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1 - सहकारिता विभाग में उप निबंधक ऑडिट के 1 निसंवर्गीय पद को कैबिनेट ने दी मंजूरी। 


सहकारिता विभाग में उप निबंधक ऑडिट लेवल 11 के पद को 5 साल के लिए सृजन किया गया है। जिसे कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दी है। यह एक निसंवर्गीय पद है। 


2 - बद्रीनाथ धाम में  स्थित आईएसबीटी वॉल्स पर में मास्टर प्लान के अंतर्गत में म्यूरल आर्ट वार्क किया जाएगा, जिसे कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान की है।  


3 - पशुपालन विभाग की योजना जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थियों को पशुपालन के लिए 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है, और डेयरी विकास की गंगा गाय योजना के विलय को कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की है।  अब इस योजना का लाभ सामान्य वर्ग के लोगों को भी दिया जाएगा। 

4-पशुपालन विभाग के अंतर्गत पशुधन प्रसार अधिकारियों के चयन के बाद इन्हें 2 साल तक का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण की अवधि को 2 साल से घटाकर 1 वर्ष किए जाने के निर्णय को कैबिनेट ने दी अपनी मंजूरी।



नई एसओपी के तहत वोटर लिस्ट में अपडेट के 15 दिनों के भीतर वोटर आईडी कार्ड की डिलीवरी सुनिश्चित की जाएगी। इस पहल  में किसी मतदाता का नया नामांकन या मौजूदा मतदाता के किसी भी विवरण में बदलाव जैसी सुविधा  शामिल हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार द्वारा चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ मतदाताओं की सुविधा के लिए उठाया गया कारगर कदम है।


 आयोग द्वारा नई प्रणाली निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा वोटर कार्ड  बनाने से लेकर डाक विभाग (डीओपी) के माध्यम से मतदाता को वोटर कार्ड  की डिलीवरी तक प्रत्येक चरण की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग सुनिश्चित करेगी। मतदाताओं को प्रत्येक चरण पर SMS के माध्यम से सूचनाएं भी प्राप्त होंगी, जिससे उन्हें उनके वोटर आईडी कार्ड की स्थिति के बारे में जानकारी मिलती रहेगी। इस उद्देश्य के लिए, चुनाव आयोग ने अपने हाल ही में लॉन्च किए गए ईसीआईनेट प्लेटफॉर्म पर एक समर्पित आईटी मॉड्यूल पेश किया है। नया आईटी प्लेटफॉर्म मौजूदा सिस्टम को फिर से तैयार करके और वर्कफ़्लो को सुव्यवस्थित करके मौजूदा प्रक्रिया को बदल देगा। डीओपी के एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) को निर्बाध वितरण के लिए ईसीआईनेट के साथ एकीकृत किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य डेटा सुरक्षा बनाए रखते हुए सेवा वितरण को बढ़ाना है। अपने सभी मतदाताओं को त्वरित और कुशल चुनावी सेवाएं प्रदान करना चुनाव आयोग की प्राथमिकता में है। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों में, आयोग ने मतदाताओं और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए कई पहल की हैं।


 *उत्तराखंड में बढ़ रहा तीर्थाटन का दायरा*


*चारों धाम के साथ ही अन्य मंदिरों में भी पहुंच रहे हैं श्रद्धालु*


चारधाम यात्रा में इस बार अब तक करीब 32 लाख यात्री पहुंच चुके है। अच्छी बात यह है तीर्थयात्री अब चारधामों के साथ ही अन्य मंदिरों / तीर्थ स्थलों में भी पहुंच रहे हैं। जिससे चारधाम यात्रा मार्ग की तरह, अन्य स्थानों पर भी आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। 

उत्तराखंड में स्थित चारों धामों में प्रतिवर्ष यात्रा काल के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस यात्रा सीजन में ही चारधाम और हेमकुंड के लिए कुल पंजीकरण की संख्या 44 लाख से अधिक हो चुकी है। इसमें यमुनोत्री धाम के लिए 713456, गंगोत्री के लिए 780554, केदारनाथ के लिए 1443513, बद्रीनाथ के लिए 1336923 और हेमकुंड के लिए 169180 पंजीकरण हुए हैं, जिसमें से अब तक करीब 32 लाख तीर्थयात्री यात्रा पूरी कर चुके हैं। चारधाम यात्रा मार्ग पर इसका सकारात्मक आर्थिक प्रभाव नजर आ रहा है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार, अन्य तीर्थ स्थलों और धामों के भी प्रचार- प्रसार पर जोर देते रहे हैं, ताकि तीर्थयात्रियों के आने से इन क्षेत्रों में भी आर्थिक गतिविधियां तेज हो सके। इसका सकारात्मक असर रुद्रप्रयाग स्थित कार्तिकेय स्वामी मंदिर, उत्तरकाशी स्थित जगन्नाथ मंदिर के साथ ही अन्य मदिंरों में आने वाले यात्रियों की बढ़ती संख्या के रूप में नजर आने लगा है। आंकड़ों के मुताबिक कार्तिकेय स्वामी मंदिर में गत वर्ष करीब चार लाख तीर्थ यात्री पहुंचे थे, जबकि इस बार यह संख्या जून मध्य तक ही 10 लाख के पार पहुंच गई है। उत्तरकाशी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी इस वर्ष अब तक 25 हजार तीर्थ यात्री पहुंच चुके हैं। जिस कारण अब चारधाम यात्रा मार्ग की तरह अन्य स्थानों पर भी होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन, प्रसाद सहित तमाम तरह की गतिविधियां बढ़ रही हैं। जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका को सहारा मिल रहा है।


*उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए, सभी क्षेत्रों में तीर्थाटन, पर्यटन की गतिविधियां तेज होना जरूरी है। उत्तराखंड देवभूमि है, यहां प्रत्येक देवालय का अपना महत्व है। सरकार सभी तीर्थ स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का विकास करने का प्रयास कर रही है।*

*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री* 


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