*1955 से बनखंडी में स्थापित श्री रामलीला के दूसरे दिन हुआ राम जन्म, सीता जन्म, ताड़का वध, सुबाहु वध और अहिल्या उद्धार*
ऋषिकेश;
वर्ष 1955 से स्थापित श्रीरामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी में लीला के दूसरे दिन भगवान राम ने राजा दशरथ के यहाँ जन्म लिया और राक्षसी ताडका को एक ही बाण में मौत के घाट उतारा। राक्षसी ताडका का वध होने पर समस्त रामभक्त खुशी से झूम उठे और भगवान रामचंद जी के जयकारे लगाने लगे।
बनखंडी स्थित रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला मंचन के दूसरे दिन राम जन्म, सीता जन्म, ताडका वध, सुबाहु वध और अहिल्या उद्धार तक की लीला का मंचन किया गया। अध्यक्ष विनोद पाल ने बताया कि राजा दशरथ के यहाँ चार पुत्रों ने जन्म लिया, जिसमें सबसे बड़े पुत्र के रूप में राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुध्न ने जन्म लिया। इसके बाद मुनि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास राम और लक्ष्मण को लेने के लिए आते है, मगर राजा दशरथ राक्षसों के नरसंहार के लिए राम और लक्ष्मण को देने से मना करते हुए स्वयं चलने की बात कहते है। काफी समझाने के बाद विवश होकर राजा दशरथ मुनि विश्वामित्र को राम और लक्ष्मण सौंप देते है।
अध्यक्ष विनोद पाल ने बताया कि लीला के दूसरे दृश्य में दिखाया गया कि समस्त मानव जाति को कम्पायमान करने वाली मक्कार राक्षसी ताडका का सामना जब श्रीरामचंद जी से हुआ तो विश्वामित्र जी ने उसका वध करने का आदेश दिया। मुनि की आज्ञा पाकर श्रीराम एक ही बाण में ताडका का वध कर देते है। इसके बाद समस्त रामभक्तों में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है।
लीला के तीसरे दृश्य में दिखाया कि ताडका की मृत्यु का समाचार सुनकर सुबाहु और मारीच श्री राम जी के पास आते है, मारीच को भगवान राम एक छोर से दूसरे छोर पर फेंक देते हैं और सुबाहु को लक्ष्मण जी यमलोक पहुंचा देते हैं।
इसके बाद ऋषि गौतम के श्राप से शिला बनी अहिल्या का उद्धार श्रीराम अपने पैरों के स्पर्श से करते है। इस दौरान रामभक्त जय जयकार लगाते हैं। इस अवसर पर रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, पार्षद राजेश दिवाकर, सुरेंद्र कुमार, राकेश पारछा, रमेश कोठियाल, दीपक जोशी, हुकुम चंद, मनमीत कुमार, महेंद्र कुमार, बाली पाल, अनिल धीमान, ललित शर्मा, अशोक मौर्य, सुभाष पाल, पवन पाल, मयंक शर्मा, विनायक कुमार आदि उपस्थित रहे।
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