ऋषिकेश;
परमार्थ निकेतन में आज एक अत्यंत सम्माननीय और आदरणीय क्षण रहा, जब भारत के 14वें राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी, श्रीमती सविता कोविंद जी एवं पुत्री स्वाति कोविंद जी के साथ परमार्थ निकेतन पहुँचे। इस पावन स्थल पर आयोजित माँ गंगा जी की आरती में उन्होंने पूरे परिवार के साथ सहभाग कर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति सादगी, सरलता और शुचिता की त्रिवेणी है। यह संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है जो हमें प्रकृति, समाज और आत्मा से जोड़ती है।
स्वामी जी ने कहा कि जब ऐसे महान व्यक्तित्व, जिन्होंने अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाया हो, गंगा माँ के पावन तट पर आते हैं, तो गंगा जी भी प्रसन्न हो जाती है। गंगा जी, जो स्वयं शुद्धता और करुणा की प्रतीक हैं, वह हमें जीवन की ऊँचाई सरलता, सेवा की संस्कृति का संदेश देती है। वास्तव में, जब संस्कृति और संतुलन मिलते हैं, तो गंगा भी प्रसन्न होती है।
श्री रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि आज मैं परमार्थ गंगा तट पर हूँ, यह मेरे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल व सौभाग्य है। गंगा आरती में सहभाग करना मेरे लिये मेरी यात्रा की सफलता का प्रतीक है। जब भी मैं विदेश यात्रा पर होता हूँ मेरा परिचय यही है कि मैं उस देश का वासी हूँ जिस देश में गंगा बहती है और वह देश है भारत। गंगा न केवल राष्ट्रीय धरोहर है बल्कि गंगा हमारी माँ है और गंगा ही इस देश की और हम सभी भारतीयों की एक ऐसी पहचान है, जो कभी न समाप्त होने वाली पहचान है।
स्वामी जी ने माननीय श्री रामनाथ कोविंद जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर मां गंगा के तट पर उनका अभिनन्दन किया।
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