मुख्यमंत्री ने किया ‘‘ मेरी योजना’’ पुस्तक का ई बुक के रूप में विमोचन*
देहरादून:
*राज्य में कुल 27 उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग।*
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में जीआई प्रमाण पत्रों का वितरण किया। उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है, जिसे एक दिन में सबसे अधिक 18 जीआई प्रमाण पत्र मिले हैं। अब तक उत्तराखण्ड के कुल 27 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। राज्य को जो 18 नये जी.आई प्रमाण पत्र मिले हैं उनमें उत्तराखण्ड चौलाई, झंगोरा, मंडुआ, लाल चावल, अल्मोड़ा लखोरी मिर्च, बेरीनाग चाय, बुरांस शरबत, रामनगर नैनीताल लीची, रामगढ़ आडू, माल्टा, पहाड़ी तोर, गहत, काला भट्ट, बिच्छूबूटी फैब्रिक, नैनीताल मोमबत्ती, कुमांऊनी रंगवाली पिछोड़ा, चमोली रम्माण मास्क तथा लिखाई वुड कार्विंग शामिल हैं। उत्तराखण्ड के नौ उत्पादों तेजपात, बासमती चावल, ऐपण आर्ट, मुनस्यारी का सफेद राजमा, रिंगाल क्राफ्ट, थुलमा, भोटिया दन, च्यूरा ऑयल तथा ताम्र उत्पाद को पहले ही जी.आई टैग प्राप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही आज भारत सरकार से उत्तराखंड के 18 उत्पादों को भौगोलिक संकेतक टैग युक्त प्रमाण पत्र मिल पाए हैं। जिन उत्पादों को जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किये गये, उनके उत्पादकों को भी मुख्यमंत्री ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन उत्तराखण्ड के लिए ऐतिहासिक है। 2003 में जीआई कानून बनने से लेकर 2023 तक के बीस वर्षों के सफर में पहली बार एक दिन में, एक साथ किसी राज्य के 18 उत्पादों को जीआई प्रमाण पत्र निर्गत किये गए हैं। इस उपलब्धि से उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजनों के साथ ही कई अन्य वस्तुओं तथा इनसे संबंधित कलाकारों को काफी लाभ होने के साथ ही दुनियाभर में उत्तराखंड को अलग पहचान मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जीआई टैग युक्त उत्तराखण्ड के उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के प्रयासों को इससे और मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के सभी जिलों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना पर राज्य में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। इस योजना के तहत बाजार में मांग के अनुरूप कौशल विकास, डिजाइन, रॉ मैटेरियल, नई तकनीक आदि के आधार पर प्रत्येक जिले में दो उत्पादों का विकास किया जा रहा है। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में वहां के स्थानीय उत्पादों को पहचान कर उनके अनुरूप परंपरागत उद्योगों का विकास करना योजना का मुख्य उद्देश्य है। इस योजना से स्थानीय काश्तकारों एवं शिल्पकारों के लिए जहां एक ओर स्वरोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हर जिले के स्थानीय उत्पादों को विश्वस्तरीय पहचान मिल रही है।
कृषि एवं उद्यान मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड के लिए आज का दिन बेहद हर्ष का दिन है। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड के मोटे अनाज मण्डुआ, झंगोरा, लाल चावल सहित 18 उत्पादों को एक साथ भौगोलिक सकेंतक (जीआई टैग) प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत तथा लोकल फॉर ग्लोबल अभियान को बढ़ावा देने एवं श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए जो मार्ग दर्शन दिये गये हैं, उसके अनुरूप प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जीआई के लिए प्रयास किया। उन्होंने कहा कि राज्य को एक साथ 18 उत्पादों के जीआई टैग प्राप्त हुए हैं जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तराखण्ड के 09 उत्पादों को जीआई टैग पहले ही मिल चुका है। कृषि मंत्री ने कहा कि 12 से 18 जनवरी 2024 तक एक सप्ताह का देहरादून में प्रदेश स्तरीय जी.आई महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर उत्त्राखण्ड मण्डी परिषद एवं विपणन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अनिल डब्बू, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार श्री भाष्कर खुल्बे, सचिव श्री आर मीनाक्षी सुंदरम, पद्मश्री एंव जीआई विशेषज्ञ श्री रजनीकांत, महानिदेशक कृषि श्री रणवीर सिंह चौहान, और वर्चुअल माध्यम से भारत सरकार के महानियंत्रक प्रो. उन्नत पी. पंडित उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग,उत्तराखण्ड शासन द्वारा तैयार की गई पुस्तक ‘‘ मेरी योजना’’ का विमोचन ई0 बुक के रूप में किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के प्रयासो की सराहना करते हुए कहा कि आम जनता के हित में लागू की जाने वाली विभिन्न योजनाओं को पुस्तक के माध्यम से सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है। इससे जन सामान्य को जनहितकारी योजनाओं को सरल भाषा में समझने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक जनप्रतिनिधियों तथा आमजनमानस के साथ-साथ अधिकारीगणों एवं कार्मिकों के लिए भी उपयोगी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन प्रक्रिया की जानकारी, आवेदन कैसे और कहां करना है एवं योजनाओं की पात्रता/चयन प्रक्रिया क्या है तथा आवेदन हेतु किन-किन आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता रहती है। इससे संबंधित जानकारी को सुलभता से समझाने की प्रक्रिया को पुस्तक के रूप में सरल भाषा में समावेश किया जाना निश्चित रूप से सभी के लिए उपयोगी रहेगा।
सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन श्री दीपक कुमार ने बताया कि इस पुस्तक को प्रकाशित करने का मूल उद्देश्य जनसामान्य को जनकल्याणकारी, स्वरोजगारपरक, रोजगारपरक, कौशल विकास, प्रशिक्षणपरक एवं निवेशपरक योजनाओं की जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध कराना है।
सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन ने बताया कि इस पुस्तक में लगभग 55 विभागों, संस्थाओं, संगठनों, बोर्ड, प्राधिकरण, एजेंसियों एवं आयोगों की लगभग 400 योजनाओं, नीतियों, कार्यक्रमों के मूलभूत सेवाओ, प्रमाणपत्रों, पोर्टल का समावेश किया गया है। इससे
राज्य सरकार के सभी विभागों द्वारा आमजनमानस के हित में संचालित की जाने वाली योजनाओं की जानकारी इस पुस्तक के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाना है।
इस अवसर पर कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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