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      नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , उच्च न्यायालय द्वारा सालों से उत्तराखण्ड में चल रहे उद्यान घोटालों की जांच सी0बी0आई0 को देने से सिद्ध हो गया है कि, उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में सरकार और शासन के सभी स्तरों की संदिग्ध भूमिका का उल्लेख किया है।

                                                               

जबकि भाजपा भी इस मुद्दे को लेकर आमने सामने आ गई है ,भाजपा ने उद्यान प्रकरण को लेकर स्पष्ट किया कि पार्टी न्यायालय के निर्णय का स्वागत करती हैं और किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। भाजपा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है । प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच सरकार करवाए या न्यायालय, सभी जांच का स्वागत पार्टी करती है और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नही किया जाना चाहिए। 


प्रदेश अध्यक्ष ने बागवानी प्रकरण पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा सरकारें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य करती है । उन्होंने कहा, पार्टी का मानना है कि राज्य में किसी भी तरह और छोटे से छोटे भ्रष्टाचार की गुंजाइश  बर्दाश्त नही की जानी चाहिए। वर्तमान मे  किसी भी मामले मे जरा सा भी संदेह होने पर जांच की जा रही है । इस मुद्दे पर उन्होंने हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि न्यायालय के निर्देश पर सरकार विधिक राय लेकर सरकार शीघ्र उचित निर्णय लेगी ।  इसमे विभिन्न विभागों के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ धामी सरकार ने कार्रवाई की है वहीं विजिलेंस द्वारा लगातर ट्रैप की कार्रवाई भी गतिमान है। हाल में वित्तीय अनियमित्ताओं के चलते सीएम धामी के निर्देश पर सिडकुल में कई अधिकारियों को निलंबित किया गया था। इससे पहले मुख्यमंत्री ने उद्यान निदेशक को भी वित्तीय अनिमित्ताओं के चलते निलंबित किया। आईएएस रामविलास यादव हो या नकल माफिया। सबके खिलाफ सरकार ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की। अकेले नकल गिरोह में शामिल 80 से ज्यादा लोगों को सलाखों के पीछे पहुँचाया गया। 

भ्रष्टाचार के मामलों में धामी सरकार द्वारा की गई विभिन्न कार्यवाही मे ,भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के आरोपी आईएएस अधिकारी रामविलास यादव को जेल भेजा गया।आय से अधिक संपत्ति व पद का दुरुपयोग करने पर आईएफएस अधिकारी किशन चंद पर कार्रवाई,  उद्यान विभाग के निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा का निलंबन,  आयुर्वेद विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक अमित जैन पर एक्शन, परिवहन निगम में उपमहाप्रबंधक (वित्त) के पद पर तैनात भूपेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई,  देहरादून के राजपुर रोड़ पर गलत तरीके से जमीनों पर अवैध कब्जा करने पर रिटायर्ड लेखपाल कुशाल सिंह राणा और राजेन्द्र डबराल पर मुकदमा, रिश्वत मांगने के मामले में आरोपी लेखपाल महिपाल सिंह पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988  के तहत मुकदमा, विजिलेंस की पीसीएस निधि यादव के खिलाफ की जांच, रजिस्ट्रार कार्यालय (देहरादून) में अनियमितताओं पर सख़्त निर्णय लेते हुए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, उत्तराखण्ड के उप निबंधक श्री राम दत्त मिश्र का निलंबन, राजकीय कार्यों में लापरवाही बरतने पर राज्य कर विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों वी.पी. सिंह, संयुक्त आयुक्त (वि.अनु. शा./प्रवर्तन) राज्य कर देहरादून, डॉ. कुलदीप सिंह, सहायक आयुक्त, प्रभारी सचलदल इकाई, राज्य कर आशारोडी, देहरादून एवं यशपाल सिंह, उपायुक्त (वि. अनु.शा./ प्रवर्तन) राज्य का निलंबन वहीं नक़ल माफियाओं पर कार्रवाई के क्रम में उत्तराखण्ड एसटीएफ ने अभी तक 57 आरोपियों को जेल के पीछे भेजा है और 24 मुख्य आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है।

भट्ट ने कहा कि कांग्रेस का इस मुद्दे पर कल कथित धरना प्रदर्शन एक नौटंकी है। कांग्रेस के नेता अनेक मामलों मे जांच का सामना कर रहे है। पहले मामले दबा दिये जाते थे और घोटालों को सरकार का सरंक्षण प्राप्त होता था, लेकिन अब सरकार ऐसे मामलों मे आगे बढ़कर जांच करा रही है। भाजपा पारदर्शी शासन की पक्षधर रही है।

