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Uttarakhand cabinet decision 14 feb,2024


01- विभाग का नाम- चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा

एक्स-रे टैक्नीशियन संवर्ग के ढांचे पुनर्गठित किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभागान्तर्गत एक्स-रे टैक्नीशियन संवर्ग के आई०पी०एच०एस० (Indian Public Health Standards (IPHS) मानकानुसार विद्यमान ढांचे में एक्स रे टैक्नीशियन के कुल 161 पद स्वीकृत हैं किन्तु संवर्ग में पदोन्नति का कोई पद सोपान उपलब्ध न होने के दृष्टिगत विभागीय कार्यदक्षता बढाये जाने एवं कार्मिकों को पदोन्नति के अवसर प्रदान किये जाने के उद्देश्य से वर्तमान स्वीकृत 161 पदों को 03 पद सोपान में वर्गीकृत कर पुनर्गठित किया गया है।


02- विभाग का नाम- कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग विषय-राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को गणवेष प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं सीमित संसाधनों, राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ आई०टी०आई० हेतु अभ्यर्थियों में रुझान एवं समान गणवेश के फलस्वरूप समस्त आई०टी०आई० में एकरूपता आदि के उद्देश्यों से राजकीय औद्य ोगिक प्रशिक्षण सस्थानों में प्रवेश लेने वाले नव-प्रशिक्षणार्थियों को आगामी शैक्षिक सत्र-2024 से गणवेष हेतु वित्तीय सहायता प्रदान किया जाना है। उक्त योजना के अन्तर्गत नव-प्रवेशार्थियों को गणवेष हेतु राजकीय विद्यालयों में प्रदान की जाने वाली सहायता की सीमा तक वित्तीय सहायता, डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से प्रदान की जायेगी


03- विभाग का नामः वन विभाग, उत्तराखण्ड शासन।

जनपद-अल्मोडा में योगदा आश्रम सोसाईटी ऑफ इण्डिया, द्वाराहाट को अतिरिक्त 3.00 है० वन भूमि को 30 वर्षों की लीज पर दिये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया, द्वाराहाट के अन्तर्गत श्री श्री महावतार बाबाजी की गुफा द्वाराहाट शहर से लगभग 25 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है तथा पूरे विश्व में योगियों और तीर्थयात्रियों के लिए ऐतिहासिक और अध्यात्मिक स्थान है। यहाँ राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के तीर्थयात्री आते है। गुफा के आस-पास वन एवं वन्यजीव संरक्षण हेतु योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया के द्वारा अतिरिक्त 03 है० वन भूमि को 30 वर्षों हेतु लीज पर दिये जाने का अनुरोध किया गया है।

मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लीज नीति-2021 के प्रस्तर संख्या-3.2.6 में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत जनपद अल्मोड़ा में योगदा आश्रम सोसाईटी ऑफ इण्डिया, द्वाराहाट को अतिरिक्त 3.00 है० वन भूमि को 30 वर्षों की लीज पर दिये जाने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान करते हुए औपचारिक प्रस्ताव भारत सरकार प्रेषित किये जाने का निर्णय लिया गया है।


04- नियोजन अनुभाग-2 उत्तराखण्ड शासन ।

प्रकरण सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित कार्यों के सम्पादन हेतु भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्रों के 04 उपक्रमों ITI Ltd, Central Electronics Ltd, Millenium Telecom Ltd and Telecommunication Consultant India Ltd. को कार्यदायी संस्था के रूप में सूचीबद्ध किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।


05- विभाग का नाम :- आयुष एवं आयुष शिक्षा, उत्तराखण्ड शासन

आयुष एवं आयुष शिक्षा विभागान्तर्गत राज्य में संचालित 08 उच्चीकृत राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में पदों का सृजन किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

