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उत्तराखंड देवभूमि चार धाम स्थान, ज्योतिर्लिंग केदारनाथ भगवान, श्री बद्री धाम ,पावन गंगोत्री यमुनोत्री धाम और न जाने अनेक कितने सिद्धपीठ को समेटे हुए उत्तराखंड देवभूमि हिमालय के आश्रय में सीना तान कर युगो से जीवित है ।

आज इस धरती पर इस्लामिक जिहाद ने आक्रमण कर दिया है ।

हिन्दू संगठनों में इस बात को लेकर उबाल है,  जिहाद के  लिए जंगलों और देवस्थानों में जगह जगह पीर मजार बनाकर या उनको प्रश्रय देनेवाले, धर्म आस्था के नाम पर  उत्तराखंड की धार्मिक संस्कृति से खिलवाड़ करने वाले  हिंदुओं को  उन्होंने धिक्कारा है।

लव जिहाद, लैंड जिहाद और अब पीर मज़ार जिहाद से त्रस्त देवभूमि के लोगों की एक ही सुर में  मांग है कि सरकार कड़े कानून बनाकर, उत्तराखंड की अस्मिता की रक्षा करे।

अचानक हरिद्वार के ग्रामीण इलाकों के लेकर , राजधानी देहरादून और पौड़ी, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग तक   सुदूर क्षेत्रों में पीर मज़ारों की भीड़ , वन  भूमि और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की ओर सरकार संज्ञान ले।

आये दिन सुबह सोकर उठते ही पता चलता है कहीं कोई पीर की मजार बन गयी। अंधी आस्था से जुड़े कुछ तथाकथित हिन्दू भी इनको प्रश्रय देने में लगे है।

हिंदु संगठनो  ने इनके खिलाफ भारी विरोध जताया है। सोशल मीडिया पर घर के अंदर पीर की मजार बनाने और उस पर बेतुके तर्क देने की जिजीविषा ने स्पष्ट  कर दिया है कि ये जिहाद किस परिकाष्ठा तक उत्तराखंड में अपने पैर जमाना चाहता है। ।

कोई मुस्लिम अपने घर मे मंदिर बर्दाश्त नही कर सकता तो ये कौन है जो अपने घरों में पीर की मजार बनाने के इछुक है। ऐसे हिंदुओं को सोशल मीडिया पर जमकर गालियां  पड़ रही  है।


हद तो तब हो जाती है, वन विभाग इस मामले में पूरे उत्तराखंड में सोया पडा है। जगह जगह जंगल को साफ कर गुर्जरों के डेरे पहले से जहां अधिक संख्या में बढ़ गए है वहीं पीर मज़ारों की संख्या सर्वाधिक वनक्षेत्रों में पाई जा रही है।

देखते ही देखते मेले लगने शुरू हो जाते है और कुछ हिन्दू नेता, विधायक तो अपनी निधि तक से वहां टीन शेड डलवा देते है। स्वार्थ और अंधविश्वास अपने देवी देवताओं से नफरत करने का नया चलन उत्तराखंड देवभूमि में देखने को मिल रहा है। ऐसा कहना है कुछ धार्मिक गुरुओं का ।

यदि इसे सरकारों द्वारा जांच कर अवैध अतिक्रमण को मुक्त नही कराया गया तो देवभूमि को इस तरह के षड्यंत्र से बचाना मुश्किल हो जाएगा।






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