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राज्य के प्राविधिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राजकीय एवं सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थाओं में पाठ्यक्रमों का युक्तिकरण (Rationalisation) किये जाने के प्रस्ताव पर तकनीकी शिक्षा मंत्री  के स्तर पर सैद्धान्तिक सहमति प्रदान कर दी गई है। 



इसके तहत गैरजरूरी व अप्राषंगिक हो चुके पाठ्यक्रमों के सापेक्ष पिछले 5 सालों में 30 प्रतिशत से कम प्रवेश संख्या के पाठ्यक्रमों को बन्द करना है।

 इसके साथ पर्याप्त अवस्थापना सुविधायुक्त परिसरों में उद्योग जगत / स्टार्टअप्स की दृष्टि से रोजगारपरक व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्र के पाठ्यक्रम शुरू (Introduce) किया जायेगा। 

यह व्यवस्था राज्य के 71 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थाओं तथा 01 सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थान (K.L. Polytechnic, Roorkee) में लागू होगी।


यह उल्लेखनीय है कि राज्य के 16 पालिटेक्निक संस्थाओं में पूर्व संचालित 20 पाठ्यक्रमों को बन्द कर 22 संस्थाओं में 23 नवीन पाठ्यक्रम को युक्तिकरण प्रक्रिया के तहत प्रारम्भ करने का प्रस्ताव है। 

इस प्रक्रिया में बन्द होने वाले पाठ्यक्रमों से सम्बन्धित शिक्षक / कार्मिकों को यथा आवश्यकतानुसार समायोजन किया जायेगा एवं अलग से कोई नया पद सृजन इसके

लिए नहीं होगा। सरकार प्रमुख तौर पर पॉलिटेक्निक संस्थाओं में उद्योगों की आवश्यकता के नजरिये से रोजगार के अवसर पैदा करने वाले पाठ्यक्रमों पर फोकस कर रही है। 

इस दिशा में आगे बढ़ते हुए राज्य के सभी पॉलिटेक्निक संस्थाओं में अवस्थापना सुविधाओं का विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसके तहत भवन निर्माण व पुर्ननिर्माण, एप्रोच रोड निर्माण, डिजीटल लाइब्रेरी स्थापना जैसे कार्यों को तरजीह दी जा रही है।


इस तरह के नवाचार व समेकित प्रयासों से राज्य के पॉलिटेक्निक संस्थानों में बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध हो सकेगा एवं विभागीय संस्थाओं का अधिकतम उपयोग हो सकेगा। यह हमारे पॉलिटेक्निक संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा के सोपान होंगे।


राज्य सरकार की मन्शा है कि सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश बढ़ोत्तरी के लिए छात्र-छात्राओं के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय, ताकि उपलब्ध प्रवेश क्षमता का

अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके।



मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट रखना अनिवार्यः डा. धन सिंह राव

*कहा, प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर सुनिश्चित हो फार्मासिस्टों की तैनाती*

 

देहरादून:

सूबे में नशीली एवं नकली दवाओं की रोकथाम के लिये प्रदेशभर में मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण किया जायेगा। इसके साथ ही प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती का भी सत्यापन अभियान चलाया जायेगा। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। 


सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश में नकली एवं नशीली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिये राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। जिसके तहत प्रदेशभर में फुटकर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत 12500 से अधिक मेडिकल स्टोरों के निरीक्षण के साथ ही वहां पर तैनात फार्मासिस्टों का भी भौतिक सत्यापन किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को पूरे अप्रैल माह में विशेष अभियान के निर्देश दे दिये गये हैं। डा. रावत ने कहा कि औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम-1940 एवं 1945 की नियमावली के नियम 65(2) के अंतर्गत प्रत्येक मेडिकल स्टोर का लाइसेंस होने के साथ ही स्टोर पर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। इसी प्रकार थोक दवा विक्रय के लिये भी नियम 64 के तहत अनुभवी व्यक्ति को ही लाइसेंस दिये जाने का प्राविधान है। इन्हीं नियमों का सख्ती से पालन करने के लिये खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सभी पंजीकृत मेडिकल स्टोरों का मुआयना करने के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 22 हजार फार्मासिस्ट पंजीकृत है, जिनमें से साढ़े बारह हजार से अधिक फार्मासिस्टों के नाम पर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस जारी किये गये हैं, जबकि एक हजार के करीब फार्मासिस्ट राजकीय सेवा में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर यह भी शिकायत मिलती रही है कि एक लाइसेंस पर एक से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित किये जा रहे हैं तथा उन पर पंजीकृत फार्मासिस्ट तैनात नहीं किये गये हैं, जो कि नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। इन्हीं तथ्यों को मध्यनजर रखते हुये विभागीय अधिकारियों को प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोरों का भौतिक सत्यापन कर वहां पर पंजीकृत फार्मासिस्टों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा गया है ताकि सूबे के बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को मेडिकल स्टरों पर रोजगार मिल सके। 



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