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शर्तों के अनुरूप काम न होने पर ब्लैक लिस्ट होंगी कार्यदायी संस्था

 

देहरादून, 25 अगस्त 2023

Health minister uttarakhand


प्रदेशभर की चिकित्सा इकाईयों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं अन्य केन्द्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत चल रहे निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं के ढुलमुल रवैये पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की। तय समय सीमा के भीतर निर्माण कार्य पूरे न होने पर उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को ब्लैक लिस्टेड करने चेतावनी दी। डॉ. रावत ने कहा कि परियोजनाओं के लटकने से इसका सीधा खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है जबकि राज्य सरकार की कोशिश है वह आम लोगों को समय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं महैया कराये। 


सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने शासकीय आवास पर स्वास्थ्य विभाग समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं की एक-एक करके समीक्षा की। डॉ. रावत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में चले रहे निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किये। उन्होंने कहा कि जिन योजनाओं को समय पर पूरा हो जाना था उनके कार्य अभी अधूरे पड़े हुये हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से दो टूक कहा कि वह निर्माण कार्यों में हो रही लेटलतीफी को कतई भी बर्दाश्त नहीं करेंगे और गैरजिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेंगे। 

विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ईसीआरपी-1 तथा ईसीआरपी-2 के तहत सैकड़ों निर्माण कार्य स्वीकृत हैं, जिनमें ब्लड बैंक, ऑक्सीजन प्लांट, पीसीयू एवं आईसीयू बेड व उपकरण, क्रीटीकल केयर ब्लॉक, बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल एवं ट्रीटमेंट प्लांट, ट्राजिट हास्टल सहित कई निर्माण कार्य शामिल हैं। उन्होंने उक्त परियोजनाओं के निर्माण कार्यों में लगातार हो रही देरी के लिये कार्यदायी संस्थाओं की लचर कार्यप्रणाली को दोषी ठहराया। डॉ. रावत ने विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये कि कोई भी कार्यदायी संस्थ्या यदि शर्तां के अनुरूप कार्य पूरा नहीं करती है तो उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया जाय, साथ ही उन्होंने अधिकारियों को कहा कि जो निर्माण कार्य पूरे कर दिये गये हैं उनके उपयोगिता प्रमाण पत्र शीघ्र भारत सरकार को भेजे जाय। 


बैठक में अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता शाह, प्रभारी अधिकारी निर्माण एनएचएम मुकेश मोहन, प्रभारी अधिशासी अभियंता स्वास्थ्य बी एन पांडे, देवेंद्र नैनवाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी एवं पेयजल निगम, एचएससीएल, ब्रिज एंड रूफ, मंडी परिषद, सिंचाई विभाग, ब्रीडकुल सहित अन्य कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारी एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे। 



*अंतिम चरण में एमबीबीएस हिन्दी पाठ्यक्रम की तैयारीः डॉ. धन सिंह रावत*

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देहरादून, 25 अगस्त 2023

सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम में भी एमबीबीएस की पढ़ाई हो सकेगी। राज्य सरकार द्वारा गठित पाठ्यक्रम समिति ने मध्य प्रदेश में संचालित एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम का अवलोकन कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। समिति की रिपोर्ट मिलने के उपंरात सूबे में भी हिन्दी माध्यम में पाठ्यक्रम लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। 


सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की एक और पहल रंग लाई है। चिकित्सा शिक्षा के द्वारा हिन्दी भाषा को महत्व देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिन्दी माध्यम में संचालित करने का निर्णय लिया। जिसके लिये राज्य सरकार ने दो सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेम चन्द्र एवं दून मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरपी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दौलत सिंह शामिल थे। दो सदस्यी समिति ने मध्य प्रदेश जाकर वहां के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संचालित हिन्दी माध्यम एबीबीएस पाठ्यक्रम का विस्तृत अध्ययन किया। इसके उपरांत उसी तर्ज पर राज्य के मेडिकल कॉलेजों के लिये भी हिन्दी में पाठ्यक्रम तैयार किया गया। जिसको चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय ने अपनी शैक्षणिक एवं एकेडमिक समिति में पारित कराने के उपरांत अंतिम स्वीकृति हेतु शासन को प्रेषित कर दिया है। इसी के साथ समिति ने अपनी सात पृष्ठ की विस्तृत रिपोर्ट भी शासन को सौंपी है। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि राज्य में काफी छात्र-छात्राओं की स्कूली शिक्षा हिन्दी माध्यम से हुई होती है, जिसके चलते एमबीबीएस कोर्स की पढ़ाई के दौरान उनके सामने कठिनाई आती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार ने सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ राष्ट्र भाषा हिन्दी में भी एमबीबीएस की पढ़ाई कराने का निर्णय एक वर्ष पूर्व लिया था जिसको वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिया जायेगा। जिसकी तैयारी विश्वविद्यालय स्तर पर कर ली गई है लेकिन पाठ्यक्रम लागू करने के लिये शासन स्तर की प्रक्रिया अंतिम चरण है जो कि शीघ्र पूर्ण कर ली जायेगी। 


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