मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी विजयदशमी व दशहरा पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं*
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को विजयदशमी व दशहरा पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। विजयदशमी की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि विजयदशमी का पर्व अधर्म पर धर्म, बुराई पर अच्छाई तथा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। हम सभी को अपने भीतर की बुराइयों को त्यागकर जीवन में सदाचार की राह पर चलने की प्रेरणा भी यह पर्व देता है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने जीवन में अहंकार से मुक्त होकर सच्चाई के रास्ते पर चलें और प्रदेश व देश की सामाजिक समरसता के लिए मिलजुल कर कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पावन पर्व हमें इस बात का भी स्मरण कराता है कि सच्चाई का साथ देने वालों की हमेशा जीत होती है।
उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि बुराई पर अच्छाई की विजय के इस पावन पर्व पर भगवान श्रीराम की शिक्षाओं को आत्मसात कर जीवन को सार्थक बनायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म और सत्य की विजय के इस मंगल पर्व पर प्रभु श्रीराम से यही प्रार्थना है कि सब सुखी हों, सबका कल्याण हो, हर घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आये।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी जयंती के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के सत्य व अहिंसा के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। गांधी जी ने अंग्रेजी शासन से देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपने आचरण में अहिंसा का भाव जागृत करने के साथ ही मानवता के प्रति करूणा का भाव पैदा करना होगा। यही हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की जयंती की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर राष्ट्र को स्वाभिमान और एकजुटता के साथ मजबूती से खड़े होने का रास्ता दिखाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शास्त्री जी ने सार्वजनिक जीवन में सादगी, सत्यनिष्ठा, लगन, नैतिकता व राष्ट्र के प्रति समर्पण की जो अदभुत मिसाल कायम की, वह हम सबके लिए प्रेरणादायी है। शास्त्री जी का व्यक्तित्व व कृतित्व देश की युवापीढ़ी के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
देहरादून :
दशहरा (विजयदशमी)-2024
दशहरा , विजयदशमी ’के रूप में भी जाना जाता है, भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के अंत और दुर्गा पूजा के चार / पांच दिवसीय उत्सव का प्रतीक है। यह दिन अच्छी और बुरी शक्तियों के बीच एक लंबी लड़ाई का द्योतक है जिसमें रामचंद्र ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।रामलीला के एक भाग मे विजयदशमी पर ही श्रीराम ने रावण एवम अन्य राक्षसों का संहार कर सीता को वापिस लाये थे।
नवरात्रि में बोए जाने वाले जौ को आज ही के दी विजय के प्रतीक में सभी बहने
अपने भाईयों के कानों और सिर पर रखकर सदैव उनके विजय की कामना करती है।
उस दिन को विजय दशमी (विजय का दिन) कहा जाता है। वह दिन भी है जब देवी दुर्गा महिषासुर की सेना से भिड़ गईं और उसका संहार कर दिया था।
दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि भगवान राम ने अश्विन महीने की पहली तारीख से लेकर नवमी तक मां दुर्गा की खास पूजा-अर्चना की थी. फिर, दशमी के दिन उन्होंने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया था. इसी वजह से दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है.
दशहरा के दिन रावण दहन का क्या मुहूर्त रहेगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा की दशमी तिथि की शुरुआत 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 2 अक्टूबर, गुरुवार शाम 7 बजकर 10 मिनट पर होगा.
दशहरा 2025 पूजन मुहूर्त:
2 अक्टूबर को दशहरा के दिन पूजन के लिए सबसे विशेष मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 09 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 47 मिनट की रहेगी. वहीं, अपराह्न पूजा का समय (देवी अपराजिता और शस्त्रों के पूजन का समय) दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 2 घंटे 22 मिनट की रहेगी.
: हर साल इस दिन देशभर में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं. रावण दहन देखकर बच्चों को यह समझाना चाहिए कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, एक दिन उसकी हार निश्चित होती है और सच्चाई की हमेशा जीत होती है. तो चलिए जानते हैं कि
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