आयुष एवं आयुष शिक्षा विभागान्तर्गत आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें विभाग के अधीन संचालित 08 उच्चीकृत दस शैय्यायुक्त राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों, जो कि पर्याप्त आवश्यक संशाधनों (यथा उपकरणों / फर्नीचर / शैय्याओं) से पूर्णरूपेण सुसज्जित हैं, के सुचारू संचालन हेतु जनहित में उक्त 08 उच्चीकृत राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में विभागीय आवश्यकतानुसार जनहित में विभिन्न संवर्गों के महत्वपूर्ण कुल 82 पदों का सृजन किया जाना प्रस्तावित है।


06- विभाग का नाम-न्याय विभाग

मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा सिविल रिट पिटीशन सं0 643/2015 ऑल इण्डिया जजेस एसोसियेशन बनाम भारत संघ एवं अन्य में पारित आदेश दिनांक 04.01. 2024 के अनुपालन में राज्य के समस्त न्यायिक अधिकारियों को पुनरीक्षित भत्ते एवं अन्य सुविधायें अनुमन्य किये जाने हेतु कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।


07- राज्य में हवाई सेवा सम्पर्क की बाधाओं को दूर करने एवं इस क्षेत्र की क्षमता को बढाने के लिये उत्तराखण्ड नागरिक विकास प्राधिकरण के माध्यम से कार्य करते हुये उत्तराखण्ड हवाई सम्पर्क योजना 2024 को विकसित किया जाना है। इस योजना का उद्देश्य चयनित एअर संचालकों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुये उत्तराखण्ड के नागरिक उड्डयन क्षेत्र को विस्तृत करने, निर्बाध यात्रा एवं क्षेत्र की समग्र कनेक्टिविटी को बढावा देने हेतु एअर संचालकों को राज्य के घरेलू एवं अन्तरराष्ट्रीय सम्पर्क को विस्तारित किये जाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित किया जायेगा।


08-विभाग का नामः गृह अनुभाग-5

उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता 'विशेषज्ञ समिति' की गोपनीय रिपोर्ट के प्रकाशन को नियमित क्रय प्रक्रिया (GEM) से छूट प्रदान किये जाने के संबंध में  कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

राज्य सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद-44 के अनुपालन में शासनादेश सं0-452 दिनांक 27.05.2022 के द्वारा उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने हेतु 'विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है,

उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता 'विशेषज्ञ समिति' की गोपनीय रिपोर्ट के प्रकाशन को नियमित क्रय प्रक्रिया (GEM) से छूट प्रदान करते हुए उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2017 के आलोक में इस शर्त के साथ अनुमति प्रदान की गयी है कि चयन किये गये प्रकाशक हेतु स्वीकृत धनराशि GEM द्वारा निर्धारित दरों से अधिक न हो। उक्त के क्रम में समान नागरिक संहिता का कार्य अति गोपनीय एवं तात्कालिक होने के दृष्टिगत रिपोर्ट प्रकाशन को नियमित क्रय प्रक्रिया (GEM) से छूट प्रदान किये जाने हेतु विचलन के माध्यम से मा० मुख्यमंत्री जी का अनुमोदन प्राप्त किया जा चुका है।


09-विभाग का नाम : गृह अनुभाग-05

उत्तराखण्ड प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण (संशोधन) नियमावली, 2024 के संबंध में  कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

वर्ष 2020 से पसारा के अन्तर्गत अनुज्ञप्ति प्राप्त करने के लिए ऑनलाईन प्रक्रिया चालू की गयी। वर्ष 2020 से पूर्व के कतिपय आवेदनकर्ताओं द्वारा शासन से कतिपय विन्दुओं पर पृच्छा की जा रही थी। जनसामान्य की कठिनाईयों को दूर करने के लिए उत्तराखण्ड प्राईवेट सुरक्षा अभिकरण नियमावली, 2022 में संशोधन की आवश्यकता पडी। उक्त नियमावली में निम्नवत् संशोधन प्रस्तावित किये जाने है।

