहे हैं । जो अन्न थाली में छोड़ दिया जाता है उसको इकट्ठा करके, उसका सदुपयोग कैसे हो इसमें काम करने वाले इतने लोग मेरे इतने ध्यान में आये, मेरे मन को इतना बड़ा संतोष हुआ, इतना आनंद हुआ । । देश सही दिशा में जाने के लिए हर पल अग्रसर है ।



  मेरे तीन साल के ‘मन की बात’ के अभियान में, मैंने देशवासियों से जाना है, समझा है, सीखा है । किसी भी देश के लिए ये सबसे बड़ी पूँजी होती है, एक बहुत बड़ी ताक़त होती है । मैं ह्रदय से देशवासियों को नमन करता हूँ ।


4.मैंने एक बार ‘मन की बात’ में खादी के विषय में चर्चा की थी । और खादी एक वस्त्र नहीं, एक विचार है । और मैंने देखा कि इन दिनों खादी के प्रति काफ़ी रुचि बढ़ी है और मैंने स्वाभाविक रूप से कहा था कि मैं कोई खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा हूँ लेकिन भाँति-भाँति के fabric होते हैं तो एक खादी क्यों न हो ? घर में चादर हो, रूमाल हो, curtain हो । अनुभव ये आया है कि युवा-पीढ़ी में खादी का आकर्षण बढ़ गया है । खादी की बिक्री बढ़ी है और उसके कारण ग़रीब के घर में सीधा-सीधा रोज़गारी का संबंध जुड़ गया है । 2 अक्टूबर से खादी में discount दिया जाता है , काफ़ी छूट-रियायत मिलती है ।


मैं फिर एक बार आग्रह करूँगा, खादी का जो अभियान चला है उसको हम और आगे चलायें, और बढ़ायें । खादी खरीद करके ग़रीब के घर में दिवाली का दीया जलायें, इस भाव को लेकर के हम काम करें । 


5. कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है । अब ये प्रशिक्षण केंद्र फिर से शुरू होने के कारण नई पीढ़ी को आधुनिक रूप से निर्माण कार्य करने में, बुनने में, नयी चीज़ें बनाने में एक मदद मिलेगी और मुझे अच्छा लग रहा है कि जब बड़े-बड़े Corporate House भी दिवाली में जब gift देते हैं तो इन दिनों खादी की चीज़े देना शुरू किये हैं । लोग भी एक दूसरे को gift के रूप में खादी की चीज़े देना शुरू किये हैं । एक सहज़ रूप से, चीज़ कैसे आगे बढ़ती है ये हम सब अनुभव करते हैं ।

6.स्वच्छता को अगर स्वभाव बनाना है तो एक वैचारिक आंदोलन भी ज़रुरी होता है । इस बार ‘स्वच्छता ही सेवा’ के साथ कई प्रतियोगितायें हुईं । ढाई करोड़ से ज़्यादा बच्चों ने स्वच्छता के निबंध-स्पर्धा में भाग लिया । हज़ारों बच्चों ने paintings बनायी । अपनी-अपनी कल्पना से स्वच्छता को लेकर के चित्र बनाये । बहुत से लोगों ने कवितायें बनायी और इन दिनों तो मैं social media पर ऐसे जो हमारे नन्हें साथियों ने, छोटे-छोटे बालकों ने चित्र भेजे हैं वो मैं post भी करता हूँ, उनका गौरवगान करता हूँ । जहाँ तक स्वच्छता की बात आती है तो मैं media के लोगों का आभार मानना कभी भूलता नहीं हूँ ।

7.अक्तूबर महीना हमारे इतने सारे महापुरुषों को स्मरण करने का महीना है । महात्मा गाँधी से लेकर के सरदार पटेल तक इसी अक्तूबर में इतने महापुरुष हमारे सामने हैं कि जिन्होंने 20वीं सदी और 21वीं सदी के लिए हम लोगों को दिशा दी, हमारा नेतृत्व किया, हमारा मार्गदर्शन किया और देश के लिए उन्होंने बहुत कष्ट झेले ।

दो अक्तूबर को महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती है तो 11 अक्तूबर को जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख की जन्म-जयंती है और 25 सितम्बर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म-जयंती है । नानाजी और दीनदयाल जी की तो ये शताब्दी का भी वर्ष है । और इन सभी महापुरुषों का एक केंद्र-बिंदु क्या था? एक बात common थी और वो देश के लिए जीना, देश के लिए कुछ करना और मात्र उपदेश नहीं, अपने जीवन के द्वारा करके दिखाना । गाँधी जी, जयप्रकाश जी, दीनदयाल जी ये ऐसे महापुरुष हैं जो सत्ता के गलियारों से कोसो दूर रहे हैं, लेकिन जन-जीवन के साथ पल-पल जीते रहे, जूझते रहे और ‘सर्वजन हिताय–सर्वजन सुखाय’, कुछ-न-कुछ करते रहे ।

अगले ‘मन की बात’ में, मैं जरुर सरदार वल्लभ भाई पटेल के विषय में कहूँगा, लेकिन 31 अक्तूबर पूरे देश में Run for Unity ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ । देश के हर शहर में, हर नगर में बहुत बड़ी मात्रा में Run for Unity के कार्यक्रम होने चाहिए और मौसम भी ऐसा है कि दौड़ने का मज़ा आता है - सरदार साहब जैसी लौह-शक्ति पाने के लिए ये भी तो ज़रुरी है ।


हम, हमारे देश के भिन्न-भिन्न राज्यों को, भिन्न-भिन्न समाजों को, समूहों को, उनके रीति-रिवाजों को, उनकी परम्परा को, उनके पहर्वेश (पहनावे) को, उनके खान-पान को, उनकी मान्यताओं को एक विद्यार्थी के रूप में सीखने का, समझने का, जीने का प्रयास कर सकते हैं


 

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