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इंसुलिन मीट 2024 का आयोजन

तंबाकू पर नियंत्रण के उद्देश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में बृहस्पतिवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

ऋषिकेश :

एम्स में कार्डियो डायबिटिक सोसायटी, उत्तराखंड व यूके- आरएसएसडीआई के संयुक्त तत्वावधान में इंसुलिन मीट 2024 का आयोजन किया गया।

 कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रेजिडेंट्स चिकित्सकों व नर्सिंग ऑफिसरों को विभिन्न श्रेणी के मधुमेह ग्रसित मरीजों को शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन दिए जाने के मानकों व तौरतरीकों की जानकारी दी।



बृहस्पतिवार को कार्डियो डायबिटिक सोसायटी,उत्तराखंड व रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटिज इन इंडिया उत्तराखंड चैप्टर (यूके -आरएसएसडीआई) की ओर से आयोजित कार्यशाला का बतौर मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह, अतिविशिष्ट अतिथि प्रभारी डीन एकेडमिक प्रो. शैलेंद्र हांडू व चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने संयुक्तरूप से विधिवत शुभारंभ किया। 

इस अवसर पर विशेषज्ञों ने शुगर से ग्रसित अलग अलग तरह के मरीजों में मधुमेह नियंत्रित करने के लिए दी जाने वाली इंसुलिन के मात्रा मानकों पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। एक दिवसीय कार्यशाला में संस्थान के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स, नर्सेस व एमबीबीएस स्टूडेंट्स ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में खासतौर से नर्सिंग ऑफिसरों को मधुमेह की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को इंसुलिन डोज देने के तौरतरीकों का प्रशिक्षण भी दिया गया।

इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि मधुमेह ग्रसित मरीज को सही व कारगर उपचार के लिए दी जाने वाली इंसुलिन की सही जानकारी होनी नितांत आवश्यक है। आयोजन समिति के अध्यक्ष व जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रविकांत ने प्रतिभागियों को किसी भी मधुमेह ग्रसित मरीज की शल्य चिकित्सा से पहले और उसके बाद दी जाने वाली इंसुलिन डोज की विस्तृत जानकारी दी।

इस दौरान संस्थान के मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रो. रविकांत ने टाइप- टू डायबिटिक मरीजों में इंसुलिन की भूमिका पर भी चर्चा की। 

संस्थान की एंडोक्रॉनियोलॉजिस्ट डॉ. कल्याणी श्रीधरन ने प्रतिभागियों को मधुमेह ग्रसित मरीजों के लिए इंसुलिन की महत्ता पर प्रकाश डाला। साथ ही इंसुलिन दिए जाने के तौरतरीके बताए। उन्होंने स्टिरॉयर्डस के साथ इंसुलिन के उपयोग व मानकों की जानकारी भी दी।

इमरजेंसी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. निधि कैले ने आपात चिकित्सा विभाग में आने वाले अत्यधिक गंभीर मरीजों में इंसुलिन के उपयोग से संबंधित जानकारियां दी। मेडिसिन विभाग के डॉ. मुकेश बैरवा ने आईसीयू में भर्ती मरीजों को दी जाने वाली इंसुलिन डोज से संबंधित विषय पर चर्चा की। इस अवसर पर डीन प्रो. हांडू, एमएस प्रो. मित्तल आदि ने भी व्याख्यान दिया। 

कार्यशाला में प्रशिक्षक पंकज पुनजोत ने रेजिडेंट्स चिकित्सकों व नर्सिंग अधिकारियों को इंसुलिन लगाने का प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर यूके- आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. विपिन मेहरा व साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉ. संजय शाह ने टाइप- वन डायबिटिज से ग्रसित बच्चों को यूके- आरएसएसडीआई संस्था की ओर से मुफ्त इंसुलिन उपलब्ध कराने में मदद की घोषणा की है।  

आयोजन समिति के प्रमुख प्रो. रविकांत, आयोजन सचिव डॉ. मुकेश बैरवा, डॉ. रीफिका, डॉ. ऐश्वर्या, डॉ.साहिल, डॉ. बालाचंद्र, डॉ. ओम, डॉ.अनुष्का, डॉ. स्वाति के अलावा विभिन्न विभागों के फैकल्टी सदस्यों, चिकित्सक मौजूद थे।

तंबाकू पर नियंत्रण के उद्देश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में बृहस्पतिवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 


विश्व तंबाकू निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा तंबाकू को कैंसर का प्रमुख कारण बताया गया और जन-जागरुकता के माध्यम से इसके उन्मूलन की बात कही गई। 

स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे तंबाकू पर नियंत्रण के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश द्वारा विशेष कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसके तहत तंबाकू उन्मूलन और इसके खतरों के प्रति आम लोगों को आगाह कर उन्हें जागरुक किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जनजागरुकता के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। 

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने कहा कि तम्बाकू का सेवन न केवल मुंह के कैंसर का कारण बनता है अपितु यह फेफड़ों में भी कैंसर पैदा करता है। उन्होंने कहा कि इस पर रोक लगाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को अपनी भूमिका निभानी होगी। प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि इस वर्ष की थीम ’तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की रक्षा करना’ है। कार्यक्रम को प्रभारी डीन एकेडमिक प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने भी संबोधित किया। 

इस अवसर पर राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, उत्तराखंड के नोडल अधिकारी डॉ. आदित्य सिंह ने एमपीएच और एमडी कम्युनिटी मेडिसिन के छात्रों के साथ चर्चा करते तंबाकू के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला दिया और आह्वान किया कि युवा वर्ग खासतौर से स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को तंबाकू उद्योग की रणनीति और इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। ताकि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बचाया जा सके। 

इस अवसर पर निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने उपस्थित सदस्यों को तंबाकू त्यागने हेतु संकल्पित होने के लिए शपथ भी दिलाई। गौरतलब है कि तंबाकू नियंत्रण कानून (सीओटीपीए) के अनुपालन का आंकलन करने और उत्तराखंड में युवाओं और वयस्कों के बीच तंबाकू के उपयोग की व्यापकता का अनुमान लगाने के लिए एम्स ऋषिकेश एक विशेष परियोजना का नेतृत्व कर रहा है। परियोजना के तहत संस्थान द्वारा राज्यभर के स्कूलों में (तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान) सर्वेक्षण आयोजित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है। 


कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि कम्यूनिटी एण्ड फेमिली मेडिसिन विभाग के फेकल्टी सदस्य डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. विशाल धीमान, डॉ. महेंद्र सिंह और डॉ. योगेश ए. बहुरूपी ने तंबाकू नियंत्रण पर बुनियादी पाठ्यक्रम एवं बेसिक कोर्स ऑन तंबाकू कंट्रोल (बीसीटीसी) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। 

यह भी बताया गया कि अनुसंधान में योगदान देते हुए एमपीएच छात्र डॉ. पुष्पेंद्र कौशिक ने उत्तराखंड में तंबाकू समाप्ति विषय पर एक शोध प्रबंध लिखा है। विभाग के ही जूनियर रेजिडेंट डॉ. जोएन मैथ्यू तंबाकू मुक्त गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। 

कार्यक्रम के दौरान उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नरेन्द्र कुमार, मुख्य नर्सिंग अधिकारी रीटा शर्मा, सीएफएम विभाग के एस.आर, जे.आर. व नर्सिंग स्टाफ सहित बालाजी सेवा संस्थान के अवधेश कुमार, ममता थापा सहित अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।

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