भारत सरकार द्वारा प्रख्यापित / अधिसूचित प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण (विनियमन) अधिनियम, 2005 एवं प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण केंद्रीय मॉडल नियम, 2020 को उत्तराखण्ड राज्य द्वारा उत्तराखण्ड प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण नियमावली, 2022 के रूप में अंगीकार करते हुए अधिसूचित की गयी। उत्तराखण्ड प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण नियमावली. 2022 के अन्तर्गत आ रही कतिपय व्यवहारिक कठिनाईयों के दृष्टिगत उत्तराखण्ड प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण (संशोधन) नियमावली, 2024 अधिसूचित की जानी है।


10- वर्तमान में राज्य सरकार के सेवारत कार्मिकों एवं उनके आश्रितों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के दावों के भुगतान के संबंध में अंशदान आधारित योजना राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना प्रभावी है जिसके द्वारा राज्य में पूर्व लागू चिकित्सा प्रतिपूर्ति संबंधी स्थापित व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया था। राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना राजकीय कार्मिकों एवं पेंषनरों दोनो पर अनिवार्य थी। मा० उच्च न्यायालय के आदेषों के अनुपालन में इसे पेंषनरों और उनके आश्रितों हेतु वैकल्पिक किया गया।

राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना से OPT-OUT हो चुके राजकीय पेंषनरों के चिकित्सा उपचार पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु कोई वर्तमान में व्यवस्था संचालित नही होने से OPT- OUT हो चुके पेंषनरों और उनके आश्रितों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति के निस्तारण हेतु राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना से OPT-OUT हो चुके राजकीय पेंषनरों के चिकित्सा उपचार पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति के प्रयोजन हेतु पूर्व में शासनादेष संख्या 679 दिनांक 04.09.2006 में प्राविधानित व्यवस्था को इस सीमा तक पुनर्जीवित किया गया है।


11- राज्य सरकार के "दृष्टि पत्र 25 संकल्प 2022" के बिंदु सं0-02 के अनुसार उच्च शिक्षा विभागान्तर्गत पूर्व से संचालित 'मुख्यमंत्री मेधावी छात्र पुरस्कार योजना' से सम्बन्धित शासनादेश दिनांक 15.12.2020 में आंशिक संशोधन करते हुये देश के शीर्ष 50 एन०आई०आर०एफ० विश्वविद्यालयों (Overall) में स्नातक डिग्री प्राप्त करने के लिये प्रवेश पाने वाले उत्तराखण्ड राज्य के अधिकतम 100 छात्र-छात्रओं को पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के सफल समापन पर ₹50,000/- की प्रोत्साहन राशि प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया है। उक्त शासनादेश में निहित प्रतिबन्ध एवं अन्य शर्तें यथावत् रहेंगी।


12- जनपद ऊधमसिंहनगर में स्थित पन्तनगर हवाई पट्टी के Runway की लम्बाई को 1372 मीटर से 3000 मीटर तक विस्तारित किये जाने हेतु 804.0162 एकड़ अर्थात 325.5126 है0 भूमि की आवश्यकता के दृष्टिगत भूमि का अधिग्रहण करते हुए नागरिक उडडयन विभाग के नाम हस्तान्तरित किये जाने की पूर्व में मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमति प्रदान कर दी गयी है। इसी क्रम में विस्तारीकरण के लिए अधिग्रहित भूमि में से ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा एन0एच0-109 (पुराना एन0एच0-87) के लगभग 7 किमी0 लम्बाई का पुनः संरेखण एवं निर्माण किया जाना होगा, जिस हेतु भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग - 109 (पुराना एन0एच0-87) के लगभग 7 किमी लम्बाई के पुनः संरेखण के निर्माण की लागत रू0 188.55 करोड़ वहन किये जाने हेतु राज्य सरकार की सहमति दी जानी है। उक्त प्रस्तावित नीति पर मा० मंत्रिमण्डल का अनुमोदन प्राप्त किये जाने हेतु मा० मंत्रिमण्डल के समक्ष रखा गया है।


