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 न्यायमूर्ति चंद्रशेखर कुमार यादव के मामले को ज्यादा तुल  नहीं दिया जाए 

तथा सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय को केवल प्रशासनिक अधिकार है ।

Dr murlidhar shastri  adv, high court lucknow


इनके खिलाफ लाया गया महाभियोग  पूर्ण रूप से निष्फल हो जाएगा 

जजों का विशेष संरक्षण है इनको आम नौकरियों की तरह नहीं हटाया जा सकता 

जैसे केंद्रीय सरकार के आईएएस आईपीएस अधिकारियों को केवल 90 दिन तक निलंबित रखा जा सकता है ऑटोमेटिक उनका निलंबन समाप्त हो जाता है 

यह हमारे संविधान में व्यवस्था है


 यह कहना है ,डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री अधिवक्ता  /विधि अधिकारी 

माननीय उच्च न्यायालयइलाहाबाद एवं लखनऊ का।

इन्होनेबताय कि  चर्चित प्रकरण चंद्रशेखर कुमार यादव न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर कुमार यादव के विषय में बताना चाहता हूं श्री यादव इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे तथा 1988 में  विधि स्नातक होने के बाद 1990 में उत्तर प्रदेश bar council के सदस्य बनने के बाद अपनी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की तथा न्यायमूर्ति श्री यादव पिछली सरकारों में सरकारी अधिवक्ता अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता भी रहे तथा सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने माननीय उच्च न्यायालय  एवं सरकार की सहमत पर इनको न्यायमूर्ति बनाने का 2019 में निर्णय लिया तथा न्यायमूर्ति श्री  यादव 12 दिसंबर से 2019 से न्यायमूर्ति के रूप में कार्य किया तथा दिसंबर 2021 मेंस्थाई रूप से न्यायमूर्ति नियुक्त हुए मेरा मानना है ऐसे मामलों पर  ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए  और नहीं कोई फायदा होगा  करण के न्यायाधीशों के नियुक्ति की व्यवस्था एवं उनके हटने की व्यवस्था हमारे संविधान के अनुच्छेद 126/127/28 एवं 223 /२24 में व्यवस्था है इनको संसद में महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता है जो मौजूदा विपक्ष के पास इसका आंकड़ा नहीं है तथा श्री यादव की लगभग 1 साल सेवा है किसी भी व्यक्ति या सभी सभी व्यक्ति कहीं ना कहीं राजनीतिक प्राणी होते हैं इनका राजनीति में आने का स्पष्ट आंतरिक विचार है तथा उनके द्वारा दिया गया बयान निश्चित रूप से संविधान के अनुसार नहीं है लेकिन राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है इनको राज्य सरकार त्यागपत्र देने के बाद या हटाने के बाद किसी आयोग का अध्यक्ष बना सकती है जो जिसमें पूर्व न्याय मूर्तियों के लिए आरक्षित हैं जैसे सर्विस ट्रिब्यूनल मानवाधिकार आयोग आदि प्रमुख है श्री यादव के छात्र जीवन के समय हम लोग भी कानून के विद्यार्थी रहे तथा उनके जूनियर थे  अपने विचार के लिए प्रमुख थे तथा अपने कार्यों के प्रति गंभीर थे इन्होंने सोच समझ के बयान दिया है मात्र इनका कार्यकाल लगभग 1 साल है 15 अप्रैल 2026 को सेवानिवृत हो जाएंगे तथा वर्तमान सरकार का कार्यकाल मार्च 2027 तक है तथा केंद्र सरकार का कार्यकाल May2029 तक है इससे इनको राजनीतिक फायदा भी मिलेगा और प्रत्येक दशा में महाभियोग असफल हो जाएगा एक कानून के विद्यार्थी होने के कारण मेरा मानना है की मीडिया को अन्य मामलों में ध्यान देना चाहिए अनावश्यक रूप से इसको तोल नहीं देना चाहिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इनको इस सप्ताह में बुलाया है लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय को एवं उच्च न्यायालय को केवल उनके संबंध में प्रशासनिक निर्णय लेने का अधिकार है जैसे कोर्ट का आवंटन प्रशासनिक न्याय मूर्तियों को जनपदों के प्रशासनिक न्यायाधीश के प्रभार आदि से हटाना। 

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