प्रदेश में अब नगर निकायों के अन्तर्गत सड़कों एवं सार्वजनिक स्थानों के नाम परिवर्तन किये जाने के लिये शासन की अनुमति ली जानी होगी।
इस संबंध में अपर सचिव शहरी विकास गौरव कुमार द्वारा सभी नगर आयुक्तों, नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारियों को प्रेषित पत्र में स्पष्ट किया गया है, कि कतिपय निकायों द्वारा शासन की अनुमति प्राप्त किये बिना सड़कों एवं सार्वजनिक स्थानों के नाम परिवर्तित किये जा रहे हैं। अब स्थानीय निकायों द्वारा सडकों एवं सार्वजनिक स्थानों के नाम परिवर्तित किये जाने सम्बन्धी प्रस्तावों पर शासन की अनुमति प्राप्त की जाए तथा शासन की अनुमति के बाद ही नाम परिवर्तन कार्यवाही की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।
*राज्य में 16 लाख स्मार्ट मीटर लगाकर टेक्नॉलोजी के माध्यम से पारदर्शिता लाने का हुआ कार्य।*
*इकाॅनोमी और इकॉलोजी के बीच समन्वय बनाकर ग्रीन एनर्जी के उत्पादन को दिया जा रहा प्रोत्साहन*
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन, देहरादून में ऊर्जा निगमों के कार्मिकों द्वारा आयोजित ’स्वागत एवं अभिनन्दन’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा ऊर्जा निगमों के कार्मिकों की विभिन्न समस्याओं के समाधान करने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया गया।
मुख्यमंत्री ने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस अभिनंदन की असली हकदार उत्तराखंड प्रदेश की जनता है, जिन्होंने प्रदेश की सेवा करने का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड की मूल अवधारणा में था। उत्तराखण्ड को पॉवर सरप्लस राज्य बनाने के लिए सबको समन्वय के साथ आगे बढ़ना होगा।। मुख्यमंत्री ने कहा भारत सरकार का राज्य सरकार को हर योजना पर सहयोग मिल रहा है। विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी रैंकिंग में यूपीसीएल ने विशेष श्रेणी डिस्कॉम में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार, उत्तराखण्ड को ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए संकल्पित है। बिजली उत्पादन के लिए लखवाड़ बांध परियोजना, जमरानी बांध बहुउद्देश्यीय परियोजना औऱ देहरादून में आने वाले 50 सालों में पेयजल की समस्याओं को दूर करने के लिए सौंग बांध परियोजना पर कार्य गतिमान है। राज्य में अत्याधुनिक जीआईएस (गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन) उपकेंद्रों की स्थापना भी जारी है। उन्होंने कहा राज्य में 16 लाख स्मार्ट मीटर लगाकर टेक्नॉलजी के माध्यम से पारदर्शिता लाने का कार्य किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून शहर की बिजली लाइनें भूमिगत की जा रही हैं। यूपीसीएल द्वारा अत्याधुनिक ओटोमेटेड डिमान्ड रिसपॉन्स सिस्टम के उपयोग से ओवरड्राल की स्थिति पर रियल टाइम पर नियंत्रण कर हर वर्ष करोड़ो रूपये की बचत की है। उन्होंने कहा 2023 में देहरादून में विश्व स्तरीय आपदा प्रबंधन सम्मलेन आयोजित किया गया था। आपदाओं को रोका नहीं जा सकता पर आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता राज्य सरकार ने इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन वाले विकास के मॉडल को चुना है। इकॉनमी और इकॉलजी के बीच समन्वय बनाकर ग्रीन एनर्जी के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के अन्तर्गत लगभग 20,000 रूफटॉप सोलर संयंत्र किए गए स्थापित। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस को हमने अपने राज्य में भी अपनाना है। राज्य सरकार आने वाले 10 , 25, 50 सालों को देखते हुए भी विकास के मॉडल तैयार कर रही है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्रीआर मीनाक्षी सुंदरम, एम.डी यू.जे.वी.एन.एल श्री संदीप सिंघल और उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारी उपस्थित थे।
उच्च शिक्षा विभाग में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