13- विभाग-भाषा विभाग, उत्तराखण्ड शासन ।

उत्तराखण्ड भाषा संस्थान एवं अकादमियों के विभागीय ढांचे का पुनर्गठन ।

उत्तराखण्ड भाषा संस्थान अधिनियम, 2018 के अधीन भाषा विभाग की अधिसूचना सं0-424 दिनांक 23 जनवरी, 2020 द्वारा उत्तराखण्ड भाषा संस्थान का गठन किया गया है। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के अन्तर्गत गठित हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा एवं बोली अकादमियों का उददेश्य हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा एवं बोलियों का विकास संवर्धन, शोधकार्य, मानकीकरण, अनुवाद कार्य इत्यादि है। वर्तमान में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान का कार्य नितान्त अस्थायी सृजित पदों/आउट सोर्सिंग कार्मिकों द्वारा सम्पादित किया जा रहा है।

उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के अन्तर्गत क्रमशः हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा एवं बोली अकादमियों द्वारा भाषा संवर्धन / संरक्षण हेतु किये जाने वाले कार्यों के सफल संचालन हेतु उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के अन्तर्गत विभिन्न संवर्गों में कुल 51 पदों के सृजन का प्रस्ताव है। केवल 42 पदों पर स्वीकृति प्रदान की गई


14- विभाग नाम नियोजन विभाग, उत्तराखण्ड शासन ।

राज्य में नीति नियोजन से सम्बन्धित संस्थान "स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफॉरमिंग उत्तराखण्ड" (SETU) के संगठनात्मक ढाचें में किये गये आंशिक संशोधनों के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

नियोजन अनुभाग-1, उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना सं0-220/ ई-44799/XXVI/एक (8)/2022, दिनांक 21 जुलाई, 2023 द्वारा स्टेट इंस्टीटयूट फॉर इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफॉरमिंग उत्तराखण्ड का गठन किया गया है। उक्त अधिसूचना द्वारा सेतु के संगठनात्मक ढांचें में नीतिगत निकाय, प्रशासनिक निकाय एवं विशेषज्ञ एवं तकनीकी निकाय गठित किये गये है। शासन की अधिसूचना सं0-37/ई-61220/XXVI/एक (8)/2022, दिनांक 25 जनवरी, 2024, अधिसूचना सं0-38/ई-61220/XXVI / एक (8)/2022, दिनांक 25 जनवरी, 2024 एवं शासन के कार्यालय ज्ञाप संख्या-सं0-44/ ई-44799/ XXVI/एक (8)/2022, दिनांक 29 जनवरी, 2024 द्वारा सेतु के नीतिगत निकाय एवं विशेषज्ञ एवं तकनीकी निकाय में किये गये आंशिक संशोधन से मा० मंत्रिमण्डल को अवगत कराया गया है।

*नई आबकारी नीति को केबिनेट ने दी मंजूरी*

  • *पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन ईकाई की स्थापना का प्राविधान*
  • *आबकारी से राजस्व में 11% की वृद्धि का लक्ष्य*
  • *जड़ी बूटियों और स्थानीय उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा, स्थानीय किसानों को मिलेगा लाभ*
  • *स्थानीय उद्यमियों को भी मिलेगा लाभ*


राज्य की आबकारी नीति को और भी अधिक पारदर्शी बनाते हुए उत्तराखंड सरकार ने आबकारी के संबंध में आज के कैबिनेट के निर्णयों से मिलावटी शराब को रोकने, पर्यटन प्रदेश होने के नाते ब्रांड उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से  उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2024  के तहत अहम कदम उठाये हैं जिनमे 

वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व लक्ष्य ₹ 4000 करोड़ के सापेक्ष 11% की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए ₹ 4440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन ईकाई की स्थापना का प्राविधान किया गया है, जिसे सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में कम से कम क्षेत्रफल में स्थापित किया जा सकेगा जो कि आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय मानकों के अनुकूल होने से स्थानीय पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।


