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 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से फोन के माध्यम से उत्तरकाशी के सिल्क्यारा के पास टनल में फँसे श्रमिकों के बारे में जानकारी ली।

Tunnel sikhata uttarkashi


 मुख्यमंत्री ने राहत और बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि  विभिन्न राज्य और केंद्रीय एजेंसियां परस्पर समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।



Machine to drill parallel way near trapped tunnel



सिलक्यारा सुरंग के भू धंसाव से अवरुद्ध हिस्से में बड़े व्यास के एमएस पाइप डालकर  फंसे मजदूरों को निकालने के लिए क्षैतिज ड्रिलिंग हेतु ऑगर मशीन के लिए प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है। 900 एमएम व्यास के पाइपों से लदे ट्रक मध्यरात्रि से ही सिलक्यारा पहुंचना शुरू हो गए हैं।सिल्क्यारा बचाव अद्यतन* 

 *1-* 900 मिमी व्यास के पाइप।  साइट पर पहुंचे.

 *2-* ऑगर ड्रिलिंग मशीन साइट पर पहुंच गई है.

 *3-* ऑगर मशीन के लिए प्लेटफार्म तैयार कर लिया गया है.

 *4-* ऑगर ड्रिलिंग मशीन की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।


 मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया और बचाव कार्यों पर  लगातार नजर रखें हैं।  बचाव कार्य के लिए बड़े व्यास के ह्यूम पाइप हरिद्वार और देहरादून से भेजे जाने की व्यवस्था कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है। 


अब तक प्रधानमंत्री दो बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री और रेल मंत्री भी सीएम धामी से बात कर चुके हैं। केंद्रीय एजेंसियां और एक्सपर्ट मौके पर मौजूद हैं।


ज्ञात हो कि  उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप निर्माणाधीन लगभग 4531 मी0 लम्बी सुरंग जिसका कि सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मी0 तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मी0 निर्माण हो चुका है, में दिनाँक 12 नवम्बर, 2023 की प्रातः 08:45 पर सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिरने के कारण 40 व्यक्ति फँस गये थे। कार्यदायी संस्था एन.एच. आई.डी. सी. एल. द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार फँसे हुये व्यक्तियों में से 02 उत्तराखण्ड के 01 हिमाचल का, 04 बिहार के 03 पश्चिम बंगाल के, 08 उत्तरप्रदेश के, 05 उड़ीसा के, 15 झारखण्ड के एवं 02 आसाम के हैं ।

सुरंग के अंदर कम्प्रेशर के माध्यम से निरन्तरता में ऑक्सीजन प्रवाहित की जा रही है और दबावयुक्त हवा के साथ भोजन सामग्री के छोटे-छोटे पैकेट भी फँसे हुये व्यक्तियों तक पहुँचाये जा रहे हैं। फँसे हुये व्यक्तियों के साथ वॉकी-टॉकी के माध्यम से बातचीत की जा रही है और प्राप्त सूचना के अनुसार सभी व्यक्ति सुरक्षित हैं।

सम्बन्धित विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर एन.एच.ए.आई., आर.बी.एन.एल., एन.एच.सी. एल. एल. एण्ड टी. टी. एच. डी. सी., बी.आर.ओ. एवं एन.एच. आई.डी. सी. एल. के स्तर से उपलब्ध करवाये गये तकनीकी एवं अन्य उपकरणों व संसाधनों के द्वारा सुरंग के अन्दर आये मलबे को युद्धस्तर पर हटाये जाने का कार्य किया जा रहा है तथा साथ-साथ सुरंग की दीवार पर शॉर्टक्रीटिंग का कार्य भी किया जा रहा है। इसके साथ ही उपस्थित विशेषज्ञों के परामर्श पर फँसे हुये मजदूरों तक पहुँचने के लिये मलबा हटाकर सेटरिंग प्लेट लगा कर उन्हें निकालने के लिये सुरक्षित मार्ग (ESCAPE PASSAGE) तैयार किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं, परन्तु सुरंग के ऊपरी भाग से आ रहे मलबे के कारण इस कार्य में बाधा पहुँच रही है।