व्यावसायिक, उद्यमिता एवं रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए। उच्च शिक्षा से डिग्री प्राप्त करने के बाद युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए उनके कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। विदेशों में मानव संसाधन की आवश्यकता के अनुसार युवाओं को विदेशी भाषा के साथ ही कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाए। विदेशों में रोजगार के लिए राज्य से दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए विदेशी दूतावासों से सम्पर्क कर विभिन्न देशों की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्तापरक और रोजगारपरक शिक्षा के लिए प्राध्यापकों को भी आधुनिक तकनीक पर आधारित प्रशिक्षण दिया जाए। शिक्षण गतिविधियों को रूचिकर बनाने के लिए शिक्षण सहायक सामग्री की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जाए। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की लाइब्रेरी में पुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता के साथ ही प्रयोगशालाओं में आवश्यक उपकरणों की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले मेधावी छात्रों के लिए राज्य सरकार की भारत दर्शन योजना के तहत देश के प्रमुख संस्थानों में भ्रमण कराया जाए। राज्य के अधिकतम विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को नैक ग्रेडिंग सिस्टम में लाने के प्रयास किये जाएं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा उन्नयन की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए पाठ्यक्रम को नवाचार से जोड़ा जाए। इसके लिए शिक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले प्रतिष्ठित संस्थानों से भी सहयोग लिया जाए। बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा और शैक्षणिक पाठ्यक्रम की पुस्तकें आसानी से और निःशुल्क उपलब्ध हो, इसके लिए ई-लाइब्रेरी सिस्टम को मजबूत बनाया जाए। महाविद्यालयों में व्यावसायिक कोर्स भी शुरू कराए जाएं। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, श्री आर.मीनाक्षी सुंदरम, डॉ. रंजीत सिन्हा उपस्थित थे।
राज्य की समस्त विधानसभाओं में विधायक खेल कूद प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
इससे खिलाड़ियों को एक मंच के साथ ही नई प्रतिभाओं को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा। युवाओं में बढ़ते ई-कल्चर ( इलेक्ट्रॉनिक संस्कृति) को पी-कल्चर ( प्ले ग्राउंड संस्कृति) में बदला जाए। यह बात मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में युवा कल्याण विभाग की गेम चेंजर योजनाओं की समीक्षा बैठक लेते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर युवाओं को खेलों से जोड़ा जाए। युवाओं के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उन्हें साहसिक खेल गतिविधियों का प्रशिक्षण, सेना, अर्द्धसेना और पुलिस बलों में भर्ती पूर्व प्रशिक्षण दिया जाए। उनके बेहतर भविष्य के लिए परामर्श केंद्र स्थापित कर उन्हें, शिक्षा, रोजगार और अन्य पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया जाए। युवाओं में नशे की प्रवृति को रोकने के लिए नियमित जागरूकता कार्यक्रम किये जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग की समस्त खेल परिसंपत्तियों को अधिकतम उपयोग में लाने के साथ ही उनके रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए। राज्य के सभी बहुद्देशीय हॉल में खेल गतिविधियों के साथ ही स्थानीय सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित होती रहे। उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को अच्छे प्रशिक्षण के साथ ही अधिकतम सुविधा देने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव को गेम चेंजर योजनाओं की नियमित समीक्षा के भी निर्देश दिए। सीएस पूर्व से चल रही योजनाओं में सुधार के लिए बनाई गई कार्ययोजना की अपने स्तर से समीक्षा करेंगे। जिससे योजनाओं को बेहतर तरीके से धरातल पर क्रियान्वयन किया जाएगा और पात्र व्यक्तियों को अधिकतम लाभ मिलेगा।
बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण विकास परिषद श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन,
प्रमुख सचिव श्री आर के सुधांशु, श्री आर मीनाक्षी सुंदरम, विशेष प्रमुख सचिव श्री अमित सिन्हा, निदेशक खेल श्री प्रशांत आर्या सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
एक टिप्पणी भेजें