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 ऋषिकेश :


ढालवाला क्षेत्र  के जंगल में मृत गोवंश के अवशेष मिलने पर राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन और बजरंग दल के प्रमुख भड़क गए हैं |

संगठन ने मृत गोवंश के अवशेष मिलने पर कई प्रकार के सवाल खड़े किए हैं|

मौके पर रहने वाले गुर्जर परिवारों की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया है |



मामले में राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघव भटनागर और बजरंग दल के प्रमुख नरेश उनियाल ने जांच की मांग की है |राघव भटनागर ने बताया कि ढालवाला तपोवन मार्ग के जंगल में मृत गोवंश के अवशेष मिलने की सूचना पर वह मौके पर पहुंचे |इस दौरान कुछ गुर्जर परिवार भी आसपास रहते हुए दिखाई दिए |जिन्होंने पूछताछ में गोवंश के अवशेष के बारे में कोई भी जानकारी नहीं होने की बात कही मामला संदिग्ध दिखाई देने पर वन विभाग और पुलिस को भी बुलाया गया |राघव भटनागर ने बताया कि वन विभाग से गुर्जर परिवारों के रहने के संबंध में जानकारी देने की अपील की है| गुर्जर परिवारों की कार्यशैली की जांच करने की मांग भी की है |पुलिस से भी मामले में जांच करने की मांग की है |यदि मृत गोवंश के अवशेष के मामले में कोई व्यक्ति गोहत्या में शामिल मिलता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की है|


ज्ञात हो कि देहरादून ऋषिकेश ,हरिद्वार जनपद के समस्त जंगलों में गुर्जरों का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है ।

लच्छीवाला हो, कांसरी जंगल हो या ऋषिकेश , हरिद्वार  इत्यादि के जंगलों में जो गुर्जर परिवार कभी छोटा स्वरूप में रहते थे आज उन्होंने जंगलों को साफ कर वहां खेती योग्य भूमि भी बना ली है और इसके अलावा पशुपालन का उद्योग वहां पर बड़े पैमाने पर चला लिया है ।

माना जाता है कि इससे वन संपदा को तो नुकसान होता यह है इसके अलावा जंगली जानवरों के रहने के स्थान भी नष्ट हो रहे हैं और आसपास की प्राकृतिक वनस्पति संपदा  नदियों इत्यादि को नुकसान पहुंचता है.

वन गुर्जरों को जंगलों से हटकर आवासीय सुविधा एवं रोजगार देने की योजनाएं अनेक बार चलाई गई है परंतु सफल नहीं हो पाई है.

अब हाल यह है कि वन में ही गुर्जरों ने अपने डेरो को जरूर से अधिक बड़ा विशाल समूह में बना लिया है जिससे आने वाले समय में वनों और जानवरों पर संकट आएगा ही और अपराध भी पनपेंगे।

बिना जंगलात विभाग और शासन प्रशासन की मिलीभगत के ये कार्य नही हो सकते अतः पर्यावरणविदों एवम बुद्धिजीवियों का मानना है कि वनों को तत्काल गुर्ज्जर मुक्त कर देना चाहिए इनके लिये अन्य व्यवस्थाये कठोरता से लागू करनी चाहिए अन्यथा ग्रीन उत्तराखंड और  पर्यावरण  जीव जंतु संरक्षण के जुमले बेमानी है।

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