विभागीय जांच में दोषी साबित, बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू
ऋषिकेश :
ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद संस्थान की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। एम्स प्रशासन ने इंट्राम्यूरल रिसर्च प्रोजेक्ट में नौकरी का झांसा देकर धन ऐंठने के आरोपी कर्मचारी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उसकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभागीय जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद यह कार्रवाई की जा रही है।
आवास विकास कॉलोनी निवासी सागर चौधरी ने एम्स में तैनात जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट (जेएए) सिद्धांत शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। सागर के अनुसार, वह एम्स के इंट्राम्यूरल रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी लेने संस्थान पहुंचे थे, जहां उनकी मुलाकात सिद्धांत शर्मा से हुई। आरोपी ने खुद को प्रभावशाली बताते हुए प्रोजेक्ट में नौकरी दिलाने का झांसा दिया और ऑनलाइन माध्यम से उससे 5 लाख 59 हजार रुपये की रकम हड़प ली।
पीड़ित का आरोप है कि रकम लेने के बावजूद न तो नौकरी दिलाई गई और न ही पैसे लौटाए गए। दबाव बनाने पर आरोपी ने 2 लाख 20 हजार रुपये वापस किए, जबकि शेष 3 लाख 75 हजार रुपये लौटाने के लिए 20 मई को दो चेक दिए गए, जो बैंक में जमा करने पर बाउंस हो गए। लगातार शिकायतों के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो पीड़ित ने मुख्यमंत्री से शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी कर्मचारी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया।
मामले के तूल पकड़ने के बाद एम्स प्रशासन हरकत में आया। संस्थान स्तर पर कराई गई विभागीय जांच में सिद्धांत शर्मा के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए। इसके बाद उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। अब जांच रिपोर्ट के आधार पर एम्स प्रशासन ने उसकी बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी है।
एम्स निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि आरोपी कर्मचारी के विरुद्ध की गई विभागीय जांच में धोखाधड़ी के आरोप प्रमाणित हुए हैं। संस्थान की छवि और नियमों के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। एम्स प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के मामलों में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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