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 चंद्र ग्रहण का सूतक काआज  सुबह 09 बजकर 21 मिनट से



इसी महीने खगोलीय घटना सूर्य ग्रहण के बाद अब साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है. 08 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा और ये ग्रहण भारत में दृश्यमान होगा. चूंकि ये चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा. लिहाजा, ज्योतिषविद इस ग्रहण से लोगों को संभलकर रहने की सलाह दे रहे हैं.

साल का आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगने वाला है. भारतीय समयानुसार, साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 08 नवंबर को शाम 5 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगा और शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले इसका सूतक काल लग जाता है. इसलिए चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले ही आप इसके लिए तैयार रहें.

भारत में 2022 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 08 नवंबर को लगेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी चंद्र ग्रहण भारत के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा. ये चंद्र ग्रहण गुवाहाटी, रांची, पटना, सिलिगुड़ी और कोलकाता समेत देश की राजधानी दिल्ली में भी दिखाई पड़ेगा. इन शहरों में रहने वाले लोगों को चंद्र ग्रहण की अवधि में विशेष सावधानी बरतनी होगी.

चंद्र ग्रहण का सूतक काल 09 घंटे पहले ही लग जाता है. इसलिए 08 नवंबर को लग रहे चंद्र ग्रहण का सूतक काल सुबह 09 बजकर 21 मिनट से लग जाएगा. ग्रहण से पहले 3 प्रहर के लिए सूतक मनाया जाता है. चंद्र ग्रहण के सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श न करें. पूजा-पाठ करने से बचें. भोजन न करें और सोएं नहीं. गर्भवती महिलाएं, बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ख्याल रखें.

धार्मिक मत के अनुसार चंद्र ग्रहण और इसके सूतक काल में कुछ खास गलतियां करने से बचना चाहिए. इसमें भगवान की पूजा-पाठ वर्जित होती है. ग्रहण या सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए. ग्रहण या सूतक काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. ग्रहण काल में भोजन करने या सोने की भी मनाही होती है.

कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है. इसमें काटने, छीलने या सिलने का काम भी नहीं करना चाहिए. इसमें नुकीले या तेजधार वाले औजारों के इस्तेमाल की भी मनाही होती है।



ग्रस्तोदय (उपच्छायी) खग्रास चन्द्रग्रहण (शंका समाधान)

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कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा 8 नवम्बर 2022 मंगलवार को यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में ग्रस्तोदय रूप में दिखाई देगा। इस ग्रहण का आरम्भ (स्पर्श) भारत में कही भी दिखाई नहीं देगा। क्योंकि यह ग्रहण चन्द्रोदय से पहले ही आरम्भ हो जायेगा। ग्रहण का मोक्ष केवल पूर्वी भारत में दिखाई देगा। देश के बाकी भाग में मोक्ष का आशिंक रूप ही दिखेगा। ग्रहण का सूतक 8 नवम्बर 2022 ई. को प्रातः 8: 27के साथ ही प्रारम्भ हो जायेगा। सामान्यतः चन्द्रग्रहण का सूतक स्पर्श से 9 घण्टे पूर्व माना जाता है। परन्तु ग्रस्तोदय चन्द्र ग्रहण होने से पूरे दिन सूतक माना जायेगा। ग्रस्तोदय चन्द्र ग्रहण में चन्द्रोदय से ग्रहण समाप्ति तक के काल को ही पर्व काल माना जाता हैं अतः चन्द्रोदय को ही ग्रहण आरम्भ मानकर सभी धार्मिक क्रियाओं का सम्पादन व अनुष्ठान ग्रहण मोक्ष पर करना चाहिये। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यह ग्रहण घटित होने से कार्तिक पूर्णिमा के स्नान व दान का महत्व अनन्त हो जायेगा।


जिस स्थान पर चंद्रोदय हैं उसे समय से प्रारम्भ होगा 


*वृन्दावन के समयानुसार* 


ग्रहण का सूतक प्रातः 8:27 से


ग्रहण (स्पर्श) प्रारम्भ👉 सांय 5बजकर 27 मिनट से।


खग्रास प्रारम्भ👉  दिन 5 बजकर 27 मिनट से।


ग्रहण मध्य👉 सायं 5 बजकर 50मिनट से।


खग्रास समाप्त 👉  सायं 6 बजकर  19 मिनट पर।


ग्रहण मोक्ष 👉 सायं 6 बजकर 19 मिनट पर।


क्या है चंद ग्रहण पौराणिक एवं वैज्ञानिक मान्यता

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एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान असुरों और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पिने के लिए बैठ गया जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी। क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए। ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सुर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है। इसके साथ यह भी माना जाता है कि जिन लोगों की राशि में सुर्य और चंद्रमा मौजूद होते हैं उनके लिए यह ग्रहण बुरा प्रभाव डालता है।  

