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देहरादून:



एकता की विविधता के रंग में रंगा देहरादून, ध्वजारोहण और वंदे मातरम् के सामूहिक गान से एबीवीपी अधिवेशन की शुरुआत।


उत्तराखण्ड के लोकनृत्यों से एबीवीपी अधिवेशन में पहुंचे प्रतिनिधियों का स्वागत।



अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन देशभर के विभिन्न हिस्सों से देवभूमि, उत्तराखण्ड पहुंचे विद्यार्थियों से शहर का परेड ग्राउंड विविधता के रंग में रंग चुका है। आज सुबह अभाविप के ध्यवरोहण के पश्चात एकसाथ सभी प्रतिनिधियों ने सामूहिक वंदे मातरम गायन किया। अपने प्रांत के स्थानीय परिधानों में प्रतिनिधियों की उपस्थिति देखते ही बन रही है। उत्तराखण्ड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों नगाड़े, ढोल, मंजीरा आदि द्वारा विद्यार्थी प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया।

*अभाविप राष्ट्रीय अधिवेशन प्रांगण में लगी भव्य 'रानी अब्बक्का प्रदर्शनी' का किया गया उद्घाटन*


*उत्तराखण्ड की उदात्त एवं उन्नत संस्कृति की दिखेगी प्रदर्शनी में झलक; महापुरुषों, स्वातंत्र्यवीर सपूतों के साथ समसामयिक विषयों का भी होगा भव्य प्रदर्शन*

AbVP Abaakka rani exhibition


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के देहरादून में बसाए गए 'भगवान बिरसा मुंडा नगर' के प्रमुख आकर्षण केंद्र "रानी अब्बक्का प्रदर्शनी" का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पतंजलि योग ट्रस्ट के महासचिव आचार्य बालकृष्ण एवं प्रदर्शनी उद्घाटनकर्ता उत्तराखण्ड के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत द्वारा किया गया, जिसका थीम "देवभूमि से राष्ट्रभूमि तक - उत्तराखण्ड के 25 वर्षों की यात्रा एवं विजन 2047 के संदर्भ में राष्ट्रीय पुनर्जागरण" है। इस भव्य प्रदर्शनी में अभाविप के विचार-वृक्ष, संगठन के राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय अभियान, छात्रसंघ चुनावों में संगठन की भूमिका, स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, सांस्कृतिक पुनर्जागरण की विभूतियां जैसे विषयों को प्रमुखता से प्रदर्शनी हेतु रखा गया है। इस दौरान देशभर से आए अभाविप कार्यकर्ता, अतिथि, स्कूली विद्यार्थी एवं उत्तराखण्ड के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। 


इस प्रदर्शनी में रानी अबक्का को भारतीय अस्मिता, स्त्री-शौर्य और राष्ट्र-निष्ठा के सर्वोच्च प्रतीकों में से एक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसके माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का लक्ष्य रखा गया है।इसके साथ ही प्रदर्शनी में उत्तराखंड के वीर योद्धाओं तीलू रौतेली, माधव सिंह भंडारी और अन्य स्थानीय नायकों की गाथाओं को भी विशिष्ट स्थान दिया गया है। राज्य की आध्यात्मिक विरासत, पर्वतीय जीवनशैली, आभूषणों, कृषि उपकरणों और पहाड़ी वास्तुकला की झलकियाँ आगंतुकों को स्थानीय संस्कृति से जोड़ती हैं। उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों, मंदिरों, पौराणिक स्थानों, त्यौहारों और लोकनृत्यों के साथ-साथ नंदा राजजात यात्रा, जागर परंपरा और विभिन्न स्थानीय देवताओं की सांस्कृतिक उपस्थिति का आकर्षक प्रदर्शन भी किया गया है। 


