उत्तरकाशी:
सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेताओं नें उत्तरकाशी के सभी गोदाम अध्यक्षों के साथ सरकार से मानदेय चाहनें के लिए जनपद मुख्यालय में भारी संख्या में बैठक कर बनती बिगड़ती सरकारों पर मानदेय न देंनें की बात रखी।
डीलरों नें सरकारी सस्ता गला विक्रेता मानदेय संघर्ष समिति उत्तराखंड के बैनर ही नहीं विश्वास पर उत्तराखंड प्रदेश ही नहीं देश के समस्त कोटेदारों को मानदेय चाहनें के लिए भी एक होने का आह्वान किया।
मानदेय चाहनें वाले कोटेदारों नें जिला कार्यकारिणी का गठन किया। जिसमें मानदेय संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष यशपाल सिंह बिष्ट जिला चंद्रमोहन सिंह राणा उपाध्यक्ष भरत सिंह जिला सचिव बनाए गए।
मानदेय संघर्ष समिति उत्तराखंड की जिला इकाई नें देश की आजादी के बाद से कोटेदारों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि सन 1960 से सरकार द्धारा शुरु की गई जन वितरण प्रणाली के 64 सालों बाद भी बनती बिगड़ती सरकारों की आंख राशन विक्रेताओं के भविष्य पर आज भी बंद हैं।
देश की आजादी के बाद गल्ला विक्रेताओं के सबसे बड़े संगठन से बिना मानदेय के कार्य करवाए जानें पर मानदेय चाहनें वाले विक्रेताओं नें सरकार और कोटेदारों का नेतृत्व करनें वाले संगठनों पर भारी संख्या में रोष जताया। कोटेदारों ने सरकार से भ्रष्टाचार समाप्त करने के साथ कमीशन लाभांश खत्म कर उसी राशि को एक निश्चित मानदेय में कोटेदारों के हित में परिवर्तित करनें की अपील की। इससे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं, कोटेदारों और उपभोक्ताओं के बीच पारदर्शिता बनी रहे।
डीलरों नें होम डिलीवरी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार एक और भ्रष्टाचार को खत्म करनें की बात कर रही है। और दूसरी ओर खाद्य आपूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार की नींव रख रही है।
राशन डीलरो नेें यह भी कहा कि भोजन माताएं भी कोटेदारों की तरह ही खुली बैठकों में प्रस्तावित हुई हैं। उन्हें मानदेय और कोटेदारों को कमीशन यह सरकार का दोहरा चरित्र बताया।
बैठक में महावीर पंवार, रणवीर राणा, हरेंद्र नकोटी, लक्ष्मण भंडारी, कमलेश्वर खंडूरी, मानेंद्र रौतेला, रूकम राणा, सतवीर परमार, प्रेमराज बिष्ट, सतपाल पायल, बुद्धि राणा, बिपिन राणा भारी संख्या में मौजूद थे।
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