 

वहीं, विज्ञान के अनुसार यह एक प्रकार की खगोलीय स्थिति है. जिनमें चंद्रमा, पृथ्वी और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं। इससे चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है, जिस वजह से उसकी रोशनी फिकी पड़ जाती है।


ग्रहण-सूतक के समय पालनीय

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सूतक के समय तथा ग्रहण के समय दान तथा जापादि का महत्व माना गया है. पवित्र नदियों अथवा तालाबों में स्नान किया जाता है। मंत्र जाप किया जाता है तथा इस समय में मंत्र सिद्धि का भी महत्व है। तीर्थ स्नान, हवन तथा ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं। धर्म-कर्म से जुड़े लोगों को अपनी राशि अनुसार अथवा किसी योग्य ब्राह्मण के परामर्श से दान की जाने वाली वस्तुओं को इकठ्ठा कर के रख लेना चाहिए फिर अगले दिन  सुबह सूर्योदय के समय दुबारा स्नान कर संकल्प के साथ उन वस्तुओं को योग्य व्यक्ति को दे देना चाहिए।


ग्रहण-सूतक में वर्जित कार्य 

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सूतक के समय और ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है। खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय वर्जित हैं. इस समय झूठ बोलना, छल-कपट, बेकार का वार्तालाप और मूत्र विसर्जन से परहेज करना चाहिए. सूतक काल में बच्चे, बूढ़े, गर्भावस्था स्त्री आदि को उचित भोजन लेने में कोई परहेज नहीं हैं।


सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण डाल देना चाहिए जिससे ये खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित नहीं होगें। अगर कुशा नहीं है तो तुलसी का पत्ता भी डाल सकते हैं. घर में जो सूखे खाद्य पदार्थ हैं उनमें कुशा अथवा तुलसी पत्ता डालना आवश्यक नहीं है।


ग्रहण में क्या करें, क्या न करें ?

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चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है। सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है। सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं। ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए। ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए। ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं। ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए। ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की  अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है। ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं। ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए। भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।' ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण) भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए। (देवी भागवत) अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।  


चंद्र ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव 

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1. मेष राशि👉 आपकी राशि पर इसका प्रभाव अशुभ बताया जा रहा रहा है। उनके साथ किसी भी प्रकार की घात, कष्ट, भय एवं धन्यवाद की हानि होने की सम्भावना है।


 2. वृषभ राशि👉 आपकी राशि पर इसका प्रभाव अशुभ रहेगा। आपको किसी भी प्रकार की हानि एवं गृहकलेश हो सकता है।


3. मिथुन राशि👉 आपकी राशि पर यह ग्रहण शुभ फल दायक रहेगा धन के साथ विविध सुख मिल सकता है।


4. कर्क राशि👉 आपकी राशि पर यह ग्रहण विविध कष्ट के साथ चिंता एवं अकारण ही भय का वातावरण बना सकता है।


5. सिंह राशि👉 आपकी राशि पर यह ग्रहण अशुभ है। मान-सम्मान को क्षति पहुंच कंसाथबसंतान को कष्ट एवं हानि होने की संभावना है।


6. कन्या राशि👉 आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण अशुभ है। आपको किसी भी प्रकार के मृत्युतुल्य कष्ट के साथ हानि एवं अपव्यय हो सकता है।


7. तुला राशि👉 आपकी राशि पर यह ग्रहण अशुभ है। आपको स्त्री अथवा पति को पीड़ा हो सकती है। 


8.वृश्चिक राशि👉 आपकी राशि के लिए भी यह चंद्र ग्रहण अशुभ रहेगा रोग, चिंता एवं कार्यों मे नुकसान होने की सम्भवना रहेगी।


9. धनु राशि👉 आपकी राशि के लिए भी यह चंद्र ग्रहण अशुभ माना जा रहा है। यह किसी प्रकार की चिंता, संघर्ष एवं मानसिक-शारीरिक विकार दे सकता है।


10. मकर राशि👉 आपकी राशि पर भी यह चंद्र ग्रहण अशुभ है। आपको किसी बात को लेकर कष्ट का सामना करना पड़ सकता अकस्मात रोग-भय का भी डर है।


