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उत्तराखंड में मानसून के कारण जगह जगह भूस्खलन, बादल फटने, पानी भराव, नदियों के जल स्तर बढ़ने की खबरे आ रही है।

Aireal suvey of CM Dhami in pauri


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में भारी बारिश से प्रभावित क्षेत्र का हवाई निरिक्षण किया। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा और पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान को प्रभावित लोगों को जल्द से राहत और सहायता पहुंचाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी बारिश से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए लगातार अलर्ट मोड में रहने की जरूरत है। कम से कम रिस्पॉन्स टाइम में प्रभावितों तक अधिकाधिक मदद पहुंचानी है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी बरसात के दृष्टिगत 15 अगस्त तक चाारधाम यात्रा स्थगित की गई है।

Chardham yatra postponed up to 15 august


 चारधाम यात्रा मार्गों पर स्थिति की निरन्तर समीक्षा की जा रही है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को विभिन्न स्थानों पर बाधित हुई सड़कों की आवश्यक मरम्मत करने के भी निर्देश दिये है। साथ ही विभिन्न स्थानों पर आपदा से प्रभावित हुए लोगों को तत्काल राहत पहुंचाने, जलभराव वाले क्षेत्रों में पानी की निकासी को दुरुस्त करने तथा उन स्थानों पर दवा आदि के छिड़काव पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में आपदा से हुई विभिन्न प्रकार की क्षति का व्यापक रूप से आकलन करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।

    प्रभावित हुए लोगों को आवश्यकता के अनुरूप त्वरित सहायता और राहत प्रदान की जाय।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में पद्मभूषण एवं पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध पर्यावरणविद श्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री से हिमालय के पर्यावरणीय प्रभावों, आपदा की दृष्टि से चारधाम क्षेत्रों तथा अलकनंदा नदी के प्रवाह से होने वाली बाढ़ आदि की घटनाओं के रोकथाम के संबंध में चर्चा की। 

Environmentalist shri chandi prasad bhatt



मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री भट्ट की अपेक्षानुसार इसरो के साथ विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा पूर्व में चारधाम क्षेत्रों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ तथा अलकनंदा नदी के जलस्तर पर किये गये अध्ययन रिर्पोटों पर आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र हैं जिस वजह से हमे कई प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति एक चिंतनीय विषय है। जोशीमठ में भू धंसाव की समस्या हम सभी के लिये एक उदाहरण है।इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक सुझाव भी आमंत्रित है। राज्य के सतत विकास के लिए समाज के हर क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के सुझावों के आधार पर ही आगे के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पास हिमालय के रूप में बड़ी संपदा है। हिमालय देश एवं दुनिया को प्रभावित करता है। हिमालय को सतत विकास की अवधारणा के साथ संरक्षित करने  एवं इसको संवर्धित करना एक बड़ा कार्य है। इसमें अनेक सांइंटिफिक इंस्टीट्यूट काफी कार्य कर चुके हैं। इसके लिए साइंटिफिक डेवलपमेंट प्लान जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड हिमालयी राज्य होने के नाते यहां की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। आपदा की दृष्टि से उत्तराखण्ड संवेदनशील राज्य है। किसी भी चुनौती से निजात पाने के लिए केन्द्र सरकार का राज्य को हर संभव सहयोग मिलता रहा है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया।  मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए सबका सहयोग जरूरी है। 


पद्मश्री श्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने मुख्यमंत्री से हिमालय के पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये अलग से विभाग बनाये जाने के लिये भारत सरकार से अनुरोध किये जाने की भी मुख्यमंत्री से अपेक्षा की। 

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी,विशेष प्रमुख सचिव श्री अभिनव कुमार तथा महानिदेशक शिक्षा एवं सूचना श्री बंशीधर तिवारी तथा श्री ओमप्रकाश भट्ट भी उपस्थित थे।

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