भट्ट ने पूर्व सीएम हरीश रावत को सम्मन दिए जाने को लेकर स्पष्ट किया कि सीबीआई संवैधानिक जांच एजेंसी है और सम्मन देना जांच प्रक्रिया का हिस्सा है । उन्होंने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया कि एक तरफ हरदा सीबीआई का स्वागत करने और सहयोग की बात करते हैं, दूसरी तरफ उनके साथी सम्मन मिलने की टाइमिंग पर बेबुनियादी सवाल खड़ा करते हैं । 


यशपाल  आर्य का कहना है कि   उच्च न्यायालय के आदेश में सत्ता दल द्वारा रानीखेत विधायक अपने कथित बगीचे में फर्जी पेड़ लगाने का प्रमाण पत्र निर्गत करने से सिद्ध होता है कि, राज्य के उद्यान घोटालों में केवल निदेशक बबेजा ही लिप्त नहीं हैं बल्कि प्रदेश सरकार और भाजपा के विधायक व नेता भी सम्मलित हैं।इस आदेश में दलनाम आने के बाद राज्य के उद्यान मंत्री और रानीखेत विधायक से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिये ।


      यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, राज्य में हो रहे हर भ्रष्टाचार में राज्य सरकार भी हिस्सेदार है इसलिए राज्य के अधिकारी व जांच एजैसियां  भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते हुए उनके विरुद्ध सही जांच नहीं ंकर रही हैं । उन्होंने साफ किया कि , राज्य के अधिकारी और एस0आई0टी0 जांच में नकारा सिद्ध हुए हैं इसलिए इस साल उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले की जांच सहित उत्तराखण्ड से संबधित तीन घोटालों की जांच सी0बी0आई0 को सोंपी हैं।

           नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, हिमाचल में विजीलैंस जांच में दोषी अधिकारी बबेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान जैसे महत्वपूर्ण विभाग का निदेशक बना कर केवल इसलिए लाया गया कि उसे घोटालों को करने में महारत हासिल थी। उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा ने  उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनिमय) कानून - 2019 का उल्लंघन करते हुए पूरे प्रदेश के लिए शीतकालीन पौधों के आपूर्ति हेतु उत्तरकाशी की एक ऐसी फर्जी नर्सरी - ‘‘ अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला’’ के नाम कर दिया जिसके पास राज्य में कंही जमीन ही नहीं थी। शिकायत मिलने पर उत्तरकाशी के जिला अधिकारी ने मामले की जांच कराई तो मामला सभी शिकायतें सही पायी गयीं और जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। क्योंकि पौध आपूर्ति का यह कार्य पूरे राज्य के लिए दिया जा रहा था तो भ्रष्टाचार केवल जिला उद्यान अधिकारी , उत्तरकाशी के हाथों से नहीं हो रहा था। भ्रष्टाचार की इस पटकथा के असली लेखक उद्यान विभाग के निदेशक और उससे भी ऊंपर का कोई और था जो अधिकारियों द्वारा बेखौफ होकर इस तरह का करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा था। जिला अधिकारी उत्तरकाशी की रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने न कोई जांच बिठाई न कार्यवाही की।

       यशपाल आर्य ने कहा कि , इससे पहले भी बबेजा ने अपनी चहेती नर्सरियों को फायदा पंहुचाने के लिए कीवी से लेकर कही पौधों कही फल व सब्जी प्रजाती के पौधों के मूल्य नियमों और परंपरा के विपरीत कई गुना बड़ाए। निदेशक ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अन्र्तराष्ट्रीय सेमीनारों के नाम पर अपनी पत्नी और कुछ चहेतों को उत्तराखण्ड बुलाकर करोड़ों रुपए डकारे।

       नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , इन सभी मामलों को विपक्ष ने सभी जगह उठाया परंतु सरकार ने ढिलाई दिखाते हुए कोई जांच नहीं की। मजबूरन कुछ समाजसेवी और बागवान उच्च न्यायालय की शरण में गए।

       यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही उद्यान से जुड़े सभी घपलों की जांच सी0बी0आई0 को देने का प्रस्ताव रखा था परंतु राज्य सरकार उससे पहले ही राज्य पुलिस की एस0आई0टी0 की जांच का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। राज्य सरकार ने यह कदम भी भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को बचाने के लिए लिया गया था।

      

      नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, उच्च न्यायालय के सी0बी0आई0 जांच के आदेश ने राज्य सरकार के ‘‘जीरो करप्शन माडल’’ की हकीकत सामने ला दी है। निर्णय की हर पंक्ति यह सिद्ध कर रही है कि, प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं।

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