एम्स ऋषिकेश के फार्माकोलाॅजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुक्रवार को समापन हो गया। इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से पंहुचे फार्माकोलाॅजिस्टोें ने मेडिकल सेफ्टी, दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता और इसकी कीमत को लेकर व्यापक चर्चा की।
साक्ष्य आधारित दवाओं को बढ़ावा देने और इसके दुष्प्रभावों को न्यूनतम करने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश में आयोजित दो दिवसीय कान्फ्रेन्स के अन्तिम दिन फार्माकोलाॅजिस्ट विशेषज्ञों ने दवाओं के दुष्प्रभावों सहित विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा की। फार्मा विशेषज्ञ और पीजीआई चण्डीगढ़ के प्रो.नुसरत शाफिक ने एंटीमाईक्रोवियल रजिस्टेंस के अभिलेखीकरण पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए एक समग्र प्रोग्राम बनाये जाने की आवश्यकता है। पद्मश्री दयाकिशोर हाजरा ने डायबिटीज के मरीजों पर दवाओं के दुष्प्रभाव, सीसीआरवाईएस नई दिल्ली के प्रो.रविनारायण आचार्य और प्रो. के.सी. सिंघल ने आयुर्वेदिक तथा यूनानी मेडिसिन थेरेपी के दुष्प्रभावों और एम्स भोपाल के प्रो. बालाकृष्णनन एवं सोशियल डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन देहरादून के अनूप नौटियाल ने बायोमेडिकल वेस्ट से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभावों पर गहनता से चर्चा की। जबकि पीजीआईएमएस रोहतक की प्रो0 सविता शर्मा ने कोविड वैक्सीन के निर्माण के दौरान की परेशानियों सहित इसकी टेस्टिंग और इसके प्रभावों के बारे में अपने विचार साझा किए।
उधर कान्फंे्रन्स के दूसरे सत्र में आहूत पैनल डिस्कशन में जेनेरिक दवाओं और ब्रान्डेड दवाओं के बारे चर्चा की गयी। चर्चा के दौरान कहा गया कि जेनेरिक दवाओं का ब्रान्डेड दवाओं के रूप मेें उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसके लिए दवा की गुणवत्ता बेहतर रखने के लिए सरकार, सम्बन्धित फार्मा कंपनी और सम्बन्धित फिजिशियन को मिलकर साझा नीति तैयार करनी होगी। पैनल डिस्कशन के दौरान एम्स ऋषिकेश जनरल मेडिसिन विभाग के डाॅ. रविकान्त, दवा निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों सहित अन्य विभिन्न क्षेत्रों से आए विमन दास, जय प्रकाश, कोमल खण्डेलवाल, दीपक बंगर आदि शामिल थे। काॅन्फे्रन्स के दौरान आयोजन अध्यक्ष व फार्माकोलाॅजी विभाग एम्स ऋषिकेश के विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू, आयोजन सचिव डाॅ. पुनीत धमीजा, डाॅ. विनोद कुमार, डाॅ. शालिनी राव, डाॅ. मनीषा बिष्ट और डाॅ. रंजीता कुमारी सहित कई अन्य मौजूद रहे।
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