इस भव्य प्रदर्शनी में आदिगुरु शंकराचार्य, गौरा देवी, स्वामी रामतीर्थ, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, माधो सिंह भंडारी, गोविंद बल्लभ पंत और उत्तराखंड की लोक परंपराओं पर आधारित विशिष्ट मंडप भी स्थापित किए गए हैं। समग्रतः, यह रानी अबक्का प्रदर्शनी न केवल अभाविप के विचार, कार्य, इतिहास और संगठनात्मक विस्तार का जीवंत प्रस्तुतीकरण है, बल्कि रानी अबक्का जैसी अपराजेय नायिका के योगदान को राष्ट्रीय विमर्श में पुनःस्थापित करते हुए, भारतीय परंपरा, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक विविधता के संगम का एक अद्वितीय प्रतिरूप भी है।


उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि पतंजलि योग ट्रस्ट के महासचिव आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि," ज्ञान-शील-एकता का प्रतीक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन उत्तराखण्ड में पहली बार हो रहा है। इस बात की प्रसन्नता जितनी है, उससे अधिक आनंद आप सभी की उत्साहपूर्ण उपस्थिति से हो रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे संगठन से आपका जुड़ना आपके लिए पुण्य और गौरव का विषय है। अपने आचरण और जीवन-मूल्यों से अभाविप के कार्यकर्ता दूसरों के जीवन में परिवर्तन लाने का कार्य करते हैं। प्रदर्शनी के माध्यम से हमने देखा कि रानी अब्बक्का जी की यह भव्य प्रदर्शनी उनके तेज और शौर्य को उजागर करती है। साथ ही, उत्तराखण्ड की विशिष्ट परंपरा को विद्यार्थियों द्वारा जिस सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है, वह अत्यंत सराहनीय है। ‘राष्ट्र प्रथम’ हम सभी का मूल मंत्र है और हम सब उसी प्राचीन गुरुकुल परंपरा के वाहक हैं। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जागरण के लिए जो प्रयास चल रहे हैं उनसे हम सभी को अवश्य जुड़ना चाहिए।"


रानी अब्बक्का प्रदर्शनी के उद्घाटनकर्ता तथा उत्तराखण्ड सरकार के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि, "जब मैं विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता था तब मन में यह इच्छा रहती थी कि राष्ट्रीय अधिवेशन हमारे उत्तराखण्ड में भी आयोजित हो। यह पहली बार हो रहा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उत्तराखण्ड में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रही है। इसके लिए मैं उत्तराखण्ड की जनता की ओर से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं का इस पावन धरा पर हार्दिक स्वागत करता हूँ। बड़े गर्व के साथ कहना चाहता हूँ कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता वर्ष के 365 दिन निरंतर कार्य करते हैं। यह भी अत्यंत गर्व का विषय है कि इसी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं में से वर्तमान समय में देश के विभिन्न राज्यों में 8 शिक्षा मंत्री कार्यरत हैं। मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि अभाविप द्वारा लगाई गई इस भव्य प्रदर्शनी को अवश्य देखें और ऐसे संगठन से अवश्य जुड़ें।"


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री आदित्य तकियार ने उद्घाटन समारोह में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि," देवभूमि उत्तराखण्ड की इस पावन धरा पर कल से अभाविप का राष्ट्रीय अधिवेशन प्रारम्भ होने जा रहा है। भारत भूमि सदैव वीरों की भूमि रही है और इसी वीरता का अद्भुत उदाहरण हमें महारानी अब्बक्का के जीवन में मिलता है। राष्ट्रीय अधिवेशन हेतु बसाए गए ‘भगवान बिरसा मुंडा नगर’ परिसर में स्थापित प्रदर्शनी को वीरांगना रानी अब्बक्का के नाम पर समर्पित किया गया है। इस प्रदर्शनी में उत्तराखण्ड की उदात्त संस्कृति, स्वातंत्र्यवीर सपूतों, महापुरुषों तथा विविध समसामयिक विषयों की प्रेरक झलक देखने को मिलेगी।"


इस दौरान मंच पर मुख्य अतिथि आचार्य बालकृष्ण, प्रदर्शनी उद्घाटनकर्ता डॉ धन सिंह रावत, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. आशुतोष मंडावी, राष्ट्रीय मंत्री आदित्य तकियार, राज्य केंद्रीय विश्वविद्यालय कार्य संयोजक श्री अमन पंत एवं उत्तराखण्ड प्रांत की उपाध्यक्ष प्रगति भरतवाल जी उपस्थित रही।

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