Halloween party ideas 2015

 

विलक्षण संत थे टाट वाले बाबा: हरिहरानंद

​हरिद्वार  



परमपूजनीय प्रातः स्मरणीय वेदान्त वेता श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी के 35 वें वार्षिक वेदान्त सम्मेलन के समापन अवसर पर भक्ति एवं वेदान्त की गंगा गुरु वन्दना से बिरला घाट पर प्रवाहित हुई। दुर्लभ संत श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी महाराज के सानिध्य एवं संस्मरण प्रकट करते हुए बाबा के अनन्य शिष्य स्वामी विजयानंद जी महाराज ने कहा कि कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बाबा जी में विरक्त्तता, त्याग कोटि-कोटि कूट कर भरा हुआ था, जिस प्रसिद्धि एवं नाम के लिए दुनिया सिर पटकती है, दर-दर की ठोकरे खाती है, थोड़ा सा दान देकर तख्तियां लटकवाने के लिए तलबगार रहती है, लेकिन टाट वाले बाबा जी ने कभी भी बखान नहीं किया। गुलरवाले से आयी साध्वी एवं बाबा की अनन्य शिष्या महेश माता ने कहा कि बाबा ने कभी भी अपना नाम, जाति, ग्राम, कुल आदि क कभी बखान नहीं किया। बाबा का कहना था कि शरीर, मिथ्या, उसका नाम मिथ्या, जाति मिथ्या है तो उस में प्रीति क्यों करें l

​कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गरीबदासीय परम्परा के स्वामी ज्योतिषाचार्य स्वामी हरिहरानंद जी महाराज ने कहा कि उनका तो ब्रहमकुण्ड ही बिरलाघाट है, प्रत्येक स्थान पर्व पर अपने साधकों के साथ बिरला घाट पर टाट वाले बाबा जी के समाधि स्थल पर स्नान करके उनके दर्शनों का लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने बाबा जी को नतमस्तक होते हुए कहा कि टाट वाले बाबा इस युग के विलक्षण संत थे। वेदान्त के अर्थ को स्पष्ट किया। वेदो के पश्चात जब से संसार है तब से वेद है। सृष्टि अनादि है तो वे भी अनादि हैं। गुरु ने जैसा मंत्र दिया वैसा ही जप करना होगा। दूध का सार मक्खन होता है, ठीक उसी प्रकार वेदों का सार वेदान्त है। सभी को मक्खन निकालना नहीं आता है, उसी प्रकार वेदों का मक्खन निकालने की कला महापुरूष को ही होती है।

​भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री ने गुरु वंदना करते हुए कहा कि टाट वाले बाबा जी कहते थे कि अपने जीते जी अपनी मृत्यु का उत्सव मनाना शुरु कर दो, यह अत्यन्त ही यथार्थ सत्य है। जन्म के साथ मृत्यु परम सत्य है।

चार दिवसीय वेदान्त सम्मेलन में "एक अवधूत - न भूतो न भविष्यति" नाम की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। जो श्री श्री टाट वाले बाबाजी से जुड़े पुराने भक्तों के अनुभवों पर आधारित है और साधकों को साधना में उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

दिल्ली, मुंबई, रोपड़  गूलरवाला ,सोनीपत जैसी दूर-दूर की जगहों से आकर भक्त जन इसमें सम्मिलित हुए और संतों के मुखारविंद से बाबाजी के संस्मरणों को सुनकर भाव विभोर हो गए। सभी का एक ही स्वर था कि टाट वाले बाबाजी जैसे तपोनिष्ठ व विरक्त सन्त इस धरा पर कभी कभार ही अवतरित होते हैं। उनका कहना था- "पता नहीं बाबाजी में क्या आकर्षण है कि जो एक बार इस स्थान पर आ गया वो फिर यहीं का हो जाता है।"

​स्वामी कमलेशानंद जी तथा दिनेश शास्त्री ने टाट वाले बाबा को श्रद्धासुमन अर्पित किये। वेदान्त सम्मेलन में आये इस अवसर पर रविदेवजी, दिनेश दास, नंदूजी, कमलेशानंदजी, जगजीत सिंहजी, साध्वी ब्रह्मवादिनी गिरीजी व चेतनाविभु गिरिजी और कृष्णमई माताजी

भावना गौर, स्वामी सीताराम, महर्षि परशुराम, महात्मा रामचन्द्र, नीरजा महत्ता, दर्शन, महेश देवी, शारदा खिल्लन, रैना नैय्यर, कमला कालरा, नीना गौड़, नीलू शर्मा, राजरानी, रेणु अरोड़ा आदि ने भजन प्रस्तुत  किए lअध्यक्षा रचना ने श्रद्धासुमन अर्पित कर भजन प्रस्तुत किये। वेदान्त सम्मेलन का सफल संयोजन कर रहे डा सुनील कुमार बत्रा ने गुरु वंदन करते हुए अपने संस्मरण प्रस्तुत किये।

​इस अवसर पर मुख्य रुप से रचना मिश्रा अध्यक्षा, गुरु चरणा अनुरागी समिति, संजय बत्रा, विजय शर्मा, सुरेन्द्र बोहरा, दीपक भारती एड़, लव गौड़, सुशील भसीन अधिवक्ता, मधु गौड़, रमा वोहरा, उदित गोयल, आनन्द सागर, शारदा खिल्लन, ईश्वर तनेजा, नवीन अग्रवाल, श्रीमती मालती, पल्लवी सूद, सुश्री रीना नैय्यर आदि श्रद्धालुगण एवं भक्तजन उपस्थित थे।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.