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 मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा एवं भैयादूज की शुभकामनाएँ*


धनतेरस 2025


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा तथा भैयादूज की शुभकामनायें दी है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए कहा है कि धनतेरस आरोग्यता के देव भगवान धन्वंतरी की पूजा का पर्व है। भगवान धन्वंतरी हम सबके जीवन में सुख-समृद्धि एवं आरोग्यता प्रदान करें इसकी उन्होंने कामना की है।



मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने दीपावली के पावन पर्व को सुख, समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक बताते हुए सभी प्रदेशवासियों को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि माँ लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी के आशीर्वाद से हम सभी के जीवन में सुख समृद्धि, शांति एवं आरोग्यता का संचार हो।



मुख्यमंत्री ने कहा कि दीपावली का यह पर्व केवल रोशनी, उत्साह और आनन्द का ही नही बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान का भी प्रतीक है। दीपावली राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का भी पर्व है। प्रकाश का यह पर्व हम सब के जीवन में धन, वैभव, यश, एश्वर्य और सम्पन्नता लेकर आये इसकी भी मुख्यमंत्री ने कामना की है।

 

 धनतेरस का पंचांग और शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:


हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर, 2025 दिन शनिवार से  मनाई जाएगी। 

Dhanteras 2022


धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त - कल प्रदोष काल शाम 5 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. वृषभ काल शाम 7 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. पूजा मुहूर्त शाम 7 बजकर 16 मिनट से रात 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा.


खरीदारी का शुभ मुहूर्त : अमृत काल सुबह 8 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.

अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. 

लाभ उन्नति चौघड़िया मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.


  पूजा और दीपदान करना फलदायी साबित होगा।
 

धनतेरस पर कौन से उपाय करने से मिलेगा लाभ?

धनतेरस के दिन धन्वंतरि का पूजन करना चाहिए. साथ ही नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर भी उनका पूजन करना चाहिए। इस दिन सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करना फलदायी साबित होता है। इस दिन लोग मंदिर, गोशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।


 क्यों मनाते हैं धनतेरस? कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि उत्पन्न हुए थे। इनके उत्पन्न होने के समय इनके हाथ में एक अमृत कलश था जिस कारण धनतेरस पर बर्तन खरीदने का भी रिवाज है। मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। धनतेरस पर कई लोग धनिया के बीज भी खरीदते हैं। पिर दिवाली वाले दिन इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में बोते हैं।

इसके अलावा धनतेरस के दिन लोग झाडू, पानी भरने का बर्तन, मां लक्ष्मी की मूर्ति और दीयों की खरीददारी भी करते हैं।


 इसलिए मनाते हैं धनतेरस:

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवन्तरि, चतुर्दशी को मां काली और अमावस्या को लक्ष्मी माता सागर से उत्पन्न हुई थीं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनवन्तरि का जन्म माना जाता है, इसलिए धनवन्तरि के जन्मदिवस के उपलक्ष में धनतेरस मनाया जाता है।


  धनतेरस के दिन कुबेर की ऐसे करें पूजा :

धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है। इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्‍प अर्पित करें। फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्‍चे मन से इस मंत्र का उच्‍चारण करें:



- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
  धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥




धनतेरस के दिन इसलिए जलाया जाता है यम के लिए दीपक:


धनतेरस के दिन सोने-चांदी, धातु की चीजें, बर्तन आदि की खरीदारी शुभ मानी जाती है। लेकिन इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें:

मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||




इसलिए मनाते हैं धनतेरस:

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवन्तरि, चतुर्दशी को मां काली और अमावस्या को लक्ष्मी माता सागर से उत्पन्न हुई थीं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनवन्तरि का जन्म माना जाता है, इसलिए धनवन्तरि के जन्मदिवस के उपलक्ष में धनतेरस मनाया जाता है।




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