फँसे हुये व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिये विशेषज्ञों के द्वारा 900 मि.मी. के MS Steel Pipe को मलबे के आर-पार स्थापित किये जाने का परामर्श दिया गया है। वांछित संख्या में MS Steel Pipe साँय 03:00 बजे हरिद्वार से घटनास्थल के लिये भेजे गये हैं और साथ ही MS Steel Pipes की स्थापना हेतु सिंचाई विभाग के 05 विशेषज्ञ अभियन्ताओं के दल को भी देहरादून से घटनास्थल के लिये रवाना किया गया है।

घटनास्थल पर स्टेजिंग एरिया बनाया गया है, जहाँ पर वॉर्टिकल ड्रिल मशीन, हॉरिजोण्टल ड्रिल मशीन व शॉर्ट क्रीट मशीन उपलब्ध हैं। साथ ही सुरंग के बाहर 03 पोकलैण्ड, 02 जेसीबी, 06 ट्रक, 01 हाईड्रा, 02 लोडर तैनात हैं तथा

2) "सुरंग के अन्दर 04 पोकलैण्ड, 03 शॉर्टक्रीटिंग मशीन, 02 बूमर, 02 हाईड्रा व 02 ट्रक कार्य कर रहे हैं।

खोज-बचाव कार्यों हेतु पुलिस, एन. डी. आर.एफ., एस.डी.आर.एफ., आई.टी. बी.पी., सीमा सड़क संगठन, स्वास्थ्य विभाग व त्वरित कार्यवाही दल के सदस्यों सहित कुल 160 राहतकर्मी घटनास्थल पर तैनात किये गये हैं ।

त्वरित कार्यवाही के दृष्टिगत् घटनास्थल से 05 कि.मी. की दूरी पर स्यालना के पास अस्थायी हैलीपैड का निर्माण किया गया है तथा चिन्यालीसौड़ हैलीपैड को भी राहत कार्यों हेतु चिह्नित किया गया है।

सुरंग में फँसे हुये व्यक्तियों के परिजनों की सुविधा तथा उनकी आशंकाओं के निवारण एवं उन्हें स्थिति की सही जानकारी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जनपद प्रशासन के द्वारा इस घटना विशेष के लिये हेल्पलाइन की व्यवस्था की गयी है।


 ( 01374-222722, 222126, 7500337269 - जनपद आपातकालीन परिचालन केन्द्र व 7455991223, 7818066867 - सिल्क्यारा में स्थापित स्थलीय परिचालन केन्द्र) ।

सुरंग से व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के उपरान्त उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाये जाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की टीमें, विशेषज्ञ व उचित औषधि उपकरण, एम्बुलेंस सहित टनल गेट पर तैनात की गयी हैं। किसी भी विपरीत परिस्थिति में कार्यवाही हेतु निकटवर्ती जनपदों के चिकित्सालयों के साथ ही एम्स ऋषिकेश को हाई एलर्ट पर रखा गया है तथा ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति हेतु पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेण्डरों का भण्डारण किया गया है।

जिलाधिकारी उत्तरकाशी, मुख्य विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, डुण्डा / बड़कोट, एन.एच. आई.डी. सी. एल. के मुख्य प्रबन्धक एवं राजस्व टीम मौके पर मौजूद है ।

इस घटना के कारणों की जाँच एवं तद्संबंधित आख्या तैयार कर उपलब्ध करवाये जाने हेतु निदेशक, उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समिति जिसमें वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग, भूगर्भ एवं खनिकर्म इकाई तथा राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के विशेषज्ञ सम्मिलित हैं, के द्वारा आज घटनास्थल का निरीक्षण किया गया है ।

आज  मुख्यमंत्री , उत्तराखण्ड सरकार एवं सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण कर विशेषज्ञों व अन्य से परामर्श किया गया तथा सम्बन्धितों को बचाव कार्यों में तेजी लाने व फँसे हुये व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये हैं ।


हादसे पर राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है, "...चूंकि वहां नरम चट्टान थी, इसलिए दबाव के कारण यह ढह गई। इसका उपचार बाद में किया जाएगा। फिलहाल हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी लोगों को सुरक्षित बचाना है।" .हमें उम्मीद है कि कल या परसों तक लोगों को सुरक्षित बचा लिया जाएगा...सुरंग के अंदर लोगों के कम से कम 5-6 दिनों तक जीवित रहने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है। हम वॉकी-टॉकी के माध्यम से फंसे हुए लोगों से बात करने में सक्षम हैं। ..


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