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आपको बताते चलें, हरिद्वार स्थित ऋषिकुल और गुरुकुल दोनो कॉलेज 100 वर्षों से स्थापित है और किसी प्रसिद्धि के मोहताज नही है।

 विश्व आयुर्वेद कांग्रेस -2024  के दूसरे दिन  ही सही , हरिद्वार का नाम विश्व पटल पर आया। 

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आयुर्वेद की धरती पंचपुरी क्षेत्र में अब भी आयुर्वेदिक उपचार घर घर मे अपनाए जाते है। हर गली मुहल्ले में वैद्य है।

 कॉलेजों की स्थापना से पहले से ही आश्रमों में ये विधा पनप गयी थी। बाद में यही ज्ञान  कॉलेजों के रूप में अस्तित्व में आया।

इन शिक्षा केंद्रों ने भेषज, आयुर्वेद , नाड़ी ज्ञान , शल्य चिकित्सा और पंचकर्म आदि  अनेकों सभी विधाओं में महत्वपूर्ण सोपान तय किये है।

चिकित्सीय पद्वति में अनेक प्रकार के साहित्य, शोध पत्र, पुस्तके जाने माने प्रोफेसर  चिकित्सकों द्वारा  लिखी गयी है।यहां के साहित्य से देश विदेश में शोध पत्र तैयार किये जाते है।

डॉ कृष्ण कुमार अग्रवाल का नाम आयुर्वेद और इतिहास विषय मे  सर्वविदित रहा है ।उनकी लिखी पुस्तके आज भी विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिये उपयोगी है।

समय के साथ साथ आयुर्वेद का प्रयोग जब कम हुआ, इन केंद्रों की दुर्दशा हो गयी। आज भी इतनी अच्छी स्थिति में नही है ये केंद्र। जबकि ऋषिकुल में तो मेडिकल कॉलेज भी संचालित है। स्टाफ और सुविधाओं की कमी ने इन प्राचीन केंद्रों को  जर्जर बना दिया है।

अब सरकार ने ऋषिकुल काॅलेज के उच्चीकरण की डीपीआर तैयार  की है,जबकि गुरूकुल पर थोड़ा इंतजार बाकि है। 

उत्तराखंड के इस  प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का रूख सकारात्मक है , करीब एक दर्जन हैं देश में सौ वर्ष पुराने आयुर्वेद काॅलेज, वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस का मंच बना राज्य के लिए मददगार।


 उत्तराखंड में सौ वर्ष पुराने दो आयुर्वेद काॅलेजों की जल्द ही कायाकल्प होगी। इसमें से एक ऋषिकुल काॅलेज के उच्चीकरण का मामला तेजी से आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार को भेजने के लिए उत्तराखंड ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली है। केंद्र सरकार का रूख इस संबंध में बेहद सकारात्मक है। इसी तरह, सौ वर्ष पुराने गुरूकुल आयुर्वेद काॅलेज पर भी सरकार की नजर है। हालांकि अभी इसका विचार बेहद प्राथमिक स्तर पर है।

इन स्थितियों के बीच, वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं एक्सपो-2024 का देहरादून में आयोजन उत्तराखंड के पक्ष में माहौल बनाने वाला साबित हो रहा है। सौ वर्ष पुराने आयुर्वेद काॅलेजों के उच्चीकरण की उत्तराखंड लगातार पैरवी कर रहा है। हालांकि उत्तराखंड ने ऋषिकुल काॅलेज को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र ने उत्तराखंड से इसके स्थान पर उच्चीकरण का प्रस्ताव भेजने के लिए कहा था। उत्तराखंड के आयुष विभाग ने इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई कर ली है। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग ने उच्चीकरण से संबंधित डिटेल प्रोजेक्ट (डीपीआर) भी तैयार कर ली है। शासन स्तर जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाना है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा एके त्रिपाठी के अनुसार-केंद्र के सकारात्मक रूख को देखते हुए पूरी उम्मीद है कि जल्द ही ऋषिकुल काॅलेज का उच्चीकरण हो जाएगा। दूसरी तरफ, केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा का कहना है कि उत्तराखंड के प्रस्ताव पर कार्रवाई गतिमान है और मंत्रालय का रूख सकारात्मक है।


*पूरे देश में दर्जन भर है ऐसे काॅलेजों की संख्या*

-आयुर्वेद के सौ वर्ष पुराने काॅलेज पूरे देश में दर्जन भर हैं। उत्तराखंड इस मामले में भाग्यशाली है कि उसके पास हरिद्वार में ऋषिकुल और गुरूकुल के रूप में दो ऐसे आयुर्वेद काॅलेज हैं, जो सौ वर्ष से ज्यादा पुराने हैं। इनमें भी ऋषिकुल काॅलेज सबसे ज्यादा पुराना है, जिसकी स्थापना वर्ष 1919 में हुई थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि महामना मदन मोहन मालवीय ने इसकी स्थापना की थी। गुरूकुल काॅलेज की स्थापना वर्ष 1921 में स्वामी श्रद्धानंद ने की थी।


*ऋषिकुल में सात मंजिला हाॅस्पिटल का प्रस्ताव*

-उच्चीकरण के लिए जो विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, उसके ऋषिकुल में सात मंजिला हाॅस्पिटल का प्रस्ताव रखा गया है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा एके त्रिपाठी के अनुसार-ऋषिकुल काॅलेज में मौजूद पुराने हाॅस्पिटल को तोड़कर यह हाॅस्पिटल बनाए जाने का प्रस्ताव किया गया है। ऋषिकुल काॅलेज के पास 25 एकड़ जमीन उपलब्ध है। वर्तमान में यहां पर 11 विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कराई जा रही है।


*उत्तराखंड में आयुष से जुड़ी हर गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार का भी इस संबंध में राज्य को पूर्ण सहयोग मिल रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आयुष के संबंध में उत्तराखंड के जो भी प्रस्ताव है, उन पर जल्द ही मुहर लग जाएगी।*

*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*

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