दूधली/डोईवाला:
शहरोँ की गंदगी ने सुस्वा नदी को बना दिया गंदा नाला, गांवों पर पड़ी आफत, शहरीकरण की सजा भुगत रहे है गांववासी।
कीमती प्रजाति की फसलें गायब, विकास का जो बीज उत्तराखण्ड में बोया गया था उसकी फसल अब पकने लगी है।
कैंसर रोग से ग्रस्त हो गया है दूधली क्षेत्र।
कईं ग्रामीणों की ले चुका है जान। क्षेत्र में कैंसर रोगी के बढ़ने से चिंता सता रही है ग्रामीणों को। इसे लेकर ग्रामीणों में भारी रोष भी बना हुआ है ।
सुसवा नदी में सीवेज लाइन के साथ देहरादून शहर की गंदगी को भी छोड़ दिया गया। गंदगी से पर्यावरण में दूषित हवा तो फैल ही गयी साथ ही जैविक खेती भी हुई है ।
इसी से प्रभावित सुषमा बोरा अध्यक्ष मां श्रीमती कौशल्या बोरा फाउंडेशन के अनुसार जहां जैविक देहरादूनी बासमती विलुप्त होने को है। वहीं रक्त दान के साथ नेत्र दान की हमारे द्वारा चलाई जा रही मुहिम को गहरा आघात लगा है ।लोगों द्वारा रक्तदान के साथ नेत्र दान भी नहीं करा पा रहे हैं।
क्योंकि कैंसर रोगी होने के साथ दूषित भोजन एवम सांप के काटने पर हुई मृत्यु से नेत्र दान नहीं हो सकता।
इस क्षेत्र में कैंसर रोगी की संख्या तेजी से संख्या बढ़ जाने की वजह को सरकार द्वारा जांच की जानी चाहिए।
साथ ही इसके कारणों की तह तक पहुंचने पर इससे बचने के उपाय बताने चाहिए । इसके लिये घर घर सर्वे की मांग करते हुए फाउंडेशन की अध्यक्ष ने कहा है कि इस प्रकार से कईं लोगों की जान बचाई जा सकती है और जागरूकता अभियान द्वारा समय रहते इलाज किया जा सकता है।
दूधली क्षेत्र में जहां एक ओर फसलों को नुक़सान पहुंच रहा है, वहीं जंगली जानवरों जो टाईगर रिजर्व पार्क क्षेत्र में इस सुसवा नदी के पानी को पीते हैं उनको भी बीमारी का खतरा है ।
क्षेत्र में चर्म रोगियों की संख्या भी बढ़ गयी है। अतः कैंसर रोगी बढ़ने के अन्य कारणों की जांच कर समय रहते समाधान किया जाना चाहिए।
उमेद बोरा पूर्व प्रधान एवं सामाजिक कार्यकर्ता डोईवाला देहरादून उत्तराखंड ने सरकार से गुजारिश की है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ही सुस्वा को नया जीवन दे सकता है और मनुष्यों एवम जानवरो को गंभीर बीमारियों से बचा सकता है।
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