उत्तराखंड में संचालित आसवानी में उच्च गुणवत्ता की मदिरा निर्माण होने से एक ओर राजस्व में वृद्धि होगी वही राज्य में प्रचुर मात्रा में उगने वाली वनस्पतियों, जड़ी बूटियों का उपयोग होने से स्थानीय किसानों हेतु आय के नए साधन उत्पन्न होगे एवं राज्य में निर्मित मदिरा को विश्वस्तर पर पहचान मिलेगी। राज्य की उच्च गुणवत्तायुक्त जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों तथा हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता के कारण उच्च गुणवत्ता के जल स्रोत व अन्य कारकों के कारण विश्वस्तरीय सुगधित मदिरा के मदिरा/मॉल्ट के उत्पादन के हब के रूप में राज्य प्रतिष्ठित हो सकेगा। जिस प्रकार यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली आदि विश्वस्तरीय मदिरा के लिए प्रतिष्ठित है उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड विश्वस्तरीय स्प्रिटामॉल्ट के उत्पादन केंद्र के रूप में अतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगा। 


विदेशी मदिरा की भराई (बॉटलिंग) के लिए आबकारी राजस्व एवं निवेश के दृष्टिगत प्रथम बार प्राविधान किए जा रहे है ताकि प्रदेश "उपभोक्ता राज्य से उत्पादक एवं निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सके। प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखण्ड राज्य के मूल/स्थायी निवासियों के रोजगार के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा (IMFL) की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन / व्यापार (FL-2) अनुज्ञापन को उत्तराखण्ड के अर्ह नागरिकों को दिए जाने का प्राविधान किया गया है।


 आबकारी राजस्व अर्जन की दृष्टि से प्रथम बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक अनुज्ञापन FL-2(O) का प्राविधान किया गया है जिससे कस्टम बॉण्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा। राज्य की कृषि/बागवानी से जुड़े कृषकों के हित में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती,तिमूर, आड़ आदि का समावेश किया जाना अनुमन्य किया गया है। मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण, दो चरणों की लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धात पर पारदर्शी एवं अधिकतम राजस्व अर्जन की दृष्टि से किया जाएगा। नवीनीकरण उन्ही अनुज्ञापियों का किया जाएगा जिनकी समस्त व्यपगत देयताए बेबाक हों और प्रतिभूतियाँ सुरक्षित हों। आवेदक को आवेदन पत्र के साथ दो वर्ष का ITR दाखिल करना अनिवार्य होगा। एक आवेदक सम्पूर्ण प्रदेश में अधिकतम तीन मदिरा दुकानें आवंटित की जा सकेंगी।  प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की अनुमति राजस्व हित दी जा सकेगी। देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार शराब या 25 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार एवं सादा मदिरा एवं विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति के प्राविधान किए गए हैं। विदेशी / देशी मदिरा के कोटे का अनतरण कोटे के अधिभार के 10% तक अनुमन्य होगा। विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्राण्डो का मूल्य विगत वर्षों की भाँति निर्धारित किया गया है, जिससे आबकारी राजस्व सुरक्षित रहे और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मदिरा उपलब्ध हो सके।


 प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन एवं स्थानीय रोजगार की दृष्टि से पर्वतीय तहसील एवं जनपदो में मॉल्स डिपार्टमेन्टल स्टोर में मदिरा बिक्री का अनुज्ञापन शुल्क ₹.05 लाख (पाँच लाख)/ दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रविधान किया है।  विगत वर्ष से भिन्न स्टार कैटेगरी के अनुसार बार अनुज्ञापन शुल्क निर्धारित किया गया है, इसी प्रकार पर्यटन की दृष्टि से सीजनल बार अनुज्ञापन शुल्क का प्रावधान किया गया है।परपरागत रूप से अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही करने तथा ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने हेतु उप दुकान का प्राविधान किया गया है।

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