11.कुम्भ राशि👉 आपकी राशि के लिए भी यह चंद्र ग्रहण शुभ रहेगा जीवन मे प्रगति, अकस्मात लाभ और सुख प्रपर होने की सम्भावना बढ़ेगी।


12.मीन राशि👉 आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण अशुभ असर देने वाला माना जा रहा है। यह किसी भी प्रकार की धन अथवा मान हानि करा सकता है।


चन्द्रग्रहण पर बाधा नाशक खास उपाय     

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चंद्र ग्रहण के शुभ प्रभाव प्राप्त करने के उपाय धर्म शास्त्रों और वेदों में ग्रहण के दौरान बालक, वृद्ध और रोगी के लिए कोई नियम नहीं बताया गया है ।


1👉 चीटियों को पिसा हुआ चावल व आटा डालें।


2👉 मोती, चांदी, चावल, मिश्री, सफेद कपड़ा, सफेद फूल, शंख, कपूर, श्वेत चंदन, पलाश की लकड़ी, दूध, दही, चावल, घी, चीनी आदि का दान करें।

     

3👉 चन्द्रमा को मन और मां का कारक माना गया है, जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस भाव में बैठा हो उसके स्वामी अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए। 


4👉 चन्द्र वृष राशि के लिए शुभ और वृश्चिक राशी के लिए अशुभ होता है, जब चन्द्र जन्म कुण्डली में उच्च भाव का हो तब चन्द्र से सम्बन्धित वस्तुओं का दान नही करना चाहिए। 


5👉 अगर चन्द्र कुण्डली के दूसरे और चौथे भाव में हो तो चावल चीनी दूध का दान न करें।


6👉  यदि वृश्चिक राशि में हो तो चन्द्र की शुभता प्राप्त करने के लिए धार्मिक स्थल या शमशान के पास आम जनता के लिए प्याउ (पानी की टंकी) बनवाएं या किसी मिट्टी के बर्तन में पक्षियों के लिये पानी रखें। 


7👉 चन्द्र दोष दूर करने के लिए सोमवार, अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ होता है। किंतु चन्द्र दोष से पीड़ित के लिए चन्द्रग्रहण के दौरान चन्द्र उपासना बहुत ही जरूरी होती है। शिव जी की आराधना करें अपने श्री इष्ट देवता जाप करें।


8👉  यदि आपका व्यवसाय ठीक नहीं चल रहा है तो ग्रहण से पहले नहाकर लाल या सफेद कपड़े पहन लें। इसके बाद ऊन व रेशम से बने आसन को बिछाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।


9👉  जब ग्रहण काल प्रारंभ हो तब चमेली के तेल का दीपक जला लें। अब दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला लें तथा बाएं हाथ में 5 गोमती चक्र लेकर नीचे लिखे मंत्र का 54 बार जप करें ।


!!   ऊँ कीली कीली स्वाहा  !!

इसके बाद इन गोमती चक्रों को एक डिब्बी में डाल दें और फिर क्रमश: 5 हकीक दाने व 5 मूंगे के दाने लेकर पुन: इस मंत्र का 54 बार उच्चारण करें। अब इन्हें भी एक डिब्बी में डालकर उसके ऊपर सिंदूर भर दें। अब दीपक को शांत कर उसका तेल भी इस डिब्बी में डाल दें। इस डिब्बी को बंद करके अपने घर, दुकान या ऑफिस में रखें। आपका बिजनेस चल निकलेगा।


10👉  तंत्र शास्त्र के अनुसार चन्द्रग्रहण किया गया प्रयोग बहुत प्रभावी होता है और इसका फल भी तुरंत प्राप्त होता है। इस मौके का लाभ उठाकर यदि आप धनवान होना चाहते हैं तो नीचे लिखा उपाय करने से आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होगी ।और आपको धन लाभ होगा।


11 उपाय👉 चंद्र ग्रहण के पूर्व नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें और ग्रहण काल शुरु होने पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठ जाएं। 

अपने सामने चौकी पर एक थाली में केसर का स्वास्तिक या ऊँ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें। अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमलगट्टे की माला से ग्यारह माला जप करें-


मन्त्र👉  सिद्धि बुद्धि प्रदे देवी मुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।

पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।


मंत्र जप के बाद इस पूरी सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में आपको अचानक धन लाभ होगा।


*आचार्य पवन पराशर (श्रीधाम वृन्दावन)*

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