हमारे देश में एक से एक संत महात्मा और वीर पुरुष है।
सनातन की परंपरा को समझिए। एक वीर योद्धा जो भारतीय वायु सेवा में में तीन-तीन युद्ध कर अपनी सेवाएं दे चुका है और उसके पश्चात समाज को सही दिशा दिखाने के लिए संन्यास लेकर पायलट बाबा के नाम से विख्यात हुए। जूना अखाड़े में वरिष्ठतम माने जाने वाले महामंडलेश्वर से पायलट बाबा महायोगी ने इस दुनिया से विदा ले ली है।
देश सेवा उसके बाद समाज सेवा धर्म सेवा करते हुए सनातन की परंपराओं को निभाते हुए उन्होंने समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है ।
महायोगी पायलट बाबा के निधन होने पर पूरे संत समाज और जूना अखाड़े में शोक की लहर फैला दी है। श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया है।
जूना अखाड़ा ने इस दुखद घटना पर तीन दिन का शोक घोषित किया है।
इस दौरान पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए पूरे प्रदेश में स्थित जूना अखाड़े की शाखाओं, आश्रमों, और मुख्य पीठों पर शोक सभा और शांति पाठ का आयोजन किया जाएगा।
महंत हरी गिरी महाराज ने पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन और सेवा कार्यों की सराहना की।
सन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में भाग लिया था। सन्यास के बाद उन्होंने जूना अखाड़े की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी। जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
श्रद्धांजलि सभा में जूना अखाड़े के कई प्रमुख संतों ने भाग लिया और मां गंगा में श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
एक टिप